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Last Updated : शनिवार, 22 अप्रैल 2023 (14:35 IST)

ऐसे हुई उत्‍तर प्रदेश के बड़े माफियाओं की मौत, जिसके बारे में उन्‍होंने कभी सोचा भी नहीं होगा

ऐसे हुई उत्‍तर प्रदेश के बड़े माफियाओं की मौत, जिसके बारे में उन्‍होंने कभी सोचा भी नहीं होगा - This is how the big mafia of Uttar Pradesh died
उत्‍तर प्रदेश में माफिया राज से कौन वाकिफ नहीं है, यहां देश के सबसे बड़े बाहुबली हुए हैं। उमेश पाल हत्‍याकांड में अतीक के हाथ होने और बाद में पुलिस कस्‍टडी में उसकी हत्‍या के बाद एक बार फिर से माफियाओं की दुनिया की कहानी चर्चा का विषय हो गई हैं।

आइए जानते हैं उत्‍तर प्रदेश के 3 सबसे बड़े माफियाओं के एनकाउंटर और हत्‍या के बारे में। ये यूपी में अपराध की दुनिया में सबसे बडे एनकाउंटर और हत्‍याएं मानी जाती हैं, उनमें डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला, मुन्ना बजरंगी और विकास दुबे के एनकाउंटर हैं।

अतीक अहमद : पुलिस के सामने ढेर
प्रयागराज में मेडिकल के लिए ले जाते वक्‍त पुलिस कस्‍टडी में यूपी के माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्‍या कर दी गई। हालांकि इसके ठीक दो दिन पहले अतीक अहमद के बेटे असद का झांसी में पुलिस एनकाउंटर हो गया था।

डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला : सीएम की हत्‍या के पहले हो गया एनकाउंटर
उत्तर प्रदेश में सबसे बडे माफियाओं में श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम सबसे ऊपर आता है। श्रीप्रकाश शुक्ला सुपारी लेकर अपने टारगेट को खत्म करता था। श्रीप्रकाश के बारे में कहा जाता था कि वो हमेशा एके 47 अपने साथ रखता था। शुक्ला ने यूपी के सीएम कल्याण सिंह की हत्‍या की सुपारी ली थी। खबर का इनपुट मिलते ही पुलिस अलर्ट हो गई। एसटीएफ की टीम बनाई गई और तलाश शुरू हुई। 23 सितंबर 1998 को एसटीएफ प्रभारी अरुण कुमार को खबर मिली कि श्रीप्रकाश दिल्ली से गाजियाबाद की तरफ आ रहा है। श्रीप्रकाश की कार जब वसुंधरा एन्क्लेव पहुंची तो एसटीएफ की टीम ने उसका पीछा किया। जैसे ही शुक्ला की कार इंदिरापुरम के सुनसान वाले इलाके में पहुंची, एसटीएफ की टीम ने कार को ओवरटेक किया और रास्ता रोक लिया। पुलिस ने श्रीप्रकाश शुक्ला को सरेंडर करने को कहा। लेकिन वो नहीं माना और फायरिंग करने लगा। इसके बाद एसटीएफ की तरफ से भी फायरिंग की गई। इस फायरिंग में यूपी का सबसे बड़ा माफिया और अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला मारा गया। श्रीप्रकाश के एनकाउंटर में पुलिस के पूरे 1 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

मुन्ना बजरंगी : ऐसे जेल में आई मौत
उत्‍तर प्रदेश का कुख्यात माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी ने साल 1984 में पहली बार एक कारोबारी को मारा था। इसके बाद ये सिलसिला चल निकला और जल्द ही मुन्ना बजरंगी पूर्वांचल के बड़े अपराधियों में शुमार हो गया। 90 के दशक में वो बाहुबली मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। 2005 में मुन्ना बजरंगी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या करके प्रदेश का बड़ा शूटर बन गया। मुन्ना पर दर्जनों मामले दर्ज थे। 2009 में मुन्ना को मुंबई से गिरफ्तार किया गया और यूपी की जेलों में रखा गया। 9 जुलाई 2018 को मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई। बजरंगी को 10 गोलियां मारी गई थीं। कहा जाता है कि सुनील राठी के शूटर्स ने मुन्ना बजरंगी की हत्‍या की थी।

विकास दुबे का वाहन पलट गया
विकास दुबे का एनकाउंटर पिछले दो साल पहले की ही बात है। 3 जुलाई 2020 को कानपुर के बिकरू गांव में हिस्ट्री शीटर और गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस की टीम पर फायरिंग हुई। जिसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। इस कांड के बाद विकास दुबे फरार हो गया। पुलिस उसकी खोज में जुट गई। एसटीएफ की टीम लगातार उसकी तलाश कर रही थी। इसके बाद 9 जुलाई 2020 को मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में विकास दुबे पकड़ा गया। यूपी पुलिस उसे कानपुर लेकर आ रही थी। 10 जुलाई की सुबह रास्ते में वाहन पलट गया और विकास दुबे भागने की कोशिश करने लगा। इस दौरान पुलिस ने फायरिंग की। जिसमें खूंखार अपराधी विकास दुबे मारा गया।

असद और गुलाम का एनकाउंटर
उमेश पाल हत्‍याकांड के बाद असद की तलाश की जा रही थी, असद माफिया अतीक का बेटा था। पुलिस ने उसके ऊपर इनाम भी रखा था। लंबी तलाश के बाद यूपी पुलिस ने झांसी के पास एक इलाके में असद का एनकाउंटर कर दिया। इसके साथ इस गैंग का शूटर गुलाम भी मारा गया। बता दें कि असद को अतीक की गैंग के वारिस के तौर पर देखा जा रहा था।
Edited: By Navin Rangiyal