• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. World War, US, Russia, military action, European countries
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2016 (14:10 IST)

तीसरे विश्व युद्ध में भी बदल सकता है टकराव

तीसरे विश्व युद्ध में भी बदल सकता है टकराव - World War, US, Russia, military action, European countries
सीएनएन की डिजिटल सेवा की निकोल गाउते और एलिस लैबिट ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि आरोपों, प्रत्यारोपों और मतभेदों के भारी भरकम दबावों के बीच अमेरिका और रूस के संबंध बड़ी तेजी से खराब हो गए हैं। दोनों के बीच सीरिया में सैन्य कार्रवाई को लेकर प्रतियोगिता, पूर्वी यूरोपीय देशों की स्वतंत्रता को लेकर विवादों और बढ़ते साइबर हमलों के मुद्दों को लेकर दोनों पक्षों के संबंध सीधे टकराव तक पहुंच गए हैं।
रूस-अमेरिका टकराव पर विल्सन सेंटर के केनन इंस्टीट्‍यूट के निदेशक मैथ्यू रोजांस्की का कहना है कि यह एक बड़ा टकराव है और इसको लेकर कोई संदेह नहीं होगा चाहिए। विदित हो कि मंगलवार को ही व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कहा कि अमेरिकी राजनीतिक गुटों पर कथित रूसी हैकिंग का जवाब देने का 'क्या दायरा हो' और 'यह किस समानुपात में हो', इस विषय को लेकर अमेरिका विचार कर रहा है। इससे भी पहले शुक्रवार को वाशिंगटन ने सार्वजनिक तौर पर क्रेमलिन पर अमेरिकी चुनाव व्यवस्था और लोकतंत्र पर साइबर हमले करने का आरोप लगाया था।
यह बात तब देखी गई जब सीरिया में युद्ध विराम को लेकर हुई दोनों पक्षों की वार्ता टूट गई जबकि वार्ता के दौरान अमेरिकी अधिकारियों ने सुझाव दिया था कि रूस को युद्ध विरोधी सेनाओं से घिरे अलेप्पो शहर में युद्ध अपराध के मामलों की जांच करनी चाहिए। बाद में, मॉस्को ने दृढ़तापूर्वक से इनकार किया कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में दखल दे रहा है।
 
इसी सप्ताह सीएनएन की क्रिस्ट्रियन अमानपोर ने रूसी विदेशी मंत्री सेर्गेई लावरोव ने कहा था कि यह एक निराधार आरोप है। लावरोव का कहना था कि 'एक क्षेत्रीय ताकत (जैसा कि कुछ समय पहले राष्ट्रपति ओबामा ने रूस को बताया था) के लिए इस तरह का ध्यान देना भी किसी चापलूसी से कम नहीं है। हमने एक भी तथ्य नहीं देखा, कोई भी एक प्रमाण नहीं।'
डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन ने यह कहकर हैकिंग की घटनाओं को इंगित किया था कि रूस, रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रम्प को पसंद करता है। तब बुधवार को एक निवेश मंच से रूसी राष्ट्रपति ने इस आरोप को खारिज कर दिया था। पु‍तिन का कहना था कि चुनाव में रूस की रुचि के नाम पर उन्माद पैदा किया गया हालांकि इस मामले में रूस के हित को लेकर कुछ भी नहीं है। इस सारे उन्माद को पैदा करने का कारण यह है कि अमेरिकी जनमत को अपने पक्ष में करने की तिकड़मों के बारे में भूल जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि 'इस बारे में कोई भी बात नहीं कर रहा है, हर कोई जानना चाहता है कि यह किसने किया। महत्वपूर्ण यह है कि इसके अंदर क्या है और यह जानकारी किस बारे में है। 

अगले पन्ने पर, मॉस्को ने तोड़ा समझौता...


इस बीच मॉस्को ने अमेरिकी आक्रामकता का हवाला देते हुए एक परमाणु सुरक्षा समझौता तोड़ दिया और परमाणु हथियारों से सज्जित इसकंदर मिसाइलों को यूरोप में नाटो देशों के क्षेत्रीय किनारों पर स्थापित कर दिया है। इसके अधिकारियों ने परमाणु हथियारों के संभावित उपयोग को लेकर भी खुलेआम मामला उठाया है। मॉस्को और वाशिंगटन के बीच का तनाव बर्लिन की दीवार गिराए जाने के बाद सबसे चरम पर पहुंच गया है। हालांकि सोवियत संघ के तत्कालीन नेता मिखाइल गोर्बाचौफ ने सोमवार को वार्ता और तनाव कम करने पर जोर दिया था।
एएफपी की एक रिपोर्ट के अनुसार गोर्वाचौफ ने कहा कि दुनिया तनाव के एक खतरनाक बिंदु पर पहुंच गई है। इसे रोकने की जरूरत है और हमें बातचीत को फिर से शुरू करने की जरूरत है। वे सीरिया वार्ता से अमेरिका के हटने पर टिप्पणी कर रहे थे। 
 
