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  4. Why should Kashmiris be punished for the Pahalgam incident?
Last Updated : गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 (14:12 IST)

पहलगाम के गुनहगार आतंकियों से नफरत करो, कश्मीरियत से नहीं!

Pahalgam terror incident
पहलगाम आतंकी हमले में 28 पर्यटकों की मौत के बाद पूरा देश गुस्से में है। जम्मू कश्मीर सहित देश के कई राज्यों में लोग सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। आतंकियों ने जिस तरह से बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतारा उससे लोगों में नाराजगी है। कश्मीर के लोगों का कहना है कि यह इंसानियत का कत्ल है। कश्मीरी लोगों की मेहमाननवाजी का कत्ल हैं यह।

पहलगाम आतंकी हमला ऐसा समय हुआ है जब कश्मीर में पर्यटन व्यवसाय अपने पीक पर था। पूरे देश से लाखों पर्यटक छुट्टियां मनाने कश्मीर घाटी में मौजूद थे,हमले के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक अपने आगे के कार्यक्रम रद्द कर वापस लौट रहे है। कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही टिकी है। ऐसे में पर्यटकों से कश्मीर घाटी के वीरान होने का सबसे अधिक प्रभाव यहां के स्थानीय लोगों पर पड़ रहा है।

पहलगाम आतंकी घटना के विरोध में बुधवार को पूरे कश्मीर घाटी में बंद रखा गया। स्थानीय लोगों ने सड़क पर उतरकर आतंकी घटना का विरोध जताया है। वहीं प्रदर्शन में शामिल कश्मीर के स्थानीय लोगों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि आतंकी घटना का असर उनके व्यवसाय पर पड़ेगा। कश्मीर के स्थानीय लोगों को साफ कहना है कि जो भी इस घटना में शामिल है उसको कड़ी सजा मिले लेकिन इस घटना के लिए पूरी कश्मीरियत को बदनाम कर कठघरे में नहीं खड़ा किया जाए। उन्होंने कहा कि बीते लगभग चार दशक में कभी भी कश्मीर में पर्यटकों को निशान नहीं बनाया गया तो अब किन लोगों ने किस मकसद से पर्यटकों को निशाना बनाया, इसकी पूरी जांच होनी चाहिए।   

दरअसल पहलगाम की घटना को लेकर सोशल मीडिया में भी कई तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। सोशल मीडया पर पूरी घटना को हिंदू-मुस्लिम से जोड़कर देखा जा रहा है लेकिन वहीं कुछ ऐसी पोस्ट भी सोशल मीडिया पर साझा हो रही है जिसमें घटना के चश्मदीद पूरी घटना को लेकर एक अलग तरह की बात कह रहे है।

घटना के दिन पहलगाम में अपनी पत्नी के साथ मौजूद पर्यटक अमरेंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि वह घटना के एक दिन पहले ही पहलगाम पहुंचे थे और जब हमला हुआ तो वह घटना स्थल से मात्र 300–400 मीटर दूर थे। सोशल मीडिया पर अमरेंद्र लिखते  है कि आतंकी घटना में जो बेकसूर लोग मारे गए जिनमें कम से कम 3 घोड़े वाले भी थे उनके लिए बेहद दुःख और गुस्सा भी है। घटना स्थल से सिर्फ 300 से 400 मीटर पर घोड़े पर मोना और हम थे, अचानक गोलियों की तरतराहट और भागते लोग देख तुरंत समझ आ गया और जान प्राण ले कर हमारा भी घोड़ा वाला हमको ले कर भागा। फिर वापस होटल जो पहलगाम में ही था उसमें आ गया। टूर कल से ही शुरू हुआ था और पहले दिन ही ये सब हो गया, फिर आगे का सारा प्रोग्राम छोड़ वापस आ गए।

वह आगे लिखते है कि न्यूज में सुना रेकी किया गया था, जब पता था तो होने क्यों दिए, वहां किसी भी सिक्योरिटी फोर्स से एक भी फोर्स की तैनाती नहीं थी। खैर अब तो राजनीति चलती रहेगी कोई बोल रहा है जात नहीं धर्म पूछा आदि आदि। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। जो चले गए उनके लिए बेहद दुःख है। ध्यान रखिए हजारों बचाए गए हैं सिर्फ लोकल सपोर्ट के कारण संभव हो पाया है। घोड़ा वाला, गाड़ी वाला और होटल वाला सभी का सपोर्ट शानदार था। हालांकि गिद्ध लोग मौके के तलाश में रहते हैं, जहां होटल वाला पेमेंट नहीं लिया गाड़ी वाला पैसे नहीं लिया ड्राइवर रो कर जबरदस्ती करने पर टिप्स पकड़ा वहीं श्रीनगर से दिल्ली दो टिकट का 38000 पे करना पड़ा। आतंक फैलाने वाले और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई चलती रहनी चाहिए और इसमें पूरे देश को एकजुट रहना चाहिए।

पहलगाम आतंकी घटना के बाद जिस तरह से कश्मीर के लोगों ने सड़क पर उतकर अपना विरोध औऱ गुस्सा जताया है, वह यह बताता है कि यह कश्मीर की आवाम के लिए एक मौका है कि पाकिस्तान पोषित आतंकवाद को कश्मीर घाटी से खत्म करने लिए सुरक्षाबलों की खुलकर मदद करे जिससे घाटी में अमन-चैन कायम हो सके।