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Written By भाषा
Last Modified: लखनऊ , शुक्रवार, 17 जनवरी 2014 (19:05 IST)

दंगा पीड़ितों का पुनर्वास सराहनीय-बालकृष्णन

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
लखनऊ। मुजफ्फरनगर और शामली के दंगा पीड़ितों को राहत और पुनर्वास के सवाल पर विपक्षी दलों की आलोचनाओं से घिरी अखिलेश यादव सरकार को एक तरह से राहत की सांस देते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उनके पुनर्वास की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना की है। मगर साथ ही राहत शिविरों चिकित्सा और साफ-सफाई की व्यवस्था को अपर्याप्त बताया है।

मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति केजी बालकृष्णन ने मानवाधिकार हनन के मामलों पर तीन दिन की सुनवाई के बाद शुक्रवार को यहां कहा, राज्य सरकार के अनुसार मुजफ्फरनगर और शामली में हुए दंगों के बाद विस्थापित होकर राहत शिविरों में पहुंचे 58 हजार लोगों में से अब तक 51 हजार लोग या तो अपने घरों को लौट गए हैं अथवा कहीं अन्य बस गए हैं। अब केवल 2600 लोग ही शिविरों में हैं।

बालकृष्णन ने कहा हालांकि 51 हजार लोगों का पुनर्वास करके सरकार ने सराहनीय काम किया है, मगर राहत शिविरों में चिकित्सा और साफ-सफाई की सुविधा पर्याप्त नहीं थी। यह कहते हुए कि सरकार ने 3 दिसम्बर तक राहत शिविरों में कई बच्चों सहित 47 लोगों के मरने की बात स्वीकार की है।

उन्होंने बताया कि आयोग ने राज्य सरकार को उन सभी मामलों में मौत के कारणों की जांच करके पीड़ित परिवारों को समुचित मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि सरकार के अनुसार, राहत शिविरों में महिला उत्पीड़न के 13 मामले दर्ज किए गए हैं। मगर उनमें अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। (भाषा)