क्यों भाग रहा है बाजार...
पहले किसी भी प्रोडक्ट को लांच करने में एक कंपनी को कई महीने लग जाते थे। मार्केट स्टडी से लेकर उसकी लांचिग तक हर कदम फूंक-फूंक कर रखा जाता था। कंपनियां लगातार तेजी से बदलते बाजार को देखते हुए अपनी नीति को बदलने के लिए मजबूर है। हर काम बहुत तेजी से हो रहा है। निर्माता भी भाग रहा है और उपभोक्ता भी। प्रोडक्ट्स जितनी जल्दी बाजार में आते हैं उतनी ही तेजी से गुम भी हो जाते हैं। त्वरित निर्णय, स्पीड और समय पर प्रोडक्ट लांच करने की आपाधापी बाजार पर हावी है। कोई भी नया आइडिया आते ही उस पर सर्वे कराने से लेकर उसकी डिजाइन तैयार करना, प्रोडक्ट टेस्टिंग, टेस्टिंग के नतीजों पर तुरंत अमल कर उसे बाजार में लांच करने के समय में तेजी से कमी आई है। कंपनियां अब सालभर में सैकड़ों उत्पाद लांच करने लगी है।यदि आप अपने आइडिया को तुरंत बाजार में एक प्रोडक्ट की शक्ल के रूप में लांच नहीं कर पाते हैं तो हो सकता है कि कोई अन्य कंपनी इसे आप से पहले ही अंजाम दे दे और मार्केट लीडर बन जाएं। प्रोडक्ट को लांच कर उसके अपग्रेडेड वर्जन्स लाने का चलन भी बाजार में तेजी से बड़ा है। जो इस दौड़ में पिछड़ा वह बाजार से बाहर हो गया। नवाचार की दौड़ में नोकिया जैसी कंपनी भी सेमसंग से पिछड़ गई। आजकल हर कंपनी आइडिया को पहले की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही महत्व देती है। पहले रिसर्च फर्म की रिपोर्ट का कंपनियां बेसब्री से इंतजार करती थी पर अब उपभोक्ताओं के फीडबैक का भी महत्व बढ़ गया है। इसके लिए वे इंटरनेट, रिटेल स्टोर्स और उपभोक्ता सर्वेक्षणों का सहारा लेती है। कुछ कंपनियां नए उत्पादों को मूर्तरूप देने में भी उपभोक्ताओं की मदद लेती है। इंटरनेट पर क्रय विक्रय की लालसा ने भी लोगों को टेक्नो फ्रेंडली बनने में मदद की है। अब सभी को पता है कि बाजार में क्या नया आ रहा है? कब आ रहा है? कौन ला रहा है और उसकी विशेषता क्या है? वेब पोटर्ल्स पर उनके रिव्यू आ जाते हैं। फेसबुक पर यूजर्स के फीडबैक भी तुरंत ही प्राप्त हो जाते हैं। कार बाजार को देखें तो कंपनियों द्वारा बेचे गए वाहन वापस लेकर उनमें सुधार करने का चलन भी तेजी से बढ़ा है। टेक्सटाइल इंडस्ट्री हो, इलेक्ट्रॉनिक कंज्यूमर प्रोडक्ट हो, बेबी प्रोडक्ट्स हो या कंपनियां जल्द से जल्द बाजार में अपने उत्पाद फेंकना चाहती है। इनका टारगेट ग्रुप तो हमेशा से ही लेटेस्ट फैशन से जुड़ा रहना चाहता है और प्रोडक्ट के लांच होते ही उसे खरीद लेना चाहता है। पहले लोग सालों अपना टेलिफोन नहीं बदलते थे पर अब हर साल एक नई तकनीक उन्हें अपना मोबाइल बदलने को मजबूर कर देती है। पहले घरों में एक ही ब्लैक एंड व्हाइट टीवी हुआ करता था पर कलर टीवी, एलसीडी, एलईडी से होते हुए स्मार्ट टीवी का जमाना आ गया है। ग्रामोफोन आउटडेटेड हो गए हो उनकी जगह डीजिटल उपकरणों ने ले ली। किसी भी प्रोडक्ट की लांचिग के लिए उसकी सप्लाई चेन का दुरुस्त होना भी बेहद जरूरी है। इंटरनेट से लोगों को किसी भी प्रोडक्ट की खुबियों और खामियों के बारे में आसानी से पता चल जाता है। प्रोडक्ट लोगों को पसंद आया तो उसे हाथों हाथ ले लिया जाता है।सप्लाय चेन भी किस तरह कार्य करती है यह अब कंपनियों के लिए अब बहुत मायने रखता है। यदि कंपनी की सप्लाय चेन ठीक है तो वह बहुत तेजी से अपने प्रोडक्ट्स को बेच सकती है। इसके लिए नीतियां और सोच तो ज्यादा नहीं बदली है पर हां कार्यान्वयन का तरीका जरूर बदला है। पहले प्लानिंग पर ही सारा ध्यान रहता था जबकि कार्यान्वयन को लगभग नजरअंदाज कर दिया जाता था पर अब स्थितियां बदल गई है और दोनों को समान महत्व दिया जा रहा है। उपभोक्ताओं से प्राप्त फीडबैक्स पर अमल कर तुरंत ही उसका अपग्रेडेड वर्जन भी लांच कर दिया जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि टेकनोलॉजी पुरानी होने से पहले ही कंपनी फिर नया प्रोडक्ट बाजार में लांच कर दे।किसी भी नए प्रोडक्ट का आंकलन करते हुए इस बात पर भी ध्यान रखा जा रहा है कि कितना रॉ मटेरियल और पैकेजिंग मटेरियल का उपयोग किया जा रहा है? उसका अनुपात क्या होगा और उस पर कितना खर्च आएगा? प्रोडक्ट की लागत क्या होगी? यह प्रक्रिया भी पहले की अपेक्षा बहुत तेज हुई है।भले ही कंपनियां प्रोडक्ट लांच करने में जल्दबाजी कर रही हो पर इतनी भी नहीं कि उसका असर उस प्रोडक्ट सेहत पर पड़े। एक फीचर किसी भी प्रोडक्ट को सफलता के शिखर पर पहुंचा सकता है तो एक गलती उसी प्रोडक्ट को अर्श से फर्श पर भी ला सकती है। (वेबदुनिया न्यूज)