आम बातों में व्यंग्य खोज लेने वाले सहज व्यंग्यकार के तौर पर पहचाने जाते हैं। 'विश्वविवेक' व 'विश्वा' जैसी अमेरिकी पत्रिकाओं में निरतंर तथा कादम्बिनी व भाषा भारतीय पत्रिकाओं में कविताएँ एवं कहानियों का प्रकाशन, अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति द्वारा पहली अमुक्तक नामक हास्य व्यंग्य किताब प्रकाशित। हिंदी फिल्म 'आकांक्षा' से कहानीकार के तौर पर जुड़े। पिछले 25 बरसों से उत्तरी अमेरिका में हिंदी से तथा अनेक राजनीतिक व सामाजिक संस्थाओं से संबद्ध। इन दिनों अमेरिकी सुरक्षा विभाग वॉशिंगटन डीसी में वरिष्ठ इंजीनियर पद पर कार्यरत
जिस लोक सिविल सर्विस में मैं कार्य करता था, उसके इंजीनियरिंग विभाग में सबसे नीचे जूनियर इंजीनियर, फिर असिस्टेट, फिर एसोसिएट, उसे बाद में सीनियर एसोसिएट (फर्स्ट लान सुपरवाइजर), इंजीनियर, असिस्टेंट चीफ और फिर चीफ इंजीनियर। इस प्रकार पदों की श्रेणियाँ (सिरीज) थीं। मेरे एसोसिएट इंजीनियर पद पर ज्वांइन करने के कुछ दिन बाद, स्टूडेंट इंजीनियर के पद यानी जूनियर इंजीनियर से भी नीचे, (मुझसे तीन पद नीचे) पर हेलन बुक्स इस विभाग में आई थी। छह महिने में स्टूडेंट इंजीनियर से जूनियर इंजीनियर, फिर उसके एक साल बाद असिस्टेंट इंजीनियर हो गई थी। मेरे एसोसिएट इंजीनियर के पद के लिए प्रोफेशनल इंजीनियर (पी.ई.) लाइसेंस होना आवश्यक था। पी.ई. के लिए कम से कम चार वर्ष की सर्विस अनिवार्य होती है तथ स्टेट पी.ई. बोर्ड की दो कठिन परीक्षाएँ पास करनी पड़ती हैं। हेलन के लिए असिस्टेट इंजीनियर से एसोसिएट इंजीनियर पर आने के लिए पी.ई. एक रुकावट थी।
किन्तु किलोपेट्रा हेलन, तीन वर्ष तक एक ही पद पर कैसे रह सकती थी, इंजीनियरिंग विभाग ने उसे दूसरे रास्ते से एक ही वर्ष में मेरे बराबर के पद पर ला खड़ा किया। यानी कि उसे मेंटेनेन्स फोरमैन (नान, इंजीनियर फर्स्ट लाइन सुपरवाइजर) बना दिया। मैंने इन तीन वर्षों में दो बार सीनियर एसोसिएट पद के लिए इंटरव्यू दिए। सफलता नहीं मिली। तीसरी बार मैंने एसोसिएट इंजीनियर का फिर इंटरव्यू दिया और फिर किसी काले को, जो मुझ से दो साल जूनियर था, सलेक्ट कर लिया गया। उधर हेलन को तुरंत एक और प्रमोशन मिल गया बिना इंटरव्यू के। वह मेन्टनेंस को-ओर्डिनेटर हो गई, स्तर में मुझसे एक पद आगे। मैं, अपने से दो साल जूनियर, उस काले का सबोर्डिनेट हो गया। वहाँ हेलन मेरी सीधे सुपरवाइजर तो नहीं, पर मेरे इंजीनियर सुपरवाइजर के बराबर थी। पाँच वर्ष में उसने पाँच प्रमोशन प्राप्त किए और मैंने एक भी नहीं। मैं हेलन के साथ मेन्टनेंस विभाग में काम करने लगा। पहले इतनी जूनियर थी इसलिए सुपरवाइजर जैसे सलूक तो बिलकुल नहीं बराबर अथवा दोस्ती जैसा माहौल बनने लगा। इस प्रकार हेलन को पास से जानने का मौका मिला
