Last Modified: वॉशिंगटन ,
मंगलवार, 1 मई 2012 (14:37 IST)
‘बड़ा है तो बेहतर है।’ अब भूल जाओ
जरूरी नहीं कि बड़े जानवर तेज दौड़ें
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यह सच नहीं कि ‘बड़ा है तो बेहतर है।’ कम से कम जब जानवरों के दौड़ने की रफ्तार की बात आती है तो यह जुमला झूठा साबित हो सकता है।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि जरूरी नहीं आकार में बड़े जानवर रफ्तार में भी तेज हों।
आमतौर पर माना जाता है कि जिन जानवरों का आकार बड़ा होता है, उनकी रफ्तार भी तेज होती है। पर दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर न सबसे बड़ा है और न ही सबसे छोटा, बल्कि मध्यम आकार का है।
‘फिजियोलोजिकल एंड बायोकेमिकल जूलॉजी’ जर्नल में छपे शोध में शोधकर्ता क्रिस्टोफर जे क्लिमेंट ने कहा है कि एक हाथी, एक चूहे और एक चीता के आकार के बारे में सोचिए और उनकी रफ्तार की तुलना कीजिए।
शोध दल ने मॉनिटर लिजर्ड का अध्ययन किया। उन्होंने दो से लेकर 12 पाउंड तक की मॉनिटर लिजर्ड की रफ्तार को नापा। उन्होंने पाया कि इस दौड़ में मध्यम आकार वाली छिपकलियां ही सबसे तेज दौड़ी। क्लिमेंट ने कहा कि भारी वजन का संभालने में हड्डियों और मांसपेशियों की अक्षमता के कारण ही बड़े जानवर तेज नहीं दौड़ पाते। (भाषा)