शरद पूर्णिमा : कहीं उत्सव तो कहीं होगी पूजा
चांदनी रोशनी में खीर बनेगी अमृत
शरद ऋतु, पूर्णाकार चंद्रमा, संसार में उत्सव का माहौल और पौराणिक मान्यताएं। इन सबके संयुक्त रूप का यदि कोई नाम या पर्व है तो वह है 'शरद पूनम'। वह दिन जब इंतजार होता है रात्रि के उस पहर का जिसमें 16 कलाओं से युक्त चंद्रमा अमृत की वर्षा धरती पर करता है। वर्षा ऋतु की जरावस्था और शरद ऋतु के बालरूप का यह सुंदर संजोग हर किसी का मन मोह लेता है। आज भी इस खास रात का जश्न अधिकांश परिवारों में मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूनम का महत्व शास्त्रों में भी वर्णित है। वे बताते हैं कि इस रात्रि को चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं के साथ होता है और धरती पर अमृत वर्षा करता है। रात्रि 12 बजे होने वाली इस अमृत वर्षा का लाभ मानव को मिले इसी उद्देश्य से चंद्रोदय के वक्त गगन तले खीर या दूध रखा जाता है, जिसका सेवन रात्रि 12 बजे बाद किया जाता है। मान्यता तो यह भी है कि इस तरह रोगी रोगमुक्त भी होता है। इसके अलावा खीर देवताओं का प्रिय भोजन भी है।