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  4. Winter in Ladakh can increase the difficulty of soldiers, special caution about China
Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: बुधवार, 7 सितम्बर 2022 (14:20 IST)

लद्दाख में सर्दी बढ़ा सकती है सैनिकों की मुश्किल, चीन को लेकर विशेष सतर्कता

indo china
जम्मू। लद्दाख के मोर्चे की एक चिंताजनक बात यह है कि भारतीय सेना को एलएसी (LAC) पर इन सर्दियों में भी टिके रहने के साथ चीन से जंग की तैयारी भी करनी पड़ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीनी सेना और चीनी मीडिया की धमकियों के बाद यह संकेत मिलने आरंभ हुए हैं कि दोनों मुल्कों की सेनाओं के बीच एलएसी के विवादित क्षेत्रों में झड़पें हो सकती हैं। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि चीन कई मोर्चों पर उलझे होने के कारण लद्दाख सीमा पर अपनी खुन्नस निकाल सकता है।
 
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, पैंगांग झील, देपसांग, स्पंगुर झील, रेजांगला आदि के एलएसी के इलाकों में भारतीय सेना को युद्ध वाली स्थिति में ही रहने को कहा गया है। उसे अपने सैनिक साजोसामान को कुछ ही मिनटों के ऑर्डर पर जवाबी हमला करने की स्थिति में भी तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं।
 
तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे : अधिकारियों ने बताया कि लद्दाख में एलएसी पर जो इंतजामात किए जा रहे हैं उनमें लगातार तीसरे साल भयानक सर्दी से बचने के उपायों के अतिरिक्त ठीक सियाचिन हिमखंड की तरह युद्ध की स्थिति में बचाव और हमले करने की रणनीति अपनाने के लिए जरूरी इंतजाम भी शामिल हैं। जानकारी के लिए पिछले 38 सालों से दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धस्थल पर सियाचिन में शून्य से 40 डिग्री नीचे के तापमान में भी ‘युद्ध’ जारी है।
 
गंभीर हैं हालात : अधिकारियों के अनुसार, अगले महीने से लद्दाख को मिलाने वाले राजमार्ग बर्फबारी के कारण बंद होने आरंभ हो जाएंगे और ऐसे में सारा बोझ हवाई मार्ग पर आ जाएगा। एलएसी पर हालत कितने गंभीर हैं इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले करीब 3 महीनों से सर्दियों में पुनः टिके रहने की नहीं बल्कि चीन के साथ युद्ध होने की संभावना के मुताबिक ही तैयारियां की जा रही हैं। इसकी खातिर कई बार युद्धाभ्यास भी किए जा चुके हैं।
 
बर्फ में टिके रहने वाले टेंटों और पहने जाने वाले कपड़ों से अधिक जोर भयानक सर्दी में गर्मी का अहसास देने वाले बम प्रूफ बंकरों को बनाया जा चुका है। इन बंकरों को जमीन के नीचे बनाया गया है ताकि दुश्मन के हमलों से बचा जा सके। खासकर पिल बॉक्स और अन्य चौकियों को दुश्मन की नजर से बचाने का प्रयास किया गया है।
 
चीनी सैनिकों की क्षमता तुलनात्मक रूप से कम : दरअसल, एलएसी पर कोई पेड़-पौधे न होने के कारण मोर्चाबंदी में बहुत ज्यादा कठिनाई पेश आ रही है। जबकि उस पार चीनी सैनिक सर्दी में अभी भी अपने आपको अभ्यस्त नहीं कर पाए हैं जिस कारण चीनी सेना गर्मियों में भी अपने सैनिकों को प्रति सप्ताह बदलती रही है, जबकि पिछली दो सर्दियों में सैनिकों को प्रतिदिन बदलने का क्रम भी लाल सेना अपना चुकी है।
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