मैकार्थर फाउंडेशन के रूसी कार्यालय के पूर्व निदेशक इगोर जेवेलेव का कहना था, 'वास्तव में, यह शीत युद्ध नहीं है। यह बहुत ही खतरनाक और अप्रत्याशित स्थिति है।' इस बात की संभावना नहीं है कि तनाव किसी भी समय पर कम हो जाएगा, जबकि वास्तविक संभावना इस बात की है कि जबकि दोनों देशों की राजधानियों के बीच बातचीत के माध्यम कम हो रहे हैं और जैसे को तैसा की स्थितियां बन रही हैं। इस मामले पर एक प‍‍श्च‍िमी राजनयिक का कहना है कि पश्चिमी देशों और रूस के बीच पिछले टकरावों के दौरान तनाव के धीरे-धीरे बढ़ने और जब इसके रोकने का समय आता तब दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति बन जाती थी। 
 
राजनयिक का कहना है कि सीरिया में रूस की कार्रवाई और नाटो के दरवाजे पर अपने परमाणु मिसाइल तैनात करने का फैसला और इसके साइबर हमलों, से आप समझ सकते हैं कि ये मामले खुद की बिगड़ते जा रहे हैं और चरम बिंदु तक पहुंच रहे हैं। यह बिल्कुल अलग ही तरीका है और जब आप नए रूसियों की बातें सुनते हैं तब हमें पता लगता है कि अब सामरिक संतुलन जैसी कोई चीज नहीं रही है, जिसे हम जानते थे। यह‍ स्थिति असामान्य और खतरनाक है।
 
हाल की घटनाओं में मॉस्को में अमेरिकी राजनयिकों को प्रताड़ित किया गया और रूसियों का कहना है कि उनकी विदेश सेवा के अधिकारियों का अमेरिका में पीछा किया जाता है। पिछले एक वर्ष के दौरान कई अवसरों पर रूसी जेट विमानों और नौसैनिक पोतों ने अमेरिकी सेना को तंग किया और मॉस्को की एक प्रमुख प्रतिरक्षा संधि को तोड़ा गया और इसके लिए जमीन से क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया गया। शिकायतों की लिस्ट काफी लंबी है। एक शीर्ष संयुक्त राष्ट्र अधिकारी द्वारा ट्रम्प के विरोध में की गई टिप्पणियों पर रूस ने विरोध दर्ज कराया था।
        
अमेरिका में रूस के राजदूत सेर्गेई किसलियाक का कहना है कि दोनों देशों के बीच संबंधों का स्तर निश्चित तौर पर शीत युद्ध के निम्नतर स्तर पर है। गलत अनुमान लगाने के जोखिम बढ़े हैं, विशेष रूप से तब जबकि परमाणु हथियारों को हमारी सीमाओं पर तैनात कर दिया गया है।
 
उन्होंने यह टिप्पणियां जॉन हॉपकिंस स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज में कीं। राजदूत का कहना था कि हम समझते हैं कि अमेरिका, रूस के साथ गैर- दोस्ताना कदम उठा रहा है जिनमें आर्थिक प्रतिबंध भी शामिल हैं। साथ ही, रूस को अलग-थलग करने का आह्वान भी किया जाता है। यह रूस के खिलाफ कारगर नहीं होगा और यह उपाय सफल नहीं होंगे। 
 
रूस के चैनल वन से इंटरव्यू करने वालों को लावरोव ने कहा कि रूस पर अमेरिकी नीति के आधार में आक्रामक रूस विरोधी प्रवृतियां देखी जा रही हैं जिसके चलते रुस ने तीन अक्टूबर को प्लूटोनियम पर आधारिक परमाणु सुरक्षा समझौते से अलग कर लिया है। उन्होंने कहा कि नाटो सेनाओं की तैनाती, बुनियादी सुविधाओं का निर्माण और मिसाइलों की तैनाती ऐसे आक्रामक कदम हैं जिनसे हमारे राष्ट्रीय हितों पर सीधा असर पड़ता है और इससे हमारी राष्ट्रीय प्रतिरक्षा पर असर पड़ेगा। 
 
