मंगलवार, 5 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Weather updates
Written By
Last Updated : गुरुवार, 20 जून 2019 (12:16 IST)

मौसम अपडेट : मानसून की देरी ने बढ़ाई चिंता, मप्र के कई क्षेत्रों में गर्मी से राहत

मौसम अपडेट : मानसून की देरी ने बढ़ाई चिंता, मप्र के कई क्षेत्रों में गर्मी से राहत - Weather updates
इस साल केरल में मानसून एक हफ्ते की देरी से पहुंचने के कारण अरब सागर में पैदा हुए चक्रवाती तूफान 'वायु' ने इसकी नमी को सोख लिया, जिससे इसकी चाल धीमी हो गई है। इस साल देश के एक चौथाई हिस्से तक ही अभी मानसून पहुंचा है। देश के कई हिस्से में भीषण सूखे की आशंका ने चिंता बढ़ा दी है। मध्‍य प्रदेश में 3 दिन की रुकावट के बाद बुधवार सुबह फिर से प्री-मानसून गतिविधियां शुरू हो गई हैं। प्रदेश के कई क्षेत्रों में बारिश से तापमान में काफी कमी आई है।
 
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इस साल औसत बारिश की भविष्यवाणी की है। आमतौर पर देखा गया है, जिस साल मानसून में देरी होती है उस साल कम बरसात भी होती है। भारत में मानसून अपने साथ 70 फीसदी बरसात लेकर आता है। मानसूनी बरसात से ही धान, गेहूं, गन्ना और सोयाबीन जैसे तिलहन की खेती का भविष्य तय होता है।
 
3 दिन की रुकावट के बाद बुधवार सुबह से मध्‍य प्रदेश में फिर से प्री-मानसून गतिविधियां शुरू हो गई हैं। भोपाल और इंदौर में बारिश से तापमान में काफी कमी रिकॉर्ड की गई है। ग्वालियर, चंबल, उज्जैन संभाग के अलावा रतलाम, नीमच में आज अच्छी बरसात होने की संभावना है। राजधानी भोपाल में बारिश के चलते जहां एक ओर मौसम सुहाना हो गया है, वहीं पिछले करीब एक महीने से भीषण गर्मी की तपिश झेल रहे राजधानीवासियों को कुछ हद तक राहत मिली है।
 
पिछले कुछ घंटों में पूर्वोत्तर अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में कम दबाव के क्षेत्र बनने के चलते राज्य में बारिश संबंधी गतिविधियों ने जोर पकड़ा है। राज्य के रतलाम, शिवपुरी, मंदसौर, श्योपुर, नीमच, सतना और चंबल संभाग के कई अन्य स्थानों पर कल देर रात से रुक-रुक कर बारिश हो रही है।
 
आमतौर पर 15 जून तक आधे देश में मानसून पहुंच जाता है, लेकिन इस साल देश के एक चौथाई हिस्से तक ही अभी मानसून पहुंचा है। मानसून की इस देरी के चलते बारिश पर आधारित खेती चौपट होने के साथ ही देश के कई हिस्से में भीषण सूखे की आशंका ने चिंता बढ़ा दी है। बारिश में कमी से उपभोक्ताओं की मांग, अर्थव्यवस्था की चाल और बाजार के हाल पर बहुत गंभीर और व्यापक प्रभाव पड़ेगा।