Uttarakhand UCC News : UCC को लेकर पिछले दिनों काफी बवाल मचा था। राजधानी समेत कई शहरों में इसे लेकर प्रदर्शन हुए थे। लेकिन अब उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान कर दिया है कि उत्तराखंड में कब सीएए लागू हो रहा है।
बता दें कि उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर बड़ा फैसला लिया है। उत्तराखंड भारत का पहला प्रदेश बनने जा रहा है, जहां समान नागरिक संहिता लागू होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट कर दिया है कि 2 फ़रवरी को कमेटी अपना ड्राफ्ट सौंपेगी और विधानसभा के आगामी सत्र में सरकार इसे लागू करेगी। मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि ड्राफ्ट मिलते ही इस पर विधेयक लाकर उसे लागू कर दिया जाएगा।
क्या लिखा सोशल मीडिया पर : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट एक्स पर लिखा, आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के एक भारत,श्रेष्ठ भारत के विजन और चुनाव से पूर्व उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता के समक्ष रखे गए संकल्प एवं उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप हमारी सरकार प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने हेतु सदैव प्रतिबद्ध रही है। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार करने के लिए बनी कमेटी 2 फरवरी को अपना ड्राफ्ट प्रदेश सरकार को सौंपेगी और हम आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक लाकर समान नागरिक संहिता को प्रदेश में लागू करेंगे।
विधेयक भी होगा पास : मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 5 फ़रवरी को विधानसभा का सत्र बुलाया गया है। इसी सत्र में समान नागरिक संहिता यानी UCC को लागू करने का विधेयक भी पास किया जाएगा। इसी के साथ उत्तराखंड पहला राज्य जाएगा, जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
- विवाह, तलाक, गोद लेने और संपत्ति में सभी के लिए एक नियम।
- परिवार के सदस्यों के आपसी संबंध और अधिकारों में समानता।
- जाति, धर्म या परंपरा के आधार पर नियमों में कोई रियायत नहीं।
- किसी भी धर्म विशेष के लिए अलग से कोई नियम नहीं।
UCC हो लागू तो क्या होगा?
- UCC के तहत शादी, तलाक, संपत्ति, गोद लेने जैसे मामले।
- हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून।
- जो कानून हिंदुओं के लिए, वहीं दूसरों के लिए भी।
- बिना तलाक के एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे।
- शरीयत के मुताबिक जायदाद का बंटवारा नहीं होगा।
UCC लागू होने से क्या नहीं बदलेगा?
- धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं।
- धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं।
- ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे।
- खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं।
Edited By Navin Rangiyal