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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : गुरुवार, 26 मार्च 2020 (13:52 IST)

चैत्र नवरात्रि : सप्तमी, अष्टमी और नवमी का क्या है महत्व, जानिए

चैत्र नवरात्रि : सप्तमी, अष्टमी और नवमी का क्या है महत्व, जानिए - Chaitra Navratri
चैत्र नवरात्रि में व्रत रखा है तो कई घरों में सप्तमी, अष्टमी या नवमी को व्रत का समापन करते हैं। समापन के दौरान कई तरह के व्यंजन बनाते हैं। व्यंजन बनाते वक्त निम्नलिखित भोजन का ग्रहण करने से बचें। वैसे यह नियम सभी सप्तमियों पर लागू होते हैं। 
 
तिथियों का ज्ञान हमें ज्योतिष शास्त्र और पुराणों में मिलता है। किस तिथि में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इस संबंध में आयुर्वेद में भी उल्लेख मिलता है।
 
सप्तमी : सप्तमी के स्वामी सूर्य और इसका विशेष नाम मित्रपदा है। शुक्रवार को पड़ने वाली सप्तमी मृत्युदा और बुधवार की सिद्धिदा होती है। आषाढ़ कृष्ण सप्तमी शून्य होती है। इस दिन किए गए कार्य अशुभ फल देते हैं। इसकी दिशा वायव्य है। सूर्य, रथ, भानु, शीतला, अचला आदि कई सप्तमियों को व्रत रखने का प्रचलन है।
 
क्या नहीं खाएं : सप्तमी के दिन ताड़ का फल खाना निषेध है। इसको इस दिन खाने से रोग होता है।
 
अष्टमी : इस आठम या अठमी भी कहते हैं। कलावती नाम की यह तिथि जया संज्ञक है। मंगलवार की अष्टमी सिद्धिदा और बुधवार की मृत्युदा होती है। इसकी दिशा ईशान है।
 
क्या न खाएं : अष्टमी के दिन नारियल खाना निषेध है, क्योंकि इसके खाने से बुद्धि का नाश होता है। इसके आवला तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना निषेध है।
 
नवमी : यह चैत्रमान में शून्य संज्ञक होती है और इसकी दिशा पूर्व है। शनिवार को सिद्धदा और गुरुवार को मृत्युदा। अर्थात शनिवार को किए गए कार्य में सफलता मिलती है और गुरुवार को किए गए कार्य में सफलता की कोई गारंटी नहीं। 
 
क्या ना खाएं : नवमी के दिन लौकी खाना निषेध है, क्योंकि इस दिन लौकी का सेवन गौ-मांस के समान माना गया है।
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