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  4. YES Bank share falls upto 75%, 4 lakh crore loss in 1 min
Written By वेबदुनिया न्यूज डेस्क
Last Updated : शुक्रवार, 6 मार्च 2020 (12:39 IST)

1 मिनट में निवेशकों के 4 लाख करोड़ डूबे, YES Bank के शेयर 75% गिरे जानिए ऐसा हुआ कैसे...

1 मिनट में निवेशकों के 4 लाख करोड़ डूबे, YES Bank के शेयर 75% गिरे जानिए ऐसा हुआ कैसे... - YES Bank share falls upto 75%, 4 lakh crore loss in 1 min
YES Bank के शेयर 75 प्रतिशत गिरने और सेंसेक्स के 1400 अंक नीचे जाने से महज 1 मिनिट में निवेशकों के 4 लाख करोड़ डूबने की खबर से निवेशकों में अफरा-तफरी का माहौल है। कोरोना वायरस की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था को यस बैंक संकट ने जोरदार झटका दिया है। 
 
इस पूरे मामले पर फायनेंशियल एक्स्पर्ट योगेश बागोरा बताते हैं कि एक और तो दुनियाभर में कहर मचा रहे कोरोना वायरस से वैश्विक बाजार बुरी तरह प्रभावित हैं वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था को यस बैंक संकट ने एक और बड़ा झटका दिया है। 
 
बैंक के जमाकर्ता परेशान है और RBI ने 3 अप्रैल तक 50 हजार से ज्यादा की रकम निकालने पर रोक लगा दी है साथ ही निदेशक मंडल को भी टेकओवर कर लिया है। हालांकि विशेष परिस्थतियों में 5 लाख रुपए तक निकाले जा सकेंगे। 
 
कोरोना वायरस की वजह से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था का हाल बेहाल है। दुनियाभर के 77 देशों में वायरस फैलने से आयात‍ निर्यात पर बुरा असर पड़ा है। शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी जा रही है। इस समय YES बैंक की पतली हालत ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है।
 
बागोरा के अनुसार यह एक ऐसा समय है जब SBI cards के IPO के लिए सब्स्क्रिप्शन हो चुका है और इसे 20.81 गुना सब्सक्राइब किया गया था यानी मार्केट में इसे लेकर काफी उत्साह देखा गया। इसकी लिस्टिंग भी 16 तारीख को हो जाएगी। अक्टूबर 2017 में GIC RI के IPO के बाद एसबीआई कार्ड्स का आईपीओ सबसे बड़ा पब्लिक इश्यू है। ऐसे में जब SBI ने संकटग्रस्त बैंक में अपना हाथ डाला तो निवेशकों में हड़कंप मच गया।
 
यही वजह रहे कि शुक्रवार को जब बाजार खुला तो SBI के शेयरों में 12% की गिरावट देखी गई। YES बैंक का तो हाल ही बेहाल था और देखते ही देखते उसके शेयर 75 प्रतिशत तक गिर गए। कोरोना का कहर झेल रहे शेयर बाजारों पर इस घटना का बेहद बुरा असर पड़ा। मार्केट में इस समय नेगेटिव सेंटिमेंट है क्योंकि अब वित्तीय फर्मों में आशंका गहरा गई है कि कहीं विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से मुंह ना मोड़ लें।
 
यह स्थिति हमें एक बार फिर 2008 की मंदी की याद दिलाती है। उस समय अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर में हुई उठापटक से पूरी दुनिया मंदी की चपेट में आ गई थी। इस वर्ष सेंसेक्स में 58.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले बाजारों में भारत भी शामिल था।
 
माना जाता है कि उस समय भारतीय शेयर बाजार को उथलपुथल का एक बड़ा कारण रिलायंस पॉवर का IPO भी था जिसे बेहतरीन रिस्पॉन्स मिला था। रिलायंस के इस आईपीओ के लिए रिकॉर्ड आवेदन आए, मगर बाजार में आते ही यह धराशायी हो गया। लोगों को इस आईपीओ से बेहद उम्मीद थी, जो पलभर में धूल में मिल गई। 
 
निवेशकों को बोनस शेयर देने की योजना भी रिलायंस के इस आईपीओ को सहारा देने में विफल रही। रिलायंस का हश्र देखकर कई दिग्गजों ने अपने आईपीओ को बाजार में लाने का फैसला टाल दिया था। 
 
वर्तमान स्थिति को देखते हुए एक बार फिर से सवाल उठ रहे हैं कि भारत, खासतौर पर मोदी सरकार इस संकट का सामना कैसे करेगी। 
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