फैसला सरकार करे: आचार्य धर्मेंद्र
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में शामिल और महासचिव आचार्य धर्मेन्द्र ने कहा कि मानव का स्वाभाविक सा संस्कार है कि अगर कोई बात उसके अनुकूल होती है तो वह प्रसन्न होता है और अगर प्रतिकूल होती है तो दुख होता है, निराशा होती है। हम स्वयं को पक्ष या विपक्ष नहीं मानते।'
वेबदुनिया' से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि एक राष्ट्रगौरव होता है और एक राष्ट्रद्रोह होता है। दो पक्ष कभी भी न्यायपूर्ण नहीं हो सकते। जहाँ पक्ष और विपक्ष है वहाँ जाहिर सी बात है कि कोई एक न्यायसंगत नहीं है। हम महज इतना चाहते हैं कि अतिक्रमण की चेष्टा दुबारा ना हो।आचार्य ने कहा कि न्यायालय पक्ष-विपक्ष का फैसला तो कर सकता है मगर राष्ट्र की तकदीर का फैसला जनता करती है, सरकार करती है। हम चाहते हैं सरकार अपनी आँखें खुली रखे। करोड़ों लोगों की आस्था के कुछ तो मायने होंगे।उन्होंने कहा कि हमने अंग्रेजों के जाने के बाद विक्टोरिया की प्रतिमा हटाई, जार्ज की प्रतिमा हटाई, वैसे ही गुलामी का हर प्रतीक हटाया जाना चाहिए। काशी, अयोध्या हो या मथुरा, अतिक्रमण ही तो हटाने की बात है और तो कुछ नहीं। अगर फैसला किसी के विरूद्ध आता है तो हम संयम की अपेक्षा करते हैं। (वेबदुनिया)