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Written By WD

कपिल जी, असली खतरा किसे है, सब जानते हैं

सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर प्रतिबंध अनुचित है

सोशल नेटवर्किंग साइट्स
प्रकृति सक्सेना
लीजिए, अब सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आ रही सामग्री सरकार को बर्दाश्त नहीं है। यह सरकार अपना और कितना मजाक बनाना चाहती है यह तो वह खुद ही जाने। जब से अन्ना की आंधी आई और देश भर में एक माहौल बना अपने आपको खुलकर अभिव्यक्त करने का तब से सरकार के पसीने छुट रहे हैं।

सत्ता में बैठे लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि इस 'सिर चढ़ती जनता' का उद्दाम आवेग कैसे थामा जाए। अपनी इज्जत तो वह फिर से कमाने से रही सो येनकेन प्रकारेण आवाजों को दबाने के बेशर्म खेल पर उतर आई है।

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने गूगल और फेसबुक और उस जैसी दूसरी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से आपत्तिजनक सामग्री की अपलोडिंग रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है।

क्या सचमुच कांग्रेस 'राष्ट्रीय एकता और अखंडता' के प्रति चिंति‍त और संवेदनशील हो गई है? क्या सच में बस यही एक वजह है कि धर्मों को भड़काने वाली सामग्री इंटरनेट पर मौजूद है या कि खतरा इस बात का ज्यादा है कि लोग अब किसी से डरते नहीं है।

इतिहास अन्ना टीम को इस बात का श्रेय हमेशा देगा कि नेताओं के आगे-पीछे घुमने वाली जनता, नेताओं के गुंडों से डरने वाली जनता में उन्होंने यह आ‍त्मविश्वास फूंका है कि नेता सब हमारे नौकर है और हम इनके मालिक है।

लोकतंत्र का सही अर्थ समझाने के लिए अन्ना ही बधाई के पात्र हैं। फिलहाल अन्ना-मुद्दे को विराम दें और कपिल की बात पर ही फोकस करें तो जरा कपिल महाशय बताएं कि अचानक इंटरनेट की सामग्री इतनी आपत्तिजनक कैसे हो गई?

पवार को चांटे पड़ने के बाद इंटरनेट पर कांग्रेसियों की धज्जियां उड़ी तब से या फिर दिग्विजिय सिंह के बेसिर-पैर के बयानों पर आम जनता के तीखे तर्क और खुलकर आवेश के सामने आने से?

यह लोकतंत्र का सबसे सुखद पहलू है कि आम जनता अब अपने सही और असली रूप में अभिव्यक्त हो रही है। सबसे बड़ी बात कि नेताओं के झांसे में आसानी से नहीं आ रही है।

सिब्बल ने कहा कि यदि सोशल नेटवर्किंग साइट्स सहयोग के लिए तैयार नहीं होती हैं, तो यह सरकार का कर्तव्य हो जाता है कि वह कड़े कदम उठाएं। क्या आपको नहीं लगता कि सिब्बल के मुंह से 'कर्तव्य' की बात एक मजेदार चुटकुला है।

इंटरनेट पर अश्लील सामग्री व किसी धर्म के विरूद्ध सामग्री का तो कोई मीडिया समर्थन नहीं करेगा मगर क्या यही एक तरीका है समाधान का? दुनिया भर में इसी इंटरनेट की ताकत पर तख्तापलट हो रहे हैं।

चाहे मिस्त्र का उदाहरण लीजिए या अमेरिका के चुनाव। जनता ने इंटरनेट को अपनी शक्ति और प्रखर सोच का पुरअसर मंच बनाया है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स जनता के रूझान जानने का सशक्त माध्यम बनी है। और फिर क्या आपत्तिजनक सामग्री से कोई भी मीडिया अछूता है?

टीवी-रेडियो-समाचार पत्र-पत्रिकाओं की तरह इस माध्यम को 'खरीदा' नहीं जा सकता कहीं इसीलिए तो सरकार बौखलाई हुई नहीं है? यह अनियंत्रित है क्या इसलिए सरकार का सिरदर्द बनी? यकीनन नहीं। क्योंकि सोशल नेटवर्किंग साइट्स चाहे अनियंत्रित हैं लेकिन सच की स्वच्छ रोशनी भी इसी माध्यम से छनकर आई है, इस सच को कपिल कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं?

यही वह माध्यम है जिसने देश भर के करोड़ों युवाओं को देश के गंभीरतम मामलों में शामिल होने का अवसर दिया है। यही वह माध्यम है, जो मिस्त्र की तानाशाही के अंत का सबब बना।

अगर कहीं आपत्तिजनक है भी तो उससे निपटने के और भी तरीके हैं। पहला तो यही कि उस पर ध्यान ही ना दिया जाए। लेकिन ऐसा कपिल की सरकार कैसे कर सकती है वह जो उनके विरुद्ध होता है वह तीखा सच भी तो होता है। कड़वा सच निगलना-देखना-पढ़ना तकलीफदेह होता है।

खासकर उस सरकार के लिए जो आए दिन अपने विरूद्ध बोलने वालों की बासी फाईलें खोलकर बैठ जाती है। बहुत सिंपल सा फंडा है कि किसी और के अपराध गिना देने से आपके पाप नहीं धुलते है।

मानसिक दिवालिएपन की हद है कि अब चुंकि सरकार जनता के गलत कारनामों की फाईल तो खोलती नहीं रह सकती। सबसे आसान रास्ता दिखाई दिया उनकी आवाज को मंच-माईक-सोच-विचार और तेवर देने वाली सोशल नेटवर्किंग साइट्स का कंठ अवरूद्ध करने का।

धन्य हो कपिल जी आपको दूरसंचार मंत्री के बजाय 'दूरदर्शी मंत्री' कहा जाना चाहिए जो आने वाले खतरों को भांप कर उसे कुचलने की दक्षता में माहिर है।

कपिल और उनकी सरकार जान गई है कि अब छिपकर घोटाले अंजाम देने का युग नहीं रहा। अवाम की आवाज को खामोश कर देने का युग भी खत्म हो रहा है। खिलाफ बोलने वालों का खात्मा कर देना भी अब इतना आसान नहीं है ऐसे में वह जो जनता के साथ है वह हमारा दुश्मन है।

यह (कु)तर्क है कि ऐसी सामग्री देश के लिए खतरा हो सकती है। जनता अब सही मायनों में इस परिभाषा को समझ पाई है कि जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन आखिर होता क्या है? और इंटरनेट ने इस परिभाषा को नया आयाम दिया है, नया आकाश दिया है। घबराहट में इसे प्रतिबंधित कर कहीं कपिल अपने लिए गर्त की राह ना बना लें।