Last Modified: नई दिल्ली (भाषा) ,
रविवार, 12 अगस्त 2007 (15:18 IST)
तिलिस्मी कालीन पर सैर अब दूर नहीं
अब वह दिन दूर नहीं, जब अलिफ लैला के उलाउद्दीन की तरह किसी तिलिस्मी कालीन पर बैठकर आसमान की सैर की जा सकेगी।
विज्ञान पत्रिका न्यू साइंटिस्ट में पिछले हफ्ते प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अदृश्य करने वाले लिबास से लेकर जादुई कालीन पर आसमान की सैर तक सभी अनोखी जादुई चीजें अब दादी-नानी के किस्से-कहानियों से निकलकर वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में हकीकत में तब्दील हो रही हैं।
दरअसल तिलिस्मी कालीन पर अलाउद्दीन के अनोखे हवाई सफर जैसी कहानियाँ लंबे समय से वैज्ञानिकों के मन-मस्तिष्क को उद्वेलित कर रही थी और उन्हें आकाश गामिता की संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रेरित कर रही थी।
वैज्ञानिकों ने इस सिलसिले में प्रयोगशालाओं में अनगिनत प्रयोग किए। इसी तरह के एक प्रयोग में उन्होंने शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल कर एक मेंढक को ऐसी एक सैर कराने में कामयाबी भी पाई।
बहरहाल मेंढक को आकाशगामी बनाने के इस प्रयोग में विशाल चुंबक का उपयोग किया गया। यह इस प्रयोग की एक सीमाबद्धता भी थी, क्योंकि इसमें विशाल मात्रा में चुंबकीय ऊर्जा का इस्तेमाल किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार आकाशगामिता की यह संभावना लोगों की निगाहों से ओझल कर देने वाले लिबास को किस्से-कहानियों से निकालकर यथार्थ में बदलने की कोशिश कर रहे ब्रिटिश वैज्ञानिकों के अनुसंधान से जगी है।
सेंट एंड्रयूज यूनिवर्सिटी के उल्फ लियोनहार्ड्ट और लंदन के इंपीरियल कॉलेज के जान पेंड्री के नेतृत्व वाली टीमों ने पिछले ही साल इस तरह के लिबास या आवरण को मूर्त रूप दिया।
लियोनहार्ड्ट और पेंड्रे का यह तिलिस्मी लिबास तथाकथित मेटामैटरियल का बना है। मेटामैटरियल धातु की इकाइयों और तारों के जटिल विन्यास से बने होते हैं।
न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि धातु की ये इकाइयाँ प्रकाश के तरंग दैर्घ्य से भी छोटी होती हैं। अपने इसी सूक्ष्म आकार के चलते उन्हें इस तरह डिजाइन किया जा सकता है कि वे यह नियंत्रण कर सके कि विद्युत-चुंबकीय प्रकाश तरंगे उनके इर्द-गिर्द किस तरह गमन करें।
लियोनहार्ड्ट इन इकाइयों के बारे में बताते हैं कि वे स्पेस को रूपांतरित कर सकती हैं। विद्युत-चुंबकीय प्रकाश तरंगों को उन दिशाओं में गमन के लिए मोड़ सकती हैं, जिनमें वे सामान्य रूप से गमन नहीं कर रहीं।
मेटामैटरियल का यह तिलिस्म इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि लियोनहार्ड्ट और थॉमस फिल्बिन ने उसे एक नया आयाम देते हुए आकाशगामिता की संभावनाओं के द्वार खोले हैं। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने मेटामैटरियल को तथाकथित कैसिमिर प्लेटों के बीच डालकर कैसिमिर प्रभाव की परिघटना कराई।
दोनों वैज्ञानिकों का कहना है कि दो कैसिमिर प्लेटों के बीच मेटामैटरियल लाने से विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र की क्वांटम अस्थिरता नष्ट हो जाएगी। उनका कहना है कि इस क्रम में कैसिमिर बल विपरीत दिशा में कार्यशील होगा। ऐसे में ऊपरी प्लेट आकाशगामी होने के लिए बाध्य होगा। उनका यह प्रयोग न्यू जर्नल ऑफ फिजिक्स में प्रकाशित हो रहा है।
बहरहाल ब्रिटिश वैज्ञानिकों का यह तिलिस्म अभी माइक्रोवेव के दायरे तक सीमित है। अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि उनके इस प्रयोग को व्यावहारिक स्वरूप लेने में कितना समय लगेगा।
हारवर्ड यूनिवर्सिटी के फेडेरिको कैपासो सरीखे वैज्ञानिक इससे उत्साहित तो हैं, लेकिन उनका कहना है कि निकट भविष्य में वस्तुओं को आकाशगामी बनाना शायद ही संभव हो सके।
उधर कैलिफोर्निया रिवरसाइड यूनिवर्सिटी के उमर मोहीउद्दीन और उनके सहयोगियों ने एक कैसिमिर प्लेट की परावर्तकता बढ़ाकर कैसिमिर बल की ताकत के दोहन में सफलता हासिल की है। उनके इस प्रयोग ने आकाशगामिता को किस्से-कहानियों के दायरे से निकालकर यथार्थ के एक कदम और नजदीक कर दिया है।