मंगलवार, 5 नवंबर 2024
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Written By सुरेश एस डुग्गर

पहाड़ों से नीचे उतरते आतंकी कहर बरपाने लगे

पहाड़ों से नीचे उतरते आतंकी कहर बरपाने लगे - Terrorism, terrorist attack
श्रीनगर। जिस वादी-ए-कश्मीर में शांति लौटने के दावे किए जा रहे थे वहां उस पार से घुसपैठ और पहाड़ों से नीचे उतरते आतंकियों के साथ बढ़ती मुठभेड़ों और उनके हमलों से कश्मीर थर्राने लगा है। पिछले कुछ सप्ताहों में हुई दर्जन से अधिक मुठभेड़ों और हमलों ने सुरक्षाबलों की चिंता इसलिए बढ़ाई हैं, क्योंकि यह मुठभेड़ें कुछ तालिबानियों तथा अलकायदा सदस्यों से भी हुई थीं।
 
विशेषकर कुपवाड़ा और बारामुल्ला जिले में ताजा घुसपैठ करने वाले और सर्दी के कारण पहाड़ों से नीचे उतर आए आतंकियों से हुई मुठभेड़ें चिंता का विषय बनती जा रही हैं। चिंता का स्पष्ट कारण मुठभेड़ों में लिप्त आतंकियों की लड़ने की क्षमता है। 
 
रक्षाधिकारियों का कहना है कि ऐसी लड़ने की क्षमता से हमारा पहले कभी मुकाबला नहीं हुआ था। सेना प्रवक्ता भी दबे स्वर में कुछ ऐसा ही स्वीकारते हैं, लेकिन साथ ही उनका कहना है कि हमारे लिए आतंकी, आतंकी ही होता है चाहे वह किसी भी संगठन से संबंध रखता हो।
 
माना कि सेना के लिए तालिबान तथा अलकायदा के कश्मीर में एक्टिव होने की खबर प्रत्यक्ष तौर पर अधिक चिंता का विषय नहीं है लेकिन अन्य सुरक्षाबलों और कश्मीरियों के लिए यह परेशानी का सबब इसलिए बन रही है क्योंकि अगर अन्य सुरक्षाबल उनका मुकाबला करने में आपको सक्षम नहीं पा रहे तो दूसरी ओर कश्मीरी आने वाले दिनों में कश्मीर में पुनः बर्बादी की जंग के पुनजीर्वित होने की शंका से ग्रस्त हैं।
 
कुपवाड़ा और बारामुल्ला जिलों के कस्बों में औसतन प्रतिदिन एक भीषण मुठभेड़ लोगों को दहशतजदा और भयानक सर्दी में घरों से बेघर इसलिए कर रही है क्योंकि आतंकी होटलों, घरों पर कब्जे जमा कर सुरक्षाबलों पर हमले बोल रहे हैं और फिर बदले में चलाए जाने वाले मुक्ति अभियानों में सुरक्षाबल उन इमारतों को ही खंडहरों में बदल रहे हैं, जहां से आतंकी हमले बोलते हैं।
 
वैसे भीषण मुठभेड़ों में आई तेजी के लिए सेना प्रवक्ता सीमा पार से तेज हुई घुसपैठ को भी दोषी ठहराते हैं। उनका कहना है कि कि पाकिस्तान में आपातकाल के कारण उस पार से आतंकियों की घुसपैठ भयानक सर्दी के बावजूद बढ़ी है, क्योंकि पाकिस्‍तानी सेना अब आतंकवादियों को ज्यादा से ज्यादा इस ओर घुसाना चाहती है।