हेलन अफ्रीकन रेस की, हल्के रंग, चिकनी चमड़ी, और भरे बदन की खूबसूरत लड़की थी। कहती थी, मिस्र भी तो अफ्रीका है, जहाँ की किल्योपेट्रा जैसी विश्व सुंदरी अभी तक पैदा नहीं हुई। खूबसूरत के साथ-साथ खुशमिजाज। मेन्टेनेन्स सुपरिन्टेन्डेंट उसकी मुट्ठी में था।
तभी तो पाँच वर्ष में पाँच प्रमोशन। मुझे भी अब प्रमोशन न मिलने का खास गम नहीं था, यह सोचकर कि अंधा बाँटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को देय, यानी कि डिक्रिमनेशन।
हेलन से जमकर बातें होने लगीं। सबसे पहले उसने मुझे अपने अफ्रीकन होने के स्वाभिमान का अहसास कराया। उसने बताया कि वह उस महाद्वीप की है जहाँ मिस्र जैसा पुराना वैभवशाली देश है जो विश्व में खूबसूरती और बल का डंका बजा चुका है, यानी कि मिस्र देश की मलिका क्लियोपेट्रा और फैरो उसके दादे-परदादे हो सकते हैं। दूसरा अपना संबंध उसने मिस्र की ही देवी आइसिस से बताया जो विश्व में सुंदरता की देवी ही नहीं अपितु महाशक्तिशाली भी मानी जाती है। मैं उसकी इन बातों से बड़ा प्रभावित हुआ और उसमें क्लियोपेट्रा व आइसिस की सुंदरता को देखने लगा। इस प्रकार हेलन मुझे अच्छी लगने लगी। सुंदरता और सेक्स पर चर्चा होने लगी। बातों-बातों में विषय के अनुरूप मैंने भारत के वात्स्यान के कामसूत्र में चित्रित स्त्रियों की चार श्रेणियों (पद्मिनी, शंखिनी, चित्रणी व हस्थिनी) की चर्चा उससे कर दी। फिर क्या था पीछे ही पड़ गई, यह जानने के लिए कि वह किस श्रेणी में है। मैंने बहुत टाला किन्तु बताना ही पड़ा। हस्थिनी।
एक दिन वह लाइब्रेरी से अंग्रेजी अनुवाद में वात्स्यान का कामसूत्र ले आई। अध्ययन करने लगी और उस पर टिप्पणी भी, जिसमें वह मुझे शामिल करती। मेरी बताई हुई केटेगरी उसको सही लगी। कामसूत्र खत्म हुआ तो कामसूत्र के समकक्ष एक जाइनीज किताब ले आई। पढ़ते-पढ़ते एक दिन वह एक प्रश्न लेकर मेरे पास आई। चित्र के साथ लिखा था, इस नस को दबाकर रखने से मनुष्य आर्गस्म आने पर भी डिस्चार्ज को रोक सकता है... उसका कहना था कि ऐसा संभव नहीं और मुझसे पूछा कि क्या ये सही है। मैंने बताया कि मुझे तो सही नहीं लगता किन्तु इतना बड़ा लेखक लिख रहा है तो सही होगा। तब उसने कहा, ट्राई करने के बाद बताना। मैं उसे कहना चाहता था कि किसी और से ट्राई करने को कहे, किन्तु कहा नहीं। मैंने उत्सुकतावश ट्राई तो किया, कौन नहीं करना चाहेगा, किन्तु संकोचवश उसे बताया कुछ नहीं। हर रोज ही कोई न कोई नई चर्चा छिड़ जाती थी, वही सेक्स संबंधित।
