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Written By WD

राष्ट्रपिता बापू को समर्पित श्रद्धासुमन

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी बापू प्रवासी कविता Pravasi kavita  Mahatma Gandhi
` डॉ. राधा गुप्ता

ND
कानपुर में जन्म। कानपुर विवि से एम.ए. और बुंदेलखण्ड विवि से पी-एच.डी. की डिग्रियाँ हासिल कीं। भारत में 1983 से 1998 तक अध्यापन कार्य किया। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, लेख एवं कविताएँ प्रकाशित। मई 1998 में अमेरिकपहुँचीं और 2003 में वे एडल्ट एजुकेशन में शिक्षण से जुड़ गईं। सम्प्रति वे वेसलियन विश्वविद्यालय, कनैक्टिकट में हिंदी प्राध्यापक हैं।

आज़ादी की लड़ी लड़ाई
नहीं जरा भी घबराए
जीवन के सत्पथ पर चलकर
तुम राष्ट्रपिता बापू कहलाए।

नीति-अहिंसा को अपनाया
रहे सत्य पर सदा टिके
झुका सकी न आँधी तुमको
नहीं टकों में कभी बिके।
डरे कभी न संघर्षों से
वक्ष तान कर तुम टकराए
जीवन के सत्पथ पर चलकर
तुम राष्ट्रपिता बापू कहलाए।

जो जन्मा है, वही मरेगा
किन्तु भिन्नता मृत्यु-मृत्यु में
मर कर भी तुम अमर हो गए
कुछ ऐसा था व्यक्तित्व-कृत्य में।
हार नहीं यह जीत तुम्हारी
दुनिया तुम पर हार चढ़ाए
जीवन के सत्पथ पर चलकर
तुम राष्ट्रपिता बापू कहलाए।

तरुणाई में क्रांति मचाई
सही यातना जेल गए

बने जननायक, की जनसेवा
पीड़ा सारी भूल गए।
चाहे कितने जुल्म सहे
हर-पल, हर-क्षण तुम मुस्काए
जीवन के सत्पथ पर चलकर
तुम राष्ट्रपिता बापू कहलाए।

अंतिम वर्षों में जीवन के
सरल-वृत्ति थी मन भाई
भोजन, शयन, वस्त्र, दिनचर्या
सबमें थी साधुता समाई।
ऐसे महापुरुष को
दुनिया अपना शीश झुकाए
जीवन के सत्पथ पर चलकर
तुम राष्ट्रपिता बापू कहलाये।