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Navratri 2019 Shubh Sanyog : इस नवरात्रि पर माता रानी आ रही हैं हाथी पर, यहां जानिए दुर्लभ शुभ संयोग

Navratri 2019 Shubh Sanyog : इस नवरात्रि पर माता रानी आ रही हैं हाथी पर, यहां जानिए दुर्लभ शुभ संयोग - Shardiya Navratri 2019 shubh sanyog
29 सितंबर 2019 से माता रानी का शुभ आगमन हो रहा है। इस वर्ष दुर्गा पूजा के दौरान अद्भुत संयोग बन रहा है। शारदीय नवरात्र का कलश स्थापन रविवार के साथ-साथ हस्त नक्षत्र में हो रहा है। 
 
इसमें सूर्य और चंद्रमा दोनों हस्त नक्षत्र में रहेंगे जिससे दुर्लभ संयोग बन रहे हैं तथा नवरात्रि के दौरान सूर्योपासना विशेष फलदायी होगी।  
 
क्योंकि सूर्य और चंद्र का एक नक्षत्र में होने से महादुर्लभ हितकारी योग का संचरण होता है जो निश्चित रूप से जन कल्याणकारी होगा। इस बार ग्रह परिवार में सूर्य राजा और चंद्रमा मंत्री की भूमिका में हैं। दोनों शक्तियां एक साथ काम करेंगी तो यह सुयोग्य समाज और राष्ट्र में व्याप्त वैचारिक मतभेद को मिटाकर एक नई दिशा देगा।
 
दुर्लभ संयोग के कारण लोगों को नवरात्रि के दौरान भगवती की पूजा के साथ-साथ सूर्य की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। यह अति सौभाग्यदायी होगा। नवरात्रि में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं जो आने वाले समय में वृष्टि कारक होगा, यानी वर्षा अधिक होगी तो फसलें भी अच्छी होंगी। वहीं, माता की विदाई 8 अक्टूबर मंगलवार को चरणायुद्ध (मुर्गा) पर हो रही है जो शुभदायक नहीं है यह स्थिति हर तरफ विकलता और विफलता पैदा कर सकती है।
 
29 सितंबर को कलश स्थापना के साथ ही शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाएगी और प्रथम दिन शैलपुत्री की उपासना होगी जबकि 30 सितंबर को मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप, 1 अक्टूबर को चंद्रघंटा स्वरूप, 2 अक्टूबर को कुष्मांडा स्वरूप, 3 अक्टूबर को स्कंदमाता स्वरूप, 4 अक्टूबर को कात्यायनी स्वरूप दर्शन एवं गज पूजा और बेल आमंत्रण दिया जाएगा। 5 अक्टूबर को कालरात्रि स्वरूप का दर्शन, पत्रिका प्रवेश एवं सरस्वती आवाहन पूजन होगी।
 
6 अक्टूबर को महागौरी स्वरूप का दर्शन, महाअष्टमी व्रत तथा निशा पूजा (जागरण) होगी। 7  अक्टूबर को मां के सिद्धीदात्री स्वरूप का दर्शन एवं महानवमी व्रत और हवन होगा। 8 अक्टूबर को अपराजिता पूजा, जयंती धारण के साथ कलश विसर्जन हो जाएगा। इस दिन विजयादशमी मनाई जाएगी।  दशहरे पर सर्वार्थ सिद्धि योग में कोई भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन नीलकंठ दर्शन का भी विधान है।

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