रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदी पर अमेरिका को भारत ने दिया दो टूक जवाब
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने रूस से सैन्य समझौता करने पर सोमवार को अमेरिका को दो टूक जवाब दिया है। अमेरिका दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिबंधों के खतरे के बावजूद रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के भारत के अधिकार का बचाव किया। जयशंकर ने कहा कि हम नहीं चाहते कि कोई देश हमें बताए कि रूस से क्या खरीदना है और क्या नहीं।
एस जयशंकर ने कहा कि भारत रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए स्वतंत्र है। जयशंकर ने कहा कि हम नहीं चाहते कि कोई देश हमें बताए कि रूस से क्या खरीदना है और क्या नहीं।
अमेरिकी विदेश मंत्री से की मुलाकात : अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से मुलाकात से पहले पत्रकारों से बातचीत में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत अमेरिका की चिंताओं पर चर्चा कर रहा है, लेकिन उन्होंने रूस से एस-400 खरीदने के संबंध में किसी भी अंतिम निर्णय के बारे में पहले से बताने से मना कर दिया। जयशंकर ने कहा कि भारत रूस से मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 खरीदने के लिए स्वतंत्र है।
हमने हमेशा इस बात को कहा है कि हम क्या सैन्य उपकरण खरीदते हैं, यह हमारा संप्रभु अधिकार है। हम नहीं चाहते कि कोई देश हमें बताए कि हमें रूस से क्या खरीदना है और क्या नहीं। इसी तरह हम नहीं चाहते कि कोई हमें बताए कि हमें अमेरिका से क्या खरीदना है और क्या नहीं।
क्या है S-400 डिफेंस सिस्टम? : S-400 एयर डिफेंस सिस्टम दुनिया के सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम में से एक है। यह एक मोबाइल सिस्टम है। यानी इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जा सकता है। इसके अलावा इसे किसी जगह लगाने में केवल 5 मिनट का समय लगता है। यह तीन मिसाइलें एकसाथ छोड़ता है जो तीन लेयर की सुरक्षा देता है। इसके अलावा इसकी रेंज 400 किमी है। 30 किमी की ऊंचाई तक भी यह मार कर सकता है।
पिछले वर्ष रूस से किया था करार : भारत ने पिछले साल रूस से 5.2 बिलियन डॉलर के एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने का करार किया है। जिस पर रूस ने भी कहा कि डिलिवरी ट्रैक पर है। अमेरिका द्वारा धमकी दिए जाने के बावजूद भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। अमेरिका द्वारा कई देशों पर रूसी हथियारों का न खरीदने की धमकी देने के चलते रूस को अपने हथियारों की बिक्री के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जो कि पिछले वर्ष 19 अरब डॉलर थी।