CM की कुर्सी से क्या बेदखल होंगे अशोक गहलोत या सचिन पायलट बनेंगे मुख्यमंत्री? हाईकमान के पास क्या विकल्प?
राजस्थान में सियासी संकट का आज तीसरा दिन है। अशोक गहलोत की हाईकमान को खुली चुनौती के बाद अब पार्टी हाईकमान क्या फैसला लेता है, इस पर सबकी नजर है। राजस्थान गए पार्टी पर्यवेक्षक और राज्य के प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे आज राजस्थान के पूरे घटनाक्रम को लेकर लिखित रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपेगे। पार्टी पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर आलाकमान क्या फैसला लेता है और राजस्थान में कांग्रेस के पास कितने विकल्प बचे है, यह अब एक बड़ा सवाल है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि पार्टी हाईकमान के खिलाफ खुली बगावत के बाद क्या अब भी अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहेंगे? सवाल यह भी है क्या कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल अशोक गहलोत क्या अब पार्टी में साइडलाइन कर दिए जाएंगे? राजस्थान से कांग्रेस हाईकमान को मिली सीधी चुनौती के बाद अब पार्टी आलाकमान के पास क्या विकल्प है, इस पर अटकलों का दौर तेज है।
अशोक गहलोत से छीने मुख्यमंत्री का पद?-पार्टी हाईकमान के खिलाफ सीधी बगावत करने वाले अशोक गहलोत से क्या कांग्रेस हाईकमान राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद छीनने की हिम्मत दिखा पाएगा यह सबसे बड़ा सवाल है? वर्तमान में कांग्रेस विधायक जिस तरह से अशोक गहलोत के साथ एकजुट नजर आ रहे है उससे इस बात की संभावना बहुत कम है कि पार्टी हाईकमान अशोक गहलोत के खिलाफ इस तरह की कोई कार्रवाई कर पाए।
लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि समय बीतने के साथ कांग्रेस विधायकों के सुर भी बदलते जा रहे है औऱ वह पार्टी हाईकमान के हर फैसले के मंजूर होने की बात कह रहे है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए एक साल का समय ही शेष बचा है तो पार्टी विधायक हाईकमान की नाराजगी नहीं मोल लेना चाहते है जिससे कि चुनाव में उनके टिकट को लेकर कोई खतरा पैदा हो। ऐसे में पार्टी हाईकमान अशोक गहलोत को राजस्थान के मुख्यमंत्री पद से हटाकर उनके समर्थक किसी नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दे, जिससे कि राजस्थान में चुनावी साल में कांग्रेस में होने वाली किसी संभावित टूट को रोका जा सके।
सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाए?-राजस्थान में अशोक गहलोत ने जिस तरह से पार्टी हाईकमान को चुनौती दी है उसके बाद पार्टी हाईकमान बड़ा फैसला लेकर सचिन पायलट का नाम मुख्यमंत्री के लिए तय कर दें। वहीं पार्टी के विधायकों के लिए व्हिप जारी कर सचिन पायलट को समर्थन देने के लिए मजबूर कर दें। वैसे कांग्रेस आलाकमान इस विकल्प पर आगे बढ़ेगा इसकी संभावना बहुत कम है क्यों ऐसे में सबसे बड़ा खतरा राजस्थान से कांग्रेस सरकार की विदाई होने का है और राजस्थान में कांग्रेस में एक बड़ी टूट हो जाएगी।
राजस्थान में कोई हस्तक्षेप नहीं करें आलाकमान?-राजस्थान में जिस तरह से अशोक गहलोत ने अपनी सियासी ताकत दिखाई है उससे इस बात की पूरी संभावना है कि पार्टी हाईकमान राजस्थान की सियासत में कोई हस्तक्षेप नहीं करें। यानि अशोक गहलोत पहले की तरह ही राजस्थान के मुख्यमंत्री बन रहे और सचिन पायलट अब भी सरकार और संगठन से बाहर रहे। मौजूदा परिस्थितियों में कांग्रेस हाईकमान के पास यह सबसे बेहतर विकल्प है।
बागी तेवर दिखने वाले नेताओं पर कार्रवाई?-राजस्थान में भले ही गहलोत गुट के विधायकों ने बागवती तेवर दिखाए हो लेकिन अशोक गहलोत ने पूरे मामले पर खमोशी ओढ़ ली है। अशोक गहलोत ने पार्टी विधायकों की बगावत से खुद को अलग रखा है। ऐसे में पार्टी आलाकमान अशोक गहलोत के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर मीडिया के सामने बगावती तेवर दिखाने वाले शांति धारीवाल और प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर एक संदेश देने की कोशिश कर सकता है।
सचिन पायलट को केंद्र की राजनीति में लाए?-राजस्थान में अशोक गहलोत की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी है। ऐसे में पार्टी हाईकमान सचिन पायलट को राजस्थान की राजनीति से हटाकर केंद्र की राजनीति में लाकर विवाद को फौरी तौर पर खत्म कर सकता है। लेकिन पार्टी हाईकमान के ऐसे किसी प्रस्ताव पर सचिन पायलट तैयार होंगे इसकी संभावना बहुत कम है क्योंकि सचिन पायलट पहले ही संकेत दे चुके है कि वह राजस्थान की राजनीति में रहेंगे और राजस्थान छोड़कर नहीं जाएंगे।
अशोक गहलोत अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनेंगे?-राजस्थान में अशोक गहलोत के गुट के विधायकों की बगावत के बाद अब पार्टी हाईकमान पार्टी के नए अध्यक्ष के लिए अशोक गहलोत के पीछे नहीं खड़ा होगा, यह लगभग तय है। गांधी परिवार के विश्वस्त माने जाने वाले अशोक गहलोत को कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाने के लिए पार्टी के अंदर लगभग आम सहमति बन गई थी और सोनिया से लेकर राहुल गांधी तक के उनके नाम पर अपनी मंजूरी दे दी थी लेकिन गहलोत ने जिस तरह से राजस्थान में शक्ति प्रदर्शन किया, उससे अब उनकी दावेदारी खतरे में पड़ गई है। ऐसे में अब संभावना इस बात की है अशोक गहलोत राजस्थान की राजनीति तक ही सीमित रहे और वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बने।