ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे कार्य दूसरे दिन भी जारी
वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य रविवार को दूसरे दिन भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जारी रहा।
मस्जिद समिति की आपत्तियों के बीच पिछले सप्ताह सर्वेक्षण को रोक दिया गया था। समिति ने दावा किया था कि सर्वे के लिए अदालत द्वारा नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त को परिसर के अंदर वीडियोग्