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शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013 (17:41 IST)
भारतीय छात्रों ने अमेरिका की साख बनाए रखी
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वॉशिंगटन। काउंसिल ऑफ ग्रेजुएट स्कूल्स (सीजीएस) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत से आवेदकों की संख्या में 20 फीसदी की बढ़ोतरी नहीं होती तो 2013 में यूएस ग्रेजुएट स्कूलों में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में महत्वपूर्ण कमी होती।
सीजीएस रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएस ग्रेजुएट स्कूलों में संभावित अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में वर्ष 2013 में मात्र 1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2012 में यह बढ़ोतरी 9 फीसदी और 2011 में वृद्धि 11 फीसदी थी। उल्लेखनीय है कि पिछले आठ वर्षों के दौरान विदेशी छात्रों की संख्या में बहुत कम वृद्धि हो रही है।
अंतरराष्ट्रीय आवेदनों की संख्या में कमी का प्रमुख कारण चीनी छात्रों की कम मौजूदगी रही है। पहले अमेरिकी ग्रेजुएट स्कूल्स में पढ़ने आने वाले छात्रों में से चीनी छात्रों की संख्या 29 फीसदी होती थी लेकिन वर्ष 2013 में यह संख्या मात्र 5 फीसदी रह गई है।
लेकिन इस दौरान अमेरिकी संस्थानों में भारतीयों की संख्या बढ़ी। पहले सभी छात्रों में भारतीयों की संख्या करीब 20 फीसदी होती थी लेकिन 2012 में इनकी संख्या में 20 फीसदी अधिक की बढ़ोतरी हुई। सीजीएस में पहले सात देशों के छात्र प्रमुख रूप से होते थे जिनमें से चीन, भारत, कोरिया, ताइवान, कनाडा, मेक्सिको और ब्राजील प्रमुख थे।
इन देशों में छात्रों की वृद्धि में केवल ब्राजील की संख्या में ही 24 फीसदी वृद्धि हुई जबकि अमेरिका में पढ़ने वाले सभी विदेशी छात्रों में ब्राजील का हिस्सा मात्र 1 फीसदी था। भारत और चीन के बाद दक्षिण कोरिया, ताइवान और कनाडा से ही अधिक छात्र आने लगे।
सीजीएस की अध्यक्षा डेब्रा डब्ल्यू स्टुअर्ट का कहना है कि हालांकि हाल के वर्षों में भारत और ब्राजील के छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन चीन के छात्रों की संख्या में कमी विचारणीय है। एक देश के तौर पर हम अंतरराष्ट्रीय छात्रों के अध्ययन में बाधाएं डालने को सहन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि दूसरे देश बेहतर और योग्य छात्रों के लिए अपनी बाधाओं को कम से कम करते जा रहे हैं।