गुरुवार, 28 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. नवरात्रि
  4. navratri mantra

नवरात्रि पर मनचाही कामनापूर्ति के 6 सटीक और सरल मंत्र

नवरात्रि पर मनचाही कामनापूर्ति के 6 सटीक और सरल मंत्र - navratri mantra
हर वर्ष की तरह शारदीय नवरात्रि 1 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही है। 16 वर्ष बाद इस बार 10 दिन घट बैठेंगे। साधना की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण समय है। इसमें अपने जीवन की समस्याओं का निराकरण पूरी तरह से हो सकता है। 8 दिवसीय नवरात्रि में समय कम रहता है तथा जपानुष्ठान पूर्ण नहीं होते। 1 दिन तो हवनादि कर्म में जाता है।

9 दिन वैसे तो देवी दुर्गा की आराधना की जाती है, लेकिन अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए 10 महाविद्याएं या अन्य देवों की आराधना के लिए प्रशस्त समय माना गया है, चाहे भगवान राम-कृष्ण, लक्ष्मी, भैरव, मृत्युंजय देवता आदि। इन्हीं देवताओं के यंत्र-कवच आदि सिद्ध कर धारण किए जा सकते हैं या स्वयं नहीं सिद्ध कर सकें तो कहीं से उपलब्ध कर प्रयोग कर सकते हैं- 
(1) विवाह के लिए - कन्याएं स्फटिक शिवलिंग रखकर पूजा करें तथा नित्य 5 माला करें। 
 
मंत्र- 
 
'ॐ गौरीपति महादेवाय मम् इच्छित वर प्राप्त्यर्थ गौर्ये नम:'। 
 
जैसा कि मंत्र में 'इच्‍छित' शब्द है। यदि मनपसंद वर का नाम तथा मंत्र भोजपत्र पर लिखकर शिवलिंग के नीचे रखकर पूजन करें तो मनपसंद विवाह हो जाता है।
(2) संतान प्राप्ति के लिए- बालगोपाल या लड्डूगोपाल का पूजन करें, यथाशक्ति मिश्री का नैवेद्य लगाएं तथा निम्न मंत्र की 5 माला जप करें तथा प्रसाद रूप में मिश्री छोटे बच्चों में बांटें। 
 
मंत्र-
 
'ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनय कृष्ण, त्वाम् अहम् शरणं गत: क्लीं ॐ।' 
 

(3) घर-परिवार में तनाव हो, हानि-दुर्घटना की आशंका हो या कोई बड़ी समस्या हो जिसका निवारण नहीं मिल रहा हो तो देवी मंत्र जपें-
 
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।

(4) युवक जिनकी विवाह समस्या हो या वे अपनी पसंद की कन्या से विवाह चाहते हों, जिसके कार्य में रुकावटें कैसी भी हों, जपें-
 
'ॐ पत्नी मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम।
तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम।।' 
(5) यह आम बात सुनने में आती है कि पितृदेव, जिनका निवारण सरल नहीं है, यदि पितृ-गायत्री मंत्र का यथाशक्ति जप नवरात्रि में किया जाए तो काफी प्रभावी रहता है- 
 
'ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगीभ्य एव च।
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्वमेव नमो नम:'

तथा नवरात्रि के पश्चात 1 माला नित्य करें। कठिन हो तो 'ॐ पितृ देवतायै नम:' करें।
(6) कुलदेवता की प्रसन्नता के लिए मंत्र-
 
'ॐ कुलदेवतायै नम:' के सवा लाख जप करें तथा नित्य 1 माला करें। इति।
ये भी पढ़ें
नवरात्रि : राशि के अनुसार जानें किस महाविद्या की उपासना है शुभ