Last Modified: हैदराबाद ,
सोमवार, 28 अप्रैल 2014 (17:58 IST)
जयराम तीसरे मोर्चे को समर्थन के पक्ष में नहीं
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हैदराबाद। केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोमवार को यहां कहा कि वे उनकी पार्टी द्वारा तीसरे मोर्चे को समर्थन देने के पक्ष में नहीं हैं और इसकी बजाय चाहते हैं कि पार्टी सरकार का हिस्सा बने।
यह पूछे जाने पर कि संप्रग और राजग दोनों को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में कांग्रेस क्या तीसरे मोर्च का समर्थन करेगी? रमेश ने इस सवाल को काल्पनिक कहकर खारिज कर दिया।
लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि पार्टी की नीति हमेशा यही रहेगी कि हम किसी ऐसे राजनीतिक गठबंधन को समर्थन देंगे, जो धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के लिए प्रतिबद्धता जताएगा जिसका मतलब होगा कि पार्टियों का भाजपा से कोई संबंध नहीं होगा।
उन्होंने यहां कहा कि वैसा ही जैसा कि हमने 1996 में किया था (संयुक्त मोर्चा सरकार को बाहर से समर्थन देना), लेकिन मैं अभी नहीं कह सकता। यह संबद्ध नंबरों पर निर्भर करेगा।
रमेश ने कहा कि आदर्श स्थिति है कि बाहर से कोई समर्थन नहीं दिया जाना चाहिए तथा मेरा मानना है कि यदि आप सरकार को समर्थन दे रहे हैं तो आपको उसे भीतर से समर्थन देना चाहिए। ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं। राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए किसी भी गठबंधन के सभी भागीदार शासन में होने चाहिए।
रमेश ने कहा कि संप्रग-प्रथम में सरकार को बाहर से समर्थन देने वाले माकपा एवं भाकपा ने हमारे लिए जीवन दूभर कर दिया था। उस समय माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी के कथित बयान कि 'वाम दल भौंकते हैं, काटते नहीं' का हवाला देते हुए रमेश ने कहा, लेकिन कई बार भौंकना भी गलत होता है... निरंतर भौंकते रहो। माकपा एवं भाकपा काटते नहीं हैं लेकिन उन्होंने अंत में काट लिया। उन्होंने परमाणु करार पर समर्थन वापस ले लिया।
रमेश ने स्वीकार किया कि घिर चुकी कांग्रेस चुनाव में मुकाबला कर रही है लेकिन उन्होंने ओपिनियन पोल को खारिज कर दिया जिनके अनुसार कांग्रेस को करीब 100 सीटें मिलेंगी। (भाषा)