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Written By WD

मुझे बेटे पर गर्व है, महसूस होती है कमी...

शहीद मेजर मुकुंद वरदराजन
FILE
ताम्बरम चेन्नई के एक साधारण से फ्लैट में रहने वाले आर. वरदराजन और उनकी पत्नी गीता को उनके बेटे मुकुंद वरदराजन का इंतजार है, लेकिन एक ताबूत में। रविवार शाम को वरदराजन ने कहा, 'मैं अपने बेटे को प्यार करता हूं...मुझे उस पर गर्व है... मुझे उसकी कमी महसूस होती है।'

उनका बेटा मुकुंद वरदराजन शुक्रवार को जम्मू कश्मीर में उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में दिवंगत हो गया। मुकुंद 44 राष्ट्रीय राइफल्स में मेजर थे। उनका परिवार सोमवार को उनके अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा है। शव के आधी रात से पहले आने की उम्मीद है।

जनवरी में वे पोंगल के अवसर पर बीस दिन की छुट्‍टियां लेकर घर आए थे। 12 अप्रैल, अपने जन्मदिन पर उन्होंने अपने पिता से कहा था कि वे तीन वर्षीया बेटी अर्शिया की सर्जरी कराने के लिए एक और छुट्‍टी लेने की योजना बना रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपने माता-पिता से कहा था कि यह बात वे उनकी पत्नी इंदु रेबेका वर्गीज से छिपाए रखें ताकि यह उसके लिए एक आश्चर्य में तब्दील हो सके।

इंदु को फिर से उनसे मिलने का इंतजार है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा है कि 'वह एक ऐसे आदमी थे जो कि मुझे सच्चे दिल से प्यार करते थे... लेकिन अब मुझे इंतजार है क्योंकि वे अब ईश्वर के पास जा चुके हैं। एक दिन में उनसे मिलूंगी तब वे मुझे अपना गर्मजोशी से भरे आलिंगन में लेंगे।'

मुकुंद ने 2009 में इंदु से विवाह किया था जो कि मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ती थी, जहां से उन्होंने पत्रकारिता में अपना डिप्लोमा लिया था और इससे पहले वे बी.कॉम. पास कर चुके थे। वे अपना मास्टर्स कोर्स कर रही थीं। उनके पिता चाहते थे कि वे एक एमबीए कोर्स कर लें लेकिन मुकुंद ने चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में चले गए। कुछ समय तक उन्होंने एक कॉल सेंटर पर भी काम किया था। 2004 में उन्होंने अकादमी पास कर ली। उन्होंने लेबनान में यूएन मिशन में भी काम किया था।

कश्मीर में नियुक्त होने के बाद इंदु और अर्शिया बेंगलोर के आर्मी स्टाफ क्वाटर्स में रह गईं। इंदु का कहना है कि वह कभी भी पेशेवर मामलों, जिनमें विशेष रूप से जोखिम शामिल थे, पर बात नहीं करती थीं। इंदू का कहना है कि 'संभवत: वह परिजनों को सुनिश्चित करना चाहते थे कि वे कश्मीर में उनके काम को लेकर चिंतित ना हों। आम तौर पर उनका कहना होता कि चिंता की कोई बात नहीं।' वर्ष 2009 में विवाह से पहले इंदु एक टेक्नीकल राइटर का काम करती थीं। इंदु के पिता डॉ. जॉर्ज वर्गीज का कहना है कि 'मैं सोचता हूं कि वे एक ऐसी स्थिति में थे जिसका हर अधिकारी को सामना करना होता है।'

फेसबुक पर क्या लिखा शहीद की पत्नी ने... पढ़ें अगले पेज पर...



शनिवार को फेसबुक पर पत्नी का पोस्ट : 'एक ऐसा आदमी रहता था जो कि दिलोजान से मुझे प्यार करता था... एक ऐसा आदमी था जो मेरी बेटी का पिता बना, एक ऐसा आदमी था जो ईमानदारी में विश्वास करता था...एक ऐसा आदमी जीवित था जो अपने पेशे को प्यार करता था.... वह एक ऐसा आदमी था जिसने कभी भी खुद को एक नायक मानने का स्वांग नहीं किया... वह एक ऐसा आदमी था जो मेरी आत्मा था... एक ऐसा आदमी जीवित था जिसका दिल उदारता से भरा था.... एक ऐसा आदमी था जो मुझे सभी कुछ बता देता था... वह एक ऐसा आदमी था जोकि अपने जीवन से परे चाहता था लेकिन अब मैं इंतजार करती हूं क्योंकि अब वह ईश्वर के पास है ... मैं यह बात निश्चित तौर पर मानती हूं कि एक दिन मैं जब उससे मिलूंगी तो वह मुझे अपनी बाहों के मजबूत बंधन में बांध लेगा.. और मैं इस बात की शिकायत नहीं करूंगी कि मैं सांस नहीं ले सकती हूं... मैं यह बात निश्चत तौर पर जानती हूं कि तुम मेरा आलिंगन कर सकते हो... तुम जितना चाहो मुझे आलिंगनबद्ध करो।' (साभार इंडियन एक्सप्रेस, चेन्नई से गोपू मोहन और तिरुवनंतपुरम से शाजू फिलिप।)