अमेरिका की ओर से लावरोव के समकक्ष विदेश मंत्री जॉन केरी ने उस आह्वान का नेतृत्व किया जिसके तहत सीरिया में रूस की कार्रवाइयों की युद्ध अपराधों की जांच की मांग की गई। उनका कहना था कि अगर अमेरिका को 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप दिखता है तो यह इसके खिलाफ कार्रवाई करेगा। पालो आल्टो में सोमवार को कहा कि अमेरिकी चुनाव व्यवस्था और राजनीतिक दलों की हैकिंग कर वे बिना दंडित हुए भाग नहीं सकते हैं। जबकि इस मामले पर रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी इंटरफैक्स को रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने शुक्रवार को इन आरोपों को 'बकवास' बताया। 
 
केरी का कहना था कि इसके साथ ही अमेरिका ने रूस को एक 'स्पष्ट संदेश' दिया है कि हम अमेरिका में लोकतंत्र से दखलंदाजी स्वीकार नहीं करेंगे। उनका कहना था कि हम अपनी पसंद के तरीकों से जवाब दे सकते हैं और जवाब देंगे और तब समय भी हमारी ही पसंद का होगा। हिलेरी क्लिंटन के साथ पुतिन की दुश्मनी का पुराना रिकार्ड है। विदित हो कि क्लिंटन ने दिसंबर 2011 में आरोप लगाया था कि जब वे विदेश मंत्री थीं तो पुतिन के खिलाफ उन्होंने प्रदर्शन भड़काए थे। जबकि वर्ष 2008 में ‍‍‍‍‍‍‍‍क्ल‍िंटन ने मजाक किया था कि तत्कालीन राष्ट्रपति पुतिन की आत्मा का अंदाजा नहीं लगा सके थे क्योंकि रूसी राष्ट्रपति एक पूर्व केजीबी एजेंट हैं और ऐसे लोगों के पास कोई 'आत्मा' नहीं होती है।
 
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रोमानिया में अमेरिकी मिसाइल रक्षा स्टेशन कायम करने को लेकर बढ़ते विवाद के बीच कहा है कि रूस 'उभरते ख़तरों को बेअसर' करेगा। वे मानते हैं कि इस मिसाइल स्टेशन का मकसद रूस की परमाणु शक्ति को कमजोर करना है, लेकिन रूस भी रक्षा क्षेत्र में अपना खर्च को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूस की बढ़ती आक्रामक सैन्य गतिविधि पर चिंता जताई है।
 
खुद को फिर से महाशक्ति साबित कर रहा है रूस : पिछले कई दशकों के दौरान और खासतौर पर शीतयुद्ध के बाद शायद यह पहला मौका है जब दुनिया की किसी जंग में रूस और अमेरिका सीधे तौर पर एक दूसरे के खिलाफ खड़े दिख रहे हैं। शीत युद्ध के लंबे दौर में कभी भी ये दोनों देश जंग के मैदान में आमने-सामने नहीं हुए थे, लेकिन अब सीरिया में अप्रत्यक्ष तौर पर ये दोनों एकदूसरे के हितों को निशाना बनाते हुए उनके खिलाफ बम बरसा रहे हैं।
 
दरअसल शीत युद्ध का नतीजा रूस के 18 टुकड़ों में बंटने और उसके आर्थिक रूप से कमजोर होने के रूप में सामने आया था। इसे अमेरिका की जीत के तौर देखा गया। कमजोर हो चुका रूस काफी वर्षों तक वैश्विक मुद्दों पर अमेरिका से सीधे टकराव से बचता रहा, लेकिन ब्लादिमीर पुतिन जैसे तेजतर्रार राष्ट्रपति के नेतृत्व में रूस ने तेजी से खुद को आर्थिक और सैन्य स्तर पर मजबूत किया और दुनिया की महाशक्ति के रूप में फिर से अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पाने के लिए सीरिया में अमेरिका के सामने जा खड़ा हुआ। अगर अमेरिका और रूस के अहम और स्वार्थ का टकराव अगर इसी तरह जारी रहा तो दुनिया को तीसरा विश्व युद्ध भी झेलना पड़ सकता है।       
इस बीच मॉस्को ने अमेरिकी आक्रामकता का हवाला देते हुए एक परमाणु सुरक्षा समझौता तोड़ दिया और परमाणु हथियारों से सज्जित इसकंदर मिसाइलों को यूरोप में नाटो देशों के क्षेत्रीय किनारों पर स्थापित कर दिया है। इसके अधिकारियों ने परमाणु हथियारों के संभावित उपयोग को लेकर भी खुलेआम मामला उठाया है। मॉस्को और वाशिंगटन के बीच का तनाव बर्लिन की दीवार गिराए जाने के बाद सबसे चरम पर पहुंच गया है। हालांकि सोवियत संघ के तत्कालीन नेता मिखाइल गोर्बाचौफ ने सोमवार को वार्ता और तनाव कम करने पर जोर दिया था।
 