मेरा सुपरवाइजर किसी दूसरी जगह बैठता था और हेलन का सुपरवाइजर तो सीधा मेन्टेनेन्स सुपरिन्टेन्डेंट था जो किसी बड़े आफिस में बैठता था। हेलन का कोई सर्बोर्डिनेट भी नहीं था, इसीलिए हम दोनों और हमारी एक सेक्रेटरी, बस तीन, इस कमरे में बैठते थे। साथ लगे कमरे में एक महिला इंजीनियर बैठती थी। कभी कभी वह भी हमारे डिस्कशन में शामिल हो जाती थी। प्लान्ट का एक चक्कर लगा आने के बाद मेरे पास फालतू बातें करने के लिए काफी वक्त रहता था। हेलन स्वयं बॉस थी, दिन भर बैठी किताब पढ़ती रहती थी, या बातें एक दिन हेलन ने बताया कि वह लोगों की मसाज करती है और मैं उससे मसाज करा लूँ। मुझे विश्वास नहीं हुआ, एक खूबसूरत, इंजीनियर लड़की, वह भी इतने ऊँचे ओहदे पर, मसाज कैसे कर सकती है। मैंने सेक्रेटरी से पूछा लिया, हेलन जो कह रही है क्या वह सही है।
सेक्रेटरी ने बताया, वह अच्छी मसाजू है और लोगों की मसाज पैसे लेकर करती है।मुझे ताज्जुब हुआ। हेलन को मैंने कहा, मैं तो मसाज-वसाज नहीं कराता। उसने मेरे दोस्तों को बताने के लिए कहा, मैंने कह दिया, मैं पूछ लूँगा।
इसके बाद हेलन ने कई छोटे धंदों की स्कीमों पर बात चलाई। उसने बताया कि वे कार्नीवाल में पोपकोर्न की मशीन लगाती है, अच्छा पैसा बन जाता है। कभी हैन्डीक्राफ्ट की दुकान भी लगाती है। एक बार मैंने कुछ भारत के हैन्डीक्राफ्ट उसे बेचने के लिए दिए। बचे हुए वह मेरे घर वापस करने आई, इस प्रकार वह मेरी पत्नी से मिल ली। मिल ही नही ली, अच्छी खासी बातें की और इम्प्रेशन बना कर गई।
यहाँ तक तो सब ठीक था। किन्तु हेलन मुझे रहस्यमयी तब लगी जब यह स्पष्ट हुआ कि उसके पास कार नहीं है और काम पर वह बस से अथवा किसी से राइड माँग कर आती है। मैंने कभी-कभी उसे बस से उतरते तो देखा था किन्तु यह कैसे सोच सकता था कि मुझ से एक पद आगे, सुपरवाइजर पद और कई साल की सर्विस के बाद उसके पस कार नहीं होगी। अमेरिका में तो यह बड़े आश्चर्य की बात है। फिर एक दिन पता चला उसके पास टीवी नहीं है। क्यों नहीं है? बताया कि वह अफोर्ड नहीं कर सकती है। है न रहस्य की बात? ऐसा कैसे हो सकता है? जिसे इतनी अच्छी सैलरी मिलती है, साथ में दूसरे धंधे भी करती है, टीवी कैसे नहीं अफोर्ड कर सकती है। ये चीजें तो नौकरी के पहले ही साल में हर किसी के पास होती हैं। मैं उससे कम वेतन पर, दो बच्चों के साथ, पूरा घर चलाता हूँ दो कारें है, टीवी तो मामूली सी चीज है, सुविधा की हर चीज अफोर्ड कर सकता हूँ।
विस्मय से मैंने पूछ ही लिया, तुम पैसे का क्या करती हो?
