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Last Modified: मंगलवार, 5 सितम्बर 2023 (12:06 IST)

महाराष्‍ट्र में मराठा आरक्षण पर क्यों मचा है बवाल, क्या है सरकार की परेशानी?

महाराष्‍ट्र में मराठा आरक्षण पर क्यों मचा है बवाल, क्या है सरकार की परेशानी? - what is maratha reservation movement, why maharashtra government is worried
महाराष्‍ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन पर बवाल मचा हुआ है। राज्य के जालना जिले में शुक्रवार को हिंसक हो गया, जिसमें 42 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने 2 बसों को आग के हवाले कर दिया और कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की। प्रशासन ने 17 सितंबर तक कर्फ्यू लगा दिया है। जानिए मराठा आरक्षण पर क्यों मचा है बवाल...
 
क्या है मराठा आरक्षण आंदोलन : मराठा आंदोलन करीब डेढ़ दशक पुराना है। ये समुदाय नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग रहा है। इनका कहना है कि इनके समुदाय का एक छोटा तबका ही सत्ता और समाज में ऊंची पैठ रखता है। ज्यादातर लोग बेहद गरीबी में जी रहे हैं। पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने आरक्षण देने का फैसला लेते हुए विधेयक को विधानसभा में पास कर दिया था। पर सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग आयोग से मराठा समाज की आर्थिक-सामाजिक स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है, जिसके बाद ही कोई फैसला संभव है।
 
2018 में विधानसभा में पास हुआ बिल : महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग लंबे समय से चली आ रही थी, जिसके चलते 30 नवम्बर 2018 को महाराष्ट्र सरकार ने राज्य विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पास किया था। इसके तहत राज्य की सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में मराठाओं को 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया। 
 
हाईकोर्ट ने उठाए सवाल : इस बिल के खिलाफ मेडिकल छात्र बॉम्बे हाई कोर्ट चले गए। हाई कोर्ट ने आरक्षण को रद्द तो नहीं किया, लेकिन 17 जून 2019 को अपने एक फैसले में इसे घटाकर शिक्षण संस्थानों में 12 फीसदी और सरकारी नौकरियों में 13 प्रतिशत कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा था कि अपवाद के तौर पर 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पार की जा सकती है।
 
बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि मराठा आरक्षण लागू होने से 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा पार होती है, जो इंदिरा साहनी केस और मंडल कमीशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
 
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला : 5 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने मराठा समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसे लागू करने से 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन होता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 50 फीसदी सीमा पर पुनर्विचार करने की जरूरत नहीं है।
 
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हो गया। महाराष्ट्र में पहले से ही 52 फीसदी आरक्षण चला आ रहा है।
 
क्या है सरकार की परेशानी : राज्य में 32 प्रतिशत आबादी मराठों की है। इतने बड़े तबके को नाराज कर सत्ता में बने रहना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत सीमा के पार जाकर आरक्षण देना संभव नहीं है। अगर ओबीसी निर्धारित 27 प्रतिशत कोटे में ही मराठों को शामिल करने का जोखिम लेती है तो ओबीसी आंदोलन शुरू हो सकता है।
 
राज्य में मराठा लॉबी शुरू से ही बेहद प्रभावशाली रही है। यशवंत राव चव्हाण, शरद पवार, अजित पवार, अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण समेत कई दिग्गज नेता मराठा रहे हैं। राज्य में ऐसी कोई सरकार नहीं रही जिसमें मराठा लॉबी को प्रतिनिधित्व नहीं मिला हो।
 
आंदोलन से कितना नुकसान : मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के कारण महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) के 250 में से कम से कम 46 बस डिपो पूरी तरह से बंद पड़े है और पिछले दिनों निगम को 13.25 रुपए का नुकसान हुआ है।
 
पिछले तीन दिनों में विरोध प्रदर्शन के दौरान 20 बसें जला दी गईं और 19 क्षतिग्रस्त हो गईं। बसों के क्षतिग्रस्त होने से निगम को 5.25 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है और राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन के कारण टिकटों की बिक्री में 8 करोड़ रुपए की हानि हुई है।
 
2021 में फडणवीस हुए थे गिरफ्तार : जून 2021 में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर भाजपा लगातार सरकार पर दबाव बना रही थी। नागपुर, कोल्हापुर समेत राज्य में कई स्थानों पर प्रदर्शन हुए। ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पुलिस ने हिरासत में लिया गया। उस समय महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से भी मराठा आरक्षण पर बात की थी।
 
नौकरियां कहां हैं जो दें आरक्षण : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं। गडकरी ने कहा कि एक ‘सोच’है जो चाहती है कि नीति निर्माता हर समुदाय के गरीबों पर विचार करें। गडकरी महाराष्ट्र में आरक्षण के लिए मराठों के वर्तमान आंदोलन तथा अन्य समुदायों द्वारा इस तरह की मांग से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे।
Edited by : Nrapendra Gupta 
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