वर्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नरेन्द्र मोदी 60 से ज्यादा (करीब 65) विदेश यात्राएं कर चुके हैं। इस दौरान वे लगभग 115 देशों की यात्रा कर चुके हैं। जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने जर्मनी गए नरेन्द्र मोदी का वर्ष 2022 में तीसरा विदेशी दौरा है। इस साल सबसे पहले वे डेनमार्क, जर्मनी और फ्रांस की यात्रा पर गए थे। दूसरी बार वे नेपाली प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा के आमंत्रण पर भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी गए थे।
हालांकि प्रधानमंत्री मोदी का नेपाल दौरा बहुत ही संक्षिप्त था, लेकिन चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच मोदी का नेपाल दौरा कई मायनों में खास था। इस दौरान उन्होंने कुल 6 एमओयू साइन किए। इनमें शिक्षा और पनबिजली क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाओं पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी। इस दौरान मोदी ने लुंबिनी बौद्ध बिहार क्षेत्र में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बौद्ध कल्चर एंड हेरिटेज (भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केन्द्र) के निर्माण कार्य की आधारशिला भी रखी।
तीन देशों का दौरा रहा काफी अहम : इस वर्ष मोदी का महत्वपूर्ण विदेश दौरा डेनमार्क, जर्मनी और फ्रांस का रहा। रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर मोदी की तीन देशों की यात्रा काफी महत्वपूर्ण रही। क्योंकि रूस से तेल लेने के कारण यूरोपीय देशों में भारत को लेकर थोड़ी नाराजगी थी, लेकिन मोदी की यात्रा के बाद इन देशों के रुख में थोड़ी नरमी आई। इस यात्रा के दौरान मोदी ने 50 से ज्यादा ग्लोबल बिजनेस लीडर्स से मुलाकात की।
जर्मनी से 71 साल पुराने रिश्ते : जर्मनी यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि वहां हुए सत्ता परिवर्तन के बाद मोदी की यह पहली यात्रा थी। वहां मोदी भारतीय समुदाय से तो रूबरू हुए ही चांसलर शोल्ज के साथ एक बिजनेस ईवेंट को भी संबोधित किया।
दरअसल, भारत और जर्मनी के बीच 71 साल से कूटनीतिक रिश्ते हैं। स्वयं मोदी प्रधानंमत्री बनने के बाद कई बार जर्मनी की यात्रा कर चुके हैं। दोनों देशों के बीच इस साल 1.66 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हुआ है, जबकि 2021-22 की तीन तिमाही में जर्मनी ने भारत में 4 हजार 326 करोड़ रुपए का निवेश किया है। जर्मनी 7वां ऐसा देश है जो भारत में सबसे ज्यादा निवेश करता है।
डेनमार्क भी भारत में एक बड़ा निवेशक देश है। 2021-22 में भारत और डेनमार्क के बीच 11 हजार 428 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार हुआ। अप्रैल 2000 से दिसंबर 2021 तक डेनमार्क ने भारत में 5,318 करोड़ रुपए का निवेश किया है। मोदी का फ्रांस दौरा बहुत ही संक्षिप्त रहा, लेकिन उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से सामरिक मुद्दों पर चर्चा की। आपको बता दें कि भारत से फ्रांस से लड़ाकू विमान राफेल खरीदने का सौदा किया है।
मोदी के विदेश दौरों के बाद लगातार बढ़ा है निवेश : दरअसल, किसी भी नेता की विदेश यात्रा का मकसद देश के हित में ही होता है। इसमें दूसरे देशों के साथ कारोबारी रिश्तों के अलावा निवेश से जुड़े मुद्दे भी शामिल होते हैं। भारत में पिछले 4 वित्तीय वर्षों में आए विदेशी निवेश की चर्चा करें तो इसमें लगातार वृद्धि ही देखने को मिली है।
2018-19 में भारत में 62 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश आया, जबकि 2019-20 यह बढ़कर 74.39 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। कोरोना काल के बावजूद 2020-21 में इसमें गिरावट के बजाय वृद्धि ही देखने को मिली। इस दौरान 81.97 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश आया। वहीं 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
जी-7 सम्मेलन में रखी अपनी बात : जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान भी मोदी ने कई राष्ट्र प्रमुखों से मुलाकात की। इस दौरान मोदी से हाथ मिलाने के विदेशी नेताओं में काफी उत्सुकता दिखी। जी-7 के मंच पर 'जलवायु, ऊर्जा और स्वास्थ्य' विषय पर मोदी ने भारत की बात को काफी मजबूती से रखा। उन्होंने कहा कि हालांकि दुनिया की 17 फीसदी आबादी भारत में रहती है, लेकिन वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में इसका योगदान केवल 5 फीसदी है। उन्होंने कहा कि एक गलत धारणा है कि गरीब देश पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि उनके देश ने 9 साल पहले गैर-जीवाश्म स्रोतों से 40 प्रतिशत ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
...और आलोचना भी : हालांकि नरेन्द्र मोदी के विदेशी दौरों की विरोधी आलोचना भी करते हैं। आलोचक इस बात को लेकर मोदी पर निशाना साधते हैं कि वे विदेशी दौरों का इस्तेमाल राजनीतिक फायदों के लिए करते हैं। लेकिन, राष्ट्र प्रमुखों के विदेशी दौरों से आपसी साझेदारियां बढ़ती हैं और नवोन्मेष को भी बढ़ावा मिलता है।