बिना किसी झिझक के तपाक से बोली, आई स्पैंड माइ मनी ऑन माइ मैन, मतलब मैं अपना पैसा अपने आदमी पर खर्च करती हूँ। मैंने पूछा नहीं कि तुम तो शादीशुदा भी नहीं, फिर माइ मैन कैसा, क्योंकि मुझे मालूम है कि यहाँ लड़कियों के अगर हसबैंड नहीं तो बायफ्रेंड होते हैं।
कुछ महीनों बाद हेलन ने बताया कि वह यह नौकरी छोड़ना चाहती है। मुझसे कहने लगी, मैं भी यह नौकरी छोड़ क्यों नहीं देता। कोई प्रमोशन नहीं फिर भी मैं यह नौकरी क्यों कर रहा हूँ। मैंने बताया, कैसे छोड़ दूँ, कोई अच्छी दूसरी मिले तब न। वह कहने लगी, दूसरी अच्छी नौकरी इसे छोड़कर अच्छी तरह ढूँढ़ने पर ही मिल सकती है। मुझे वह पागल लगी ऐसे कहते हुए। किन्तु अगले ही हफ्ते उसने अपनी नौकरी छोड़ने की तारीख ऐलान कर दी, डेढ़ महीने बाद की। सोचा, करीब इतना ही समय नौकरी छोड़ने के लिए देना पड़ता है। कहीं अच्छी मिल गई होगी। इसे नौकरियों की क्या कमी। नौकरी यदि नहीं मिलती है तो हम जैसे विदेशियों को।
मैंने पूछ ही लिया, कहाँ जा रही हैं? उसने तुरंत बताया, हवाई... मैंने पूछा, किस कंपनी में... कैसा काम, यानी कितनी तरक्की पर जा रही हैं।
उसने बताया, नौकरी अभी देखी नहीं, वहाँ जाकर ढूढ़ँगी।
फिर विस्मय हुआ। पाँच वर्ष में पाँच प्रमोशन प्राप्त करने वाली, अपने आप को क्लियोपेट्रा का वंशज बताने वाली यह लड़की इतनी मूर्ख तो नहीं हो सकती। बिना दूसरी नौकरी पाए यह नौकरी कैसे छोड़ सकती है। सोचा, छिपा रही होगी या झूठ बोल रही होगी।
एक महीना रह गया उसके यहाँ से छोड़ कर जाने का। इस बीच उसने मसाज के लिए फिर पूछा। मैंने मना कर दिया। सोचा, कहीं ऐसा वैसा हो गया और इसने फँसा दिया तो कहीं का न रहूँगा। वैसे यह मालूम हो गया था कि विभाग में कई लोग इससे मसाज करा चुके हैं। मेरा एक भारतीय दोस्त था, अकेला, बेचारे की डॉक्टर बीवी ने तलाक दे दिया था, तनाव व परेशानी में था, मैंने उससे पूछ लिया, मसाज करवाएगा? एक लड़की है, अच्छी मसाज करती है एकदम उछल पड़ा, बोला, बता यार कौन है। मैंने बता दिया। दोनों ने डेट फिक्स कर ली।
डेट के बाद हेलन ने आकर बताया कि अच्छा दोस्त है। दोस्त भी खुश था। पूर्ण मसाज पा लेने के लिए मुझे बहुत धन्यवाद किया।
हेलन का फेयरवैल हुआ। बहुत लोग आए फेयरवैल पार्टी में। आखिरी स्पीच में उसने वही बताया कि वह हवाई जा रही है, नौकरी का कोई ऑफर नहीं है, सोचती है वहाँ जाकर आसानी से मिल जाएगी। मैंने अकेले में उससे पूछा, आखिर वह ऐसा क्यों कर रही है। उसने बताया, हवाई उसे पसंद है, हवाई के लोग उसे पसंद हैं, हेल्थी एण्ड स्ट्रोंग, स्वस्थ एवं मजबूत। और हेलन हवाई चली गई। उस नौकरी को छोड़कर, जिसे मैं दस वर्ष में भी नहीं पा सकता था, उसने पाँच वर्ष में ही पा लिया था, खेल की तरह छोड़कर चली गई, स्ट्रांगमैन की तलाश में।
हवाई पहुँचकर हेलन ने मुझे फोन किया, अपना नंबर दिया। मुझे नौकरी बदलने को और बातें करते रहने को कहा। इसके बाद मैंने भी पूरे बल के साथ नौकरी ढूँढ़ी। एक महीने में ही मिल गई। बहुत अच्छी नौकरी, अमेरिकी केंद्रीय सरकार में। हेलन को मन ही मन धन्यवाद देने लगा। दूसरी नौकरी पर पहुँचकर फिर मैंने उससे फोन पर बातें कीं। उसने बताया कि उसे नौकरी नहीं मिली है, वह खुश है।
हेलन अब एक हेल्थी हवाइयन के साथ हौनोलुलू हवाई में रह रही है।