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Written By वार्ता

बारूद के ढेर पर बैठा असम

बारूद के ढेर पर बैठा असम -
-गुवाहाटी से अम्बेश्वर गोगो

हिंसा से टुकड़ों में दो-चार होता रहा असम सही मायनों में बारूद के ढेर पर बैठा है। इसका बड़ा सबूत गुरुवार को सिलसिलेवार बम धमाकों के रूप में सामने है। जानकारों की मानें तो यह सूबे को संभालने में नाकाम रही प्रदेश की तरुण गोगोई सरकार के काहिलपन और वोट बैंक की ओछी राजनीति का नतीजा है।

मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा : उल्लेखनीय है कि असम के अलग-अलग इलाकों में गुरुवार को हुए सिलसिलेवार 12 बम धमाकों में मरने वालों का आँकड़ा 68 पर पहुँच गया है और 470 लोग घायल हुए हैं। मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है और कई घायल मरणासन्न स्थिति में हैं।

अस्पतालों में नहीं है जगह : धमाकों की त्रासदी खून से सने अस्पतालों के बिस्तर और बुरी तरह जख्मी घायलों को देखकर आसानी से महसूस की जा सकती है। करीब अस्सी प्रतिशत लोग अभी भी गंभीर हालत में हैं, जिनके इलाज के लिए परिजनों को बदहवास हालत में डॉक्टरों से गुहार लगाते हुए देखा जा सकता है।

गुवाहाटी से 15 किमी दूर मिर्जा नामक स्थान पर मामूनी हलोई नामक महिला की मौत होने की पुष्टि की गई है। स्थानीय लोग, पुलिस और खुफिया एजेंसियाँ दबी जुबाँ में बांग्लादेशी घुसपैठियों का हाथ होने की पुष्टि कर रहे हैं।

...तो बच जाती कई जानें : जानकारी के मुताबिक धमाकों में घायल कई लोग वक्त पर मदद न मिलने से मर गए। लोगों का कहना है कि धमाकों के फौरन बाद ही फायर ब्रिगेड को सूचना कर दी गई, लेकिन कोई भी दमकल गाड़ी मौके पर जल्दी नहीं पहुँची। इस कारण लोग झुलस गए और उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल पहुँचाया गया। तब तक काफी देर हो चुकी थी।

अशांत रहता है गणेश गुड़ी : गणेश गुड़ी में चंद महीनों के अंतराल में विस्फोट होना आम बात है। यह इलाका सतत अस्थिर रहा है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री का कार्यालय गणेश गुड़ी से महज चार सौ मीटर के फासले पर है।

वोट बैंक की राजनीति : स्थानीय लोगों की मानें तो वोट बैंक के चलते सरकार ने बजाय घुसपैठियों को बाहर का रास्ता दिखाने के बाकायदा उनके पहचान-पत्र बनाकर उन्हें दूसरे सरकारी दस्तावेज तक मुहैया करवा दिए। शायद सरकार नहीं जानती कि उसके इस कदम के खिलाफ जनता में कितनी नाराजगी है।

जनता की नाराजगी और सरकार द्वारा बांग्लादेशियों को प्रश्रय देने का एक सबूत यह भी है कि आए दिन मुख्यमंत्री कार्यालय के पास धमाकों की गूँज सुनी जा सकती है। इसके चलते स्थानीय बोडो जनजाति के लोगों और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बीच 11 अक्टूबर को हिंसक संघर्ष हुआ था।

राज्यभर में समाज का हर वर्ग सरकार के खिलाफ बुलंद आवाज में यह कह रहा है कि यदि समय रहते सरकार ने बांग्लादेशी घुसपैठियों पर नकेल डाली होती तो प्रदेश को ये दिन नहीं देखना पड़ते।