एएफपी की एक रिपोर्ट के अनुसार गोर्वाचौफ ने कहा कि दुनिया तनाव के एक खतरनाक बिंदु पर पहुंच गई है। इसे रोकने की जरूरत है और हमें बातचीत को फिर से शुरू करने की जरूरत है। वे सीरिया वार्ता से अमेरिका के हटने पर टिप्पणी कर रहे थे। 
 
मैकार्थर फाउंडेशन के रूसी कार्यालय के पूर्व निदेशक इगोर जेवेलेव का कहना था, 'वास्तव में, यह शीत युद्ध नहीं है। यह बहुत ही खतरनाक और अप्रत्याशित स्थिति है।' इस बात की संभावना नहीं है कि तनाव किसी भी समय पर कम हो जाएगा, जबकि वास्तविक संभावना इस बात की है कि जबकि दोनों देशों की राजधानियों के बीच बातचीत के माध्यम कम हो रहे हैं और जैसे को तैसा की स्थितियां बन रही हैं। इस मामले पर एक प‍‍श्च‍िमी राजनयिक का कहना है कि पश्चिमी देशों और रूस के बीच पिछले टकरावों के दौरान तनाव के धीरे-धीरे बढ़ने और जब इसके रोकने का समय आता तब दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति बन जाती थी। 
 
राजनयिक का कहना है कि सीरिया में रूस की कार्रवाई और नाटो के दरवाजे पर अपने परमाणु मिसाइल तैनात करने का फैसला और इसके साइबर हमलों, से आप समझ सकते हैं कि ये मामले खुद की बिगड़ते जा रहे हैं और चरम बिंदु तक पहुंच रहे हैं। यह बिल्कुल अलग ही तरीका है और जब आप नए रूसियों की बातें सुनते हैं तब हमें पता लगता है कि अब सामरिक संतुलन जैसी कोई चीज नहीं रही है, जिसे हम जानते थे। यह‍ स्थिति असामान्य और खतरनाक है।
 
हाल की घटनाओं में मॉस्को में अमेरिकी राजनयिकों को प्रताड़ित किया गया और रूसियों का कहना है कि उनकी विदेश सेवा के अधिकारियों का अमेरिका में पीछा किया जाता है। पिछले एक वर्ष के दौरान कई अवसरों पर रूसी जेट विमानों और नौसैनिक पोतों ने अमेरिकी सेना को तंग किया और मॉस्को की एक प्रमुख प्रतिरक्षा संधि को तोड़ा गया और इसके लिए जमीन से क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया गया। शिकायतों की लिस्ट काफी लंबी है। एक शीर्ष संयुक्त राष्ट्र अधिकारी द्वारा ट्रम्प के विरोध में की गई टिप्पणियों पर रूस ने विरोध दर्ज कराया था।
        
अमेरिका में रूस के राजदूत सेर्गेई किसलियाक का कहना है कि दोनों देशों के बीच संबंधों का स्तर निश्चित तौर पर शीत युद्ध के निम्नतर स्तर पर है। गलत अनुमान लगाने के जोखिम बढ़े हैं, विशेष रूप से तब जबकि परमाणु हथियारों को हमारी सीमाओं पर तैनात कर दिया गया है।
 
उन्होंने यह टिप्पणियां जॉन हॉपकिंस स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज में कीं। राजदूत का कहना था कि हम समझते हैं कि अमेरिका, रूस के साथ गैर- दोस्ताना कदम उठा रहा है जिनमें आर्थिक प्रतिबंध भी शामिल हैं। साथ ही, रूस को अलग-थलग करने का आह्वान भी किया जाता है। यह रूस के खिलाफ कारगर नहीं होगा और यह उपाय सफल नहीं होंगे। 
 
रूस के चैनल वन से इंटरव्यू करने वालों को लावरोव ने कहा कि रूस पर अमेरिकी नीति के आधार में आक्रामक रूस विरोधी प्रवृतियां देखी जा रही हैं जिसके चलते रुस ने तीन अक्टूबर को प्लूटोनियम पर आधारिक परमाणु सुरक्षा समझौते से अलग कर लिया है। उन्होंने कहा कि नाटो सेनाओं की तैनाती, बुनियादी सुविधाओं का निर्माण और मिसाइलों की तैनाती ऐसे आक्रामक कदम हैं जिनसे हमारे राष्ट्रीय हितों पर सीधा असर पड़ता है और इससे हमारी राष्ट्रीय प्रतिरक्षा पर असर पड़ेगा। 
 
अमेरिका की ओर से लावरोव के समकक्ष विदेश मंत्री जॉन केरी ने उस आह्वान का नेतृत्व किया जिसके तहत सीरिया में रूस की कार्रवाइयों की युद्ध अपराधों की जांच की मांग की गई। उनका कहना था कि अगर अमेरिका को 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप दिखता है तो यह इसके खिलाफ कार्रवाई करेगा। पालो आल्टो में सोमवार को कहा कि अमेरिकी चुनाव व्यवस्था और राजनीतिक दलों की हैकिंग कर वे बिना दंडित हुए भाग नहीं सकते हैं। जबकि इस मामले पर रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी इंटरफैक्स को रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने शुक्रवार को इन आरोपों को 'बकवास' बताया। 
 
केरी का कहना था कि इसके साथ ही अमेरिका ने रूस को एक 'स्पष्ट संदेश' दिया है कि हम अमेरिका में लोकतंत्र से दखलंदाजी स्वीकार नहीं करेंगे। उनका कहना था कि हम अपनी पसंद के तरीकों से जवाब दे सकते हैं और जवाब देंगे और तब समय भी हमारी ही पसंद का होगा। हिलेरी क्लिंटन के साथ पुतिन की दुश्मनी का पुराना रिकार्ड है। विदित हो कि क्लिंटन ने दिसंबर 2011 में आरोप लगाया था कि जब वे विदेश मंत्री थीं तो पुतिन के खिलाफ उन्होंने प्रदर्शन भड़काए थे। जबकि वर्ष 2008 में ‍‍‍‍‍‍‍‍क्ल‍िंटन ने मजाक किया था कि तत्कालीन राष्ट्रपति पुतिन की आत्मा का अंदाजा नहीं लगा सके थे क्योंकि रूसी राष्ट्रपति एक पूर्व केजीबी एजेंट हैं और ऐसे लोगों के पास कोई 'आत्मा' नहीं होती है।
 
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रोमानिया में अमेरिकी मिसाइल रक्षा स्टेशन कायम करने को लेकर बढ़ते विवाद के बीच कहा है कि रूस 'उभरते ख़तरों को बेअसर' करेगा। वे मानते हैं कि इस मिसाइल स्टेशन का मकसद रूस की परमाणु शक्ति को कमजोर करना है, लेकिन रूस भी रक्षा क्षेत्र में अपना खर्च को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूस की बढ़ती आक्रामक सैन्य गतिविधि पर चिंता जताई है।
 
खुद को फिर से महाशक्ति साबित कर रहा है रूस : पिछले कई दशकों के दौरान और खासतौर पर शीतयुद्ध के बाद शायद यह पहला मौका है जब दुनिया की किसी जंग में रूस और अमेरिका सीधे तौर पर एक दूसरे के खिलाफ खड़े दिख रहे हैं। शीत युद्ध के लंबे दौर में कभी भी ये दोनों देश जंग के मैदान में आमने-सामने नहीं हुए थे, लेकिन अब सीरिया में अप्रत्यक्ष तौर पर ये दोनों एकदूसरे के हितों को निशाना बनाते हुए उनके खिलाफ बम बरसा रहे हैं।
 
दरअसल शीत युद्ध का नतीजा रूस के 18 टुकड़ों में बंटने और उसके आर्थिक रूप से कमजोर होने के रूप में सामने आया था। इसे अमेरिका की जीत के तौर देखा गया। कमजोर हो चुका रूस काफी वर्षों तक वैश्विक मुद्दों पर अमेरिका से सीधे टकराव से बचता रहा, लेकिन ब्लादिमीर पुतिन जैसे तेजतर्रार राष्ट्रपति के नेतृत्व में रूस ने तेजी से खुद को आर्थिक और सैन्य स्तर पर मजबूत किया और दुनिया की महाशक्ति के रूप में फिर से अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पाने के लिए सीरिया में अमेरिका के सामने जा खड़ा हुआ। अगर अमेरिका और रूस के अहम और स्वार्थ का टकराव अगर इसी तरह जारी रहा तो दुनिया को तीसरा विश्व युद्ध भी झेलना पड़ सकता है।