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Written By Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 6 मई 2025 (08:17 IST)

जानिए रविंद्रनाथ ठाकुर के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य जो उनके महान व्यक्तित्व के परिचायक हैं

rabindranath tagore or rabindranath tagore
Rabindranath Tagore life story: रवींद्रनाथ ठाकुर, एक ऐसा नाम जो साहित्य, कला और दर्शन के संगम का प्रतीक है। वे न केवल भारत के बल्कि विश्व के महानतम व्यक्तियों में से एक थे। रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में एक प्रतिष्ठित और समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता, देबेंद्रनाथ ठाकुर, एक जाने-माने दार्शनिक और ब्रह्म समाज के प्रमुख सदस्य थे। परिवार में कला, साहित्य और संगीत का गहरा माहौल था, जिसने रवींद्रनाथ के प्रतिभा को बचपन से ही पोषित किया। उनकी रचनाएँ आज भी हमें प्रेरित करती हैं और जीवन के गहरे अर्थों से परिचित कराती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस महान व्यक्तित्व के जीवन में कई ऐसे रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य छिपे हैं, जो उनकी असाधारण प्रतिभा और मानवीय पहलुओं को और भी उजागर करते हैं? आइए, रवींद्रनाथ ठाकुर के जीवन से जुड़े ऐसे ही महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक नजर डालते हैं :
  • नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय: 1913 में, रवींद्रनाथ ठाकुर साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति बने। उनकी काव्य रचना "गीतांजलि" ने विश्वभर के साहित्यकारों और पाठकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। तब पहली बार भारतीय मनीषा की झलक पश्चिमी जगत ने देखी। गीतांजलि के प्रकाशित होने के एक साल बाद सन् 1913 में उन्हें नोबल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया।
  • लौटा दी थी नाइटहुड की उपाधि : अंग्रेज शासन ने भी उन्हें नाइटहुड की उपाधि देकर अलंकृत किया, लेकिन उन दिनों हुई जलियांवाला बाग की दर्दनाक घटना से व्यथित रवीन्द्रनाथ ने वह उपाधि उन्होंने लौटा दी थी।
  • 'गुरुदेव' की उपाधि: महात्मा गांधी ने ही रवींद्रनाथ ठाकुर को 'गुरुदेव' की उपाधि से सम्मानित किया था। यह उपाधि उनके ज्ञान, विद्वता और आध्यात्मिक गहराई के प्रति सम्मान का प्रतीक थी।
  • शांतिनिकेतन की स्थापना: रवींद्रनाथ ठाकुर ने 1901 में बोलपुर में एक प्रायोगिक विद्यालय 'शांतिनिकेतन' की स्थापना की, जिसका उद्देश्य पारंपरिक शिक्षा प्रणाली से अलग एक ऐसा वातावरण तैयार करना था जहाँ प्रकृति और कला के साथ तालमेल बिठाकर शिक्षा दी जा सके। यही विद्यालय बाद में विश्वभारती विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ।
  • जन गण मन के रचयिता: भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा ही लिखा गया है। यह गीत उनकी देशभक्ति और भारत के प्रति गहरे प्रेम को दर्शाता है। इसके अलावा, उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' भी लिखा था, जो उन्हें दो देशों के राष्ट्रगान लिखने वाले एकमात्र व्यक्ति बनाता है।
  • चित्रकला में भी अद्वितीय: साहित्य के अलावा, रवींद्रनाथ ठाकुर ने 60 वर्ष की आयु के बाद चित्रकला में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनकी बनाई हुई हजारों पेंटिंग्स आधुनिक भारतीय कला में एक विशिष्ट स्थान रखती हैं। उनकी चित्रकला में रंगों और रेखाओं का अनूठा संयोजन देखने को मिलता है।
  • एक सफल संगीतकार: रवींद्रनाथ ठाकुर एक उत्कृष्ट संगीतकार भी थे। उन्होंने लगभग 2,230 गीतों की रचना की, जिन्हें 'रवींद्र संगीत' के नाम से जाना जाता है। यह संगीत अपनी भावनात्मक गहराई और मधुर धुनों के लिए आज भी लोकप्रिय है।
  • गांधीजी से वैचारिक मतभेद: रवींद्रनाथ ठाकुर और महात्मा गांधी के बीच कई मुद्दों पर वैचारिक मतभेद थे, खासकर राष्ट्रवाद और शिक्षा को लेकर। हालांकि, दोनों एक दूसरे का गहरा सम्मान करते थे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मिलकर काम किया।
  • अंतिम दिनों तक सक्रिय: रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपने जीवन के अंतिम दिनों तक लेखन, चित्रकला और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे। 7 अगस्त, 1941 को उनका निधन हुआ। लोगों के बीच उनका इतना सम्मान था कि वे उनकी मौत के बारे में बात तब नहीं करना चाहते थे।