नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक से एक दिन पहले रविवार को सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को 23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से पत्र लिखे जाने की जानकारी सामने आने के बाद पार्टी के भीतर एक सियासी बवंडर खड़ा हो गया और नेतृत्व के मुद्दे पर पार्टी दो खेमे में बंटी नजर आई।
पार्टी का पूर्णकालिक और जमीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने एवं संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग करने वाले इस पत्र की खबर सामने आने के साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ एवं युवा नेताओं ने सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व में भरोसा जताया और इस बात पर जोर दिया कि गांधी-नेहरू परिवार ही पार्टी को एकजुट रख सकता है।
सीडब्ल्यूसी की सोमवार सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक होनी है जिसमें इसके सदस्यों के अलावा पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी भाग लेंगे। कुछ खबरों में कहा गया कि इस बैठक में सोनिया गांधी पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर सकती हैं। हालांकि कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सोनिया ने किसी के साथ बातचीत में ऐसा कोई इरादा नहीं जताया है।
माना जा रहा है कि सोनिया के इस्तीफे की पेशकश की स्थिति में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उनसे अध्यक्ष बने रहने अथवा फिर राहुल गांधी को फिर से पार्टी की कमान सौंपने का आग्रह कर सकते हैं।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद समेत 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में सामूहिक नेतृत्व की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि कांग्रेस को पूर्णकालिक अध्यक्ष मिलना चाहिए जो जमीन पर सक्रिय हो तथा कांग्रेस मुख्यालय एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के मुख्यालय में भी उपलब्ध हो।
अमरिंदर सिंह, गहलोत, बघेल लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और अश्वनी कुमार ने सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी का पुरजोर समर्थन किया। दूसरी तरफ, गुनाब नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मुकुल वासनिक, मनीष तिवारी, शशि थरूर और हरियाणा के पूर्व अध्यक्ष भूपेंद्रसिंह हुड्डा विरोधी खेमे में नजर आ रहे हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस में गांधी परिवार के नेतृत्व को चुनौती देने वाले पार्टी के कुछ नेताओं के कदमों का विरोध करते हुए कहा है कि इस तरह का मुद्दा उठाने का यह समय नहीं है।
सिंह ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो केवल कुछ लोगों के लिए नहीं बल्कि समूची पार्टी, समस्त कार्यकर्ताओं और देश के लिए स्वीकार्य हो। गांधी परिवार इस भूमिका के लिए बिलकुल उपयुक्त है।
गहलोत ने कहा कि मुझे इस तरह के किसी पत्र के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन यदि यह सच है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इन सभी लोगों ने पार्टी के साथ लंबे समय तक काम किया है।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की बागडोर 1998 में संभाली और सभी चुनौतियों के बावजूद उन्होंने पार्टी को एकजुट रखा हुआ है।
समझा जाता है कि पूर्व मंत्रियों और कुछ सांसदों ने इस महीने की शुरुआत में यह पत्र लिखा, जिसके बाद सीडब्ल्यूसी की बैठक के हंगामेदार रहने के आसार हैं। बैठक में असंतुष्ट नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा और बहस होने की संभावना है।
इन नेताओं ने शक्ति के विकेंद्रीकरण, प्रदेश इकाइयों के सशक्तिकरण और केंद्रीय संसदीय बोर्ड के गठन जैसे सुधार लाकर संगठन में बड़ा बदलाव करने का आह्वान किया है। वैसे, केंद्रीय संसदीय बोर्ड 1970 के दशक तक कांग्रेस में था, लेकिन उसे बाद में खत्म कर दिया गया।
इस बीच, लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मणिकम टैगोर समेत कई युवा नेताओं ने राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की मांग की है।
टैगोर ने सीडब्ल्यूसी के 2019 के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि गांधी बलिदान के प्रतीक हैं। कांग्रेस सीडब्ल्यूसी का निर्णय बहुमत का फैसला था, जो एआईसीसी के 1100, प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के 8800 सदस्यों, पांच करोड़ कार्यकर्ताओं और 12 करोड़ समर्थकों की इच्छा का परिचायक था और ये लोग राहुल गांधी को अपने नेता के रूप में चाहते हैं।
सीडब्ल्यूसी ने 2019 में सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया था, क्योंकि राहुल ने इस पर बने रहने की सीडब्ल्यूसी की सर्वसम्मत अपील मानने से अस्वीकार कर दिया था।
टैगोर के अलावा तेलंगाना के पूर्व सांसद और पार्टी के महाराष्ट्र मामलों के प्रभारी सचिव चल्ला वामसी चंद रेड्डी ने भी राहुल गांधी को ‘अब और बिना किसी देरी के’ कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की है।
रविवार को सीडब्ल्यूसी को भेजे पत्र में रेड्डी ने कहा कि राहुल की पार्टी प्रमुख के रूप में बहाली में देरी की कीमत पार्टी को चुकानी पड़ेगी। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कई नेता सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठाने की तैयारी में हैं।
कांग्रेस के जिन 23 नेताओं ने सियासी बवंडर खड़ा करने वाले पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं उनमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्रसिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण, राजिंदर कौर भट्टल, पूर्व मंत्री मुकुल वासनिक, कपिल सिब्बल, एम. वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, सांसद मनीष तिवारी, पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, संदीप दीक्षित शामिल हैं।
इस पत्र में पार्टी की इकाइयों के पूर्व प्रमुख राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश प्रसाद सिंह और कुलदीप शर्मा के भी दस्तखत हैं।
माई लीडर राहुल गांधी कैंपेन : कांग्रेस की युवा इकाई ने रविवार को अपने पदाधिकारियों के साथ डिजिटल संवाद के बाद प्रस्ताव पारित किया कि अगर पार्टी अध्यक्ष को लेकर किसी तरह का बदलाव हो रहा हो तो राहुल गांधी को एक बार फिर से कांग्रेस की कमान सौंपी जाए। भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने एक बयान में कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व से पार्टी को मजबूती मिली है और उनके त्याग के लिए सभी कांग्रेसजन उनके ऋणी हैं।
उन्होंने कहा कि अगर मौजूदा हालत में कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर कोई बदलाव होता है तो युवा कांग्रेस राहुल जी के साथ मजबूती से खड़ी है। युवा कांग्रेस ने प्रस्ताव पारित किया है कि ऐसी स्थिति में राहुल जी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए। इस बीच, युवा कांग्रेस ने सोशल मीडिया में ‘माई लीडर राहुल गांधी’ हैशटैग से अभियान भी चलाया।
युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और सोशल मीडिया प्रभारी वैभव वालिया ने कहा कि कांग्रेस के हर कार्यकर्ता और खासकर युवाओं की यह भावना है कि राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस की कमान सौंपी जाए। इस हैशटैग के माध्यम से भी लोगों ने यही भावना प्रकट की है। (भाषा)