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Last Updated : मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019 (10:36 IST)

मोदी के मंत्री का बयान, हथिया नक्षत्र के कारण बिहार में आई भयावह प्राकृतिक आपदा

Patna flood | मोदी के मंत्री का बयान, हथिया नक्षत्र के कारण बिहार में आई भयावह प्राकृतिक आपदा
बिहार के कई जिलों इन दिनों बारिश के बाद भयावह बाढ़ की चपेट में हैं। सड़कें जलमग्न हो गई हैं। जल में डूबे क्षेत्रों में लोगों को आवश्यक सामानों के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इन सब के बीच सूबे के सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे राज्य में हो रही लगातार बारिश और उससे हो रही तबाही के लिए नक्षत्र को जिम्मेदार बता रहे हैं।
 
अश्विनी चौबे ने कहा कि राज्य में ‘हथिया नक्षत्र' के कारण जबरदस्त बारिश हो रही है। चौबे ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पिछले कुछ दिनों से बिहार में जारी मूसलाधार बारिश ‘हथिया नक्षत्र' के कारण हो रही है। हथिया नक्षत्र में कभी-कभी बहुत भयंकर बारिश होती है। बारिश ने अब प्राकृतिक आपदा का रूप ले लिया है।
बारिश के बाद महामारी फैलने का खतरा : राजधानी पटना में बारिश के बाद बाढ़ से स्थिति गंभीर बनी हुई है। आसमान से बारिश तो नहीं हो रही है, लेकिन शहर में जल जमाव है। पानी के साथ आए कचरों से सड़ांध फैल गई है। निचले इलाके में तो कहीं-कहीं कमर तक पानी भरा है। सड़े पानी से अब महामारी फैलने का खतरा है। हजारों लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है। बिहार में अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है।
 
एक्शन में पीएम मोदी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर आज केंद्रीय कैबिनेट सचिव और गृह सचिव के साथ बिहार के मुख्य सचिव और प्रधान सचिव आपदा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बचाव और राहत पर बात की। मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जल जमाव और बाढ़ को लेकर सोमवार को बात की थी।

देशभर में 145 लोगों की मौत : बिहार और उत्तर प्रदेश के अनेक हिस्से सोमवार को बाढ़ की चपेट में रहे। देशभर में वर्षा जनित हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या 145 पर पहुंच गई हैं। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने कहा कि देश में 1994 के बाद इस मानसून में सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई।
 
मौसम विभाग ने इसे ‘सामान्य से अधिक' बताया। मानसून सोमवार को आधिकारिक रूप से तो समाप्त हो गया लेकिन यह देश के कुछ हिस्सों के ऊपर अभी भी सक्रिय है। मौसम विभाग के 36 उपमंडलों में से दो- पश्चिम मध्यप्रदेश और सौराष्ट्र एवं कच्छ में ‘काफी अधिक' वर्षा दर्ज की गई।
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