• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. लोकसभा चुनाव 2014
  4. »
  5. समाचार
Written By WD
Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 30 अप्रैल 2014 (12:33 IST)

कांग्रेस के लिए क्यों सिरदर्द हैं रॉबर्ट वाड्रा..!

कांग्रेस के लिए क्यों सिरदर्द हैं रॉबर्ट वाड्रा..! -
नई दिल्ली। कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के दामाद पार्टी की राजनीतिक इच्छाओं के लिए एक बड़ा रोड़ा बन गए हैं। जमीन से जुड़े इतने सारे मामले जनसामान्य के सामने आ गए हैं कि पार्टी और पार्टी नेताओं के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गए हैं और पार्टी को रक्षात्मक रुख अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। इतना ही नहीं पढ़े-लिखे लोगों में पार्टी की बदनामी पर पर्दा डालने के लिए महासचिव दिग्विजयसिंह को भी टाइम्स ऑफ इंडिया में एक लेख लिखना पड़ा है।
FILE

इस लेख में उन्होंने वॉल स्ट्रीट जरनल के लेख को आधारहीन करार देते हुए कहा है कि लोग प्रियंका की बातों को गौर से सुन रहे हैं और इस पर ध्यान दे रहे हैं इसलिए भाजपा और संघ परिवार चिढ़ गए हैं और वे झूठा दोषारोपण कर रहे हैं।

उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा के बचाव में अडाणी की मोदी से नजदीकी को तो बताया लेकिन क्या वे इतना साहस कर सकते हैं कि डीएलएफ के साथ वाड्रा के कारोबारी रिश्तों पर कोई टिप्पणी करें? अगर वॉल स्ट्रीट जरनल ने उनके खिलाफ झूठा लेख लिखा है तो क्या वे कोर्ट में जाएंगे? शायद नहीं क्योंकि इससे और भी गड़े मुर्दे उखड़ने का खतरा है।

कांग्रस के कई नेता भी मानते हैं कि वाड्रा पार्टी के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी बन गए हैं। वे कांग्रेस के लिए एक बड़ा सिरदर्द हैं, लेकिन कोई भी ऐसा कहने का साहस नहीं कर सकता है क्योंकि वे पार्टी प्रमुख के दामाद जो ठहरे। वे कांग्रेस के किसी अन्य नेता के पति की तरह नहीं हैं।

इसलिए मुश्किल में पड़ जाते हैं कांग्रेसी... पढ़ें अगले पेज पर....


प्रियंका आक्रामक तरीके से अपने पति का बचाव कर सकती हैं, लेकिन जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को तो कोलगेट और टूजी के अलावा वाड्रा के घोटालों के मामले में जवाब देना पड़ता है। इसलिए कांग्रेस के ही नेता कहते हैं कि अगर वे किसी और नेता के पति होते तो पार्टी कब का उनसे अपना पल्ला झाड़ चुकी होती।

कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता यह भी मानते हैं कि अगर वाड्रा अमेठी और रायबरेली में अकेले जाते हैं तो बहुत कम लोग ही उन्हें पहचान पाएं। वे ज्यादातर अवसरों पर अपने परिजनों के साथ ही वहां पहुंचते हैं और वे अमेठी और रायबरेली जाकर चुनाव प्रचार भी कर चुके हैं।

इन दोनों ही स्थानों के लोगों को केवल सोनिया, राहुल और प्रियंका की ही बातें समझ में आती हैं और वे वाड्रा को भी सुनना जरूरी नहीं समझते हैं। हां, लेकिन कांग्रेस में चापलूसी की परम्परा बहुत सुदीर्घ और फली फूली है तो इस कारण से गांधी परिवार के दामाद भी लोगों के लिए महत्वपूर्ण बना दिए जाते हैं।