मां तो कई पुकार रही हैं, सुनी सिर्फ दो आतंकियों ने
श्रीनगर। आतंक की भट्ठी में तप रही वादी-ए-कश्मीर में कई मांएं अपने बेटों को पुकार रही हैं। उनके बेटे हथियार थाम आतंकवाद की राह पर कदम बढ़ा चुके हैं। दो मांओं की पुकार रंग ला चुकी है। उनके बच्चे वापस लौट चुके हैं। दो युवाओं की घर वापसी ने अन्य को आस बंधा दी है। यही कारण था कि कश्मीर में अपने खोए तथा आतंकवाद की राह पर जा चुके बेटों और पतियों की घर वापसी के लिए गुहार लगाने और पुकारने का सिलिसिला तेज हो चुका है।
व्हाट्सएप ग्रुपों पर ऐसी मांओं की पुकार के वीडियो का अंबार लगने लगा है। सबको उम्मीद है उनके बच्चे घर वापस लौटेंगें और इस आस को केरिपुब की हेल्पलाइन 14411 हिम्मत को जरूर बढ़ा रही थी।
चौंगल गांव के रहने वाले सज्जाद अहमद शेख की मां, बहनें और गोद में दो माह के अपने नवजात को लिए उसकी बीवी उससे लौटने की अपील कर रही है। सज्जाद अहमद आठ अक्टूबर को लंगेट कस्बे में स्थित अपनी दुकान न्यू फैशन प्वाइंट के लिए घर निकला था। उसके बाद नहीं आया। दो माह पहले उसकी बीवी ने बच्चे को जन्म दिया है। छह बहनों के अकेले भाई सज्जाद के पिता भी बहुत बीमार हैं। उन्हें लकवा मार चुका है। उसकी दो बहनों शगुफ्ता और मयसर की शादी हो चुकी है।
मां ने रोते हुए कहा कि सज्जाद ने तो हम सभी को जीते जी मार डाला। उसे अपनी बहनों का खयाल नहीं है तो कम से कम अपने बीमार बाप और नवजात बेटे का ही खयाल करे। अगर वह घर नहीं आया तो हम भी जहर खाकर जान दे देंगे। मार तो उसने हमें उसी दिन दिया था जब आतंकी बना। अब बचा ही क्या है।
आतंकी बने माजिद के घर लौटने के बाद न सिर्फ इरफान के परिजनों को बल्कि कश्मीर में सक्रिय कई अन्य आतंकियों के परिजनों को भी उम्मीद की एक नई किरण नजर आई है। कल तक जो लोग आतंकियों के डर से अपने बच्चों से घर लौटने की अपील करने से डरते थे, अब खुलकर अपना दर्द बयां कर रहे हैं।
शरीफाबाद के रहने वाले इरफान की मां की हालत किसी पत्थर को भी पिघलने को मजबूर कर दे। हाथ जोड़ते हुए उसने कहा कि अगर माजिद वापस आ सकता है तो फिर मेरा इरफान क्यों नहीं। उसे जरा भी रहम नहीं आता, आखिर उसे कौन ले गया है। जिनके पास भी है, मैं उन्हें खुदा का वास्ता देती हूं कि मेरा बेटा मुझे लौटा दो।
कश्मीरी में इरफान से लौटने की मिन्नत करते हुए बस इतना ही कहती है कि मैंने नौ माह तुम्हें अपने पेट में रखा है। अपने खून से पाला है। तुम्हें अपनी छाती का दूध पिलाकर बड़ा किया। तुम्हें तकलीफ न हो, इसलिए मैने खुद मुश्किलें उठाईं। अब क्यों मुझे तकलीफ दे रहे हो। मेरी छाती के दूध का वास्ता, बस घर आ जाओ। इरफान की मां की यह अपील अब कश्मीर में सभी लोग सोशल मीडिया पर भी शेयर कर रहे हैं ताकि वह जहां कहीं भी हो वापस चला आए।
सीआरपीएफ के आईजी जुल्फिकार हसन कहते थे कि माजिद की वापसी ने कश्मीर में लोगों को एक नई राह व नई उम्मीद दी है। अब यहां लोग खुलकर अपने बच्चों से घर लौटने की अपील कर रहे हैं। यह सुखद है। पुलिस, सेना और सीआरपीएफ ऐसे लड़कों की जो बंदूक छोड़ घर आते हैं, पुनर्वास में पूरी मदद करेगी। अगर किसी को जरिया नहीं मिल रहा है तो वह हमारी हेल्पलाइन मददगार पर 14411 पर किसी भी समय संपर्क कर सकता है। हम हर संभव मदद के लिए तैयार हैं।
फिलहाल पुकार, गुहार और दुआ के क्रम में सबसे बड़ा खतरा आतंकी गुटों की ओर से भी है जो अब बार-बार ऐलान करने लगे हैं कि अब किसी भी आतंकी युवा को घर लौटने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उनका कहना था कि सभी युवा अपनी मर्जी से संगठनों में शामिल हुए हैं और उनकी मांओं ने उन्हें खुद कश्मीर की आजादी के आंदोलन में शिरकत की इजाजत दी है।