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Last Modified: गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021 (23:27 IST)

आपराधिक मामलों में साक्ष्य की विशेषता प्रासंगिक है, मात्रा नहीं : उच्चतम न्यायालय

आपराधिक मामलों में साक्ष्य की विशेषता प्रासंगिक है, मात्रा नहीं : उच्चतम न्यायालय - Supreme Court said, in criminal cases, the specialty of evidence is relevant, not quantity
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि आपराधिक मामलों की सुनवाई के दौरान साक्ष्य की विशेषता प्रासंगिक है, मात्रा नहीं। अदालत ने 30 वर्ष पुराने हत्या के मामले में आरोपी द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने कहा कि केवल इसलिए कि अभियोजन के गवाह को अन्य आरोपी के संदर्भ में विश्वास नहीं है, उसकी गवाही की अवहेलना नहीं की जा सकती।

शीर्ष अदालत ने कहा कि गवाह के बयान के एक हिस्से पर भी भरोसा किया जा सकता है, जबकि बयान के कुछ हिस्सों पर अदालत को पूरी तरह विश्वास नहीं भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत की अदालतों द्वारा 'एक बात में असत्य, हर बात में असत्य' का नियम लागू नहीं किया जाता है।

पीठ ने कहा, अभियोजन के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह घटना के सभी गवाहों की जांच कर सके। आपराधिक मामलों की सुनवाई के दौरान साक्ष्य की विशेषता प्रासंगिक है, मात्रा नहीं।उत्तर प्रदेश निवासी राम विजय सिंह ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उसे हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।(भाषा)
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