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Last Updated : गुरुवार, 6 सितम्बर 2018 (12:59 IST)

समलैंगिकता मामले से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें

समलैंगिकता मामले से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें - supreme court verdict on section 377 case criminalises homesexuality 10 points
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को समलैंगिकता पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। समलैंगिक लोगों को भी सम्मान से जीने का हक है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समलैंगिकों के प्रति लोगों के नजरिए में बदलाव होना चाहिए। उन्हें भी सम्मान से जीते का हक है। अत: उनके अधिकारों की भी रक्षा होनी चाहिए। जानिए मामले से जुड़ी दस बातें-
 
1. समलैंगिकता के अधिकार के लिए वर्ष 2001 में नाज फाउंडेशन संस्था ने दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। सितंबर 2004 को हाईकोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी थी। याचिकाकर्ताओं ने रिव्यू पिटिशन दायर की थी।
2. हाईकोर्ट ने 3 नवंबर 2004 को रिव्यू पिटिशन को भी खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने दिसंबर 2004 में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
3. सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल 2006  को हाईकोर्ट से इस मामले को दोबारा सुनने को कहा। केंद्र सरकार ने 18 सितंबर 2008 को हाई कोर्ट से अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा।
4. हाईकोर्ट ने 7 नवंबर, 2008 को फैसला सुरक्षित किया। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 जुलाई, 2009 को आईपीसी की धारा 377 को रद्द करते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में फिर से चुनौती दी गई।
5. मामले को लेकर 15 फरवरी 2012 से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई। रोजाना सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2012 में फैसला सुरक्षित किया।
6. सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2013 को हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए समलैंगिकता को अपराध करार दिया। 
7. सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में रिव्यू पिटिशन खारिज कर दिया।
8. एस जौहर, पत्रकार सुनील मेहरा, सेफ रितु डालमिया, होटल बिजनेसमैन अमन नाथ और आयशा कपूर ने 2016 में धारा 377 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
9. अगस्त, 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 'निजता के अधिकार' पर दिए गए फैसले में सेक्स-संबंधी झुकावों को मौलिक अधिकार माना और कहा कि किसी भी व्यक्ति का सेक्स संबंधी झुकाव उसके राइट टू प्राइवेसी का मूलभूत अंग है।
10. 6 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया कि समलैंगिक संबंध अपराध नहीं है।