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Last Updated : रविवार, 19 मार्च 2017 (00:58 IST)

भाजपा ने पहले ही कहा था...

भाजपा ने पहले ही कहा था... - Yogi Adityanath, BJP, Social Media
उत्तरप्रदेश में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद योगी आदित्यनाथ को भाजपा ने प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया। योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर भी बहस हो रही है क्या भाजपा ने सोची-समझी रणनीति के तहत योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया है। क्या भाजपा ने उप्र चुनाव से पहले ही योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना दिया था, यह सोशल मीडिया पर बहस का विषय बना हुआ है।

 
योगी आदित्यनाथ को कट्टर हिन्दीवादी नेता माना जाता है। योगी की छवि आमतौर पर एक उग्र हिन्दूवादी नेता की रही है। 2007 में गोरखपुर में साम्प्रदायिक झड़प की कुछ घटनाओं के बाद तत्कालीन सपा सरकार ने उन्हें गिरफ़्तार कर जेल भेजा था जिस पर प्रदेश के कुछ हिस्सों में उग्र प्रतिक्रिया भी हुई थी। योगी आदित्यनाथ समय-समय पर विवादित बयान भी देते रहे हैं। लव जिहाद और धर्मांतरण को लेकर भी उन्होंने विवादित बयान दिए हैं। 
 
भाजपा की उप्र चुनाव में रणनीति पर इसलिए भी प्रश्न खड़े होते हैं कि सबका साथ सबका विकास की बात कहने वाली भाजपा ने इन चुनावों में एक भी मुसलमान को उम्मीदवार के रूप में खड़ा नहीं किया। अमित शाह ने उत्तर प्रदेश प्रभारी बनने के बाद जब गोरखपुर का दौरा किया था तो योगी आदित्यनाथ से बंद कमरे में घंटेभर बातचीत की थी।  
 
उत्तरप्रदेश में बसपा, सपा की सरकार रहते हुए भी उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि दोनों दलों के नेता अपने भाषणों में उन पर सांप्रदायिक हिंसा के आरोप लगाते रहे हैं। इस जीत के बाद योगी आदित्यनाथ को उप्र की कमान देकर भाजपा उप्र में सबको साथ लेकर कितना विकास कर पाती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। 
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा सबका साथ सबका विकास का है तो ये देखना दिलचस्प होगा कि सबका साथ में योगी के लिए उत्तर प्रदेश के मुसलमान आते हैं या नहीं, क्योंकि अब ज़िम्मेदारी ना तो सिर्फ गोरखपुर की है और न ही सिर्फ राम मंदिर बनवाने की। ज़िम्मेदारी उस राज्य की है जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे अधिक। 2019 के लिए भाजपा का यह मास्टर कार्ड कितना काम करेगा, यह जानने के लिए इंतजार करना पड़ेगा।