वॉशिंगटन। राष्ट्रपति पद की दौड़ में डोनाल्ड ट्रंप की धमाकेदार जीत और उनका चुनावी अभियान खबरों में छाया रहा। यह साल भारत-अमेरिकी संबंधों के लिए शानदार साबित हुआ, क्योंकि दोनों देशों ने इतिहास की झिझक को छोड़कर प्रतिरक्षा, आतंकनिरोध और असैन्य परमाणु ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में करीबी सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाया।
राजनीति में बाहरी माने जाने वाले ट्रंप की जीत और उनकी मजबूत प्रतिद्वंद्वी हिलेरी क्लिंटन की हार ने पूरी दुनिया को अचंभे में डाल दिया। अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति चुने गए 70 वर्षीय अरबपति कारोबारी राजनीति में महज 18 महीने पहले आए थे। सबसे पहले उन्होंने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के इच्छुक रिपब्लिकन पार्टी के 16 अन्य दावेदारों को पछाड़कर नामांकन हासिल किया और फिर जीत के काफिले को बढ़ाते हुए हिलेरी को हराया।
अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में ट्रंप का प्रचार अभियान सबसे ज्यादा खराब रहा और इससे उपजे विवाद ज्यादातर वक्त खबरों में छाए रहे। इस दौरान ट्रंप ने कथित तौर पर मुस्लिम विरोधी बातें कहीं और यौनवादी टिप्पणियां कीं। चुनावी मौसम में आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला भी चला। कई महिलाओं ने ट्रंप पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया तो हिलेरी ई-मेल विवादों में घिरी रहीं।
ई-मेल विवाद हिलेरी पर बहुत भारी पड़ा। ज्यादातर सर्वेक्षणों में जब हिलेरी को ट्रंप पर बढ़त मिलती दिख रही थी उसी दौरान एफबीआई ने इस मामले में फिर से जांच शुरू करने की घोषणा की और पलड़ा ट्रंप के पक्ष में झुक गया, हालांकि एफबीआई ने चुनाव से ठीक पहले उन्हें क्लीन चिट दे दी थी लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
चुनाव के अलावा अकेले हमलावर, नरसंहार भी विमर्श में बने रहे। 9/11 के बाद अमेरिका में सबसे भयावह आतंकी हमला ऑरलैंडो गे नाइट क्लब में हुआ। यहां 29 वर्षीय सुरक्षाकर्मी उमर मतीन ने अंधाधुंध गोलीबारी कर 49 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
अमेरिका में चुनाव के बाद घृणा अपराध बढ़े, हिजाब पहनने वाली महिलाओं पर हमले तेज हुए जिसका दोष कई लेागों ने ट्रंप के अभियान को दिया। द्विपक्षीय मोर्चे पर प्रधानमंत्री मोदी उन चुनिंदा विश्व नेताओं में थे जिनसे ट्रंप ने जीत के बाद फोन पर बात की। मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र में ऐतिहासिक भाषण दिया। मोदी और राष्ट्रपति बराक ओबामा की 3 बार मुलाकात हुई।
इस साल भारत-अमेरिका के बीच लंबे समय से लंबित सैन्य संसाधन समझौता भी हुआ। अमेरिका ने भारत को प्रमुख रक्षा सहयोगी बताया और भारत को प्रतिष्ठित मिसाइल तकनीक नियंत्रण शासन (एमटीसीआर) का सदस्य बनवाने में अह्म भूमिका निभाई। चीन के विरोध के बावजूद अमेरिका ने भारत को विशिष्ट परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बनाने की पूरी कोशिश की, जो असफल रही।
ट्रंप सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि वे मोदी के प्रशंसक हैं। भारत की अर्थव्यवस्था सुधारने और लालफीताशाही को खत्म करने की दिशा में कदम उठाने के लिए उन्होंने मोदी की प्रशंसा की। दोनों देशों के बीच संबंध क्लिंटन प्रशासन में मजबूत हुए जिन्हें बुश प्रशासन ने असैन्य परमाणु समझौते के साथ आगे बढ़ाया और ओबामा प्रशासन में ये नई ऊंचाइयों पर पहुंचे।
ओबामा प्रशासन में विदेश मंत्रालय में पूर्व अधिकारी एलिसा आयरेस ने कहा कि भारत-अमेरिकी संबंधों के लिए 2016 शानदार वर्ष रहा। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एमिली हॉर्न ने बताया कि जैसा कि जून 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को दिए संबोधन में कहा था कि भारत और अमेरिका ने इतिहास की झिझक को दूर कर साझेदारी में आड़े आने वाले अवरोधों को सेतु में बदल दिया।
हॉर्न ने कहा कि बीते साल रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा। भारत और अमेरिका ने 6 अह्म सैन्य अभ्यास किए। रक्षा व्यापार 15 अरब डॉलर तक पहुंच गया। भारत में 6 परमाणु रिएक्टरों की स्थापना के लिए न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और वेस्टिंग हाउस ने निर्माण स्थल पर तैयारी शुरू कीं। यह अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा परमाणु रिएक्टर समझौता है जिससे 6 करोड़ भारतीयों को बिजली मिलेगी। (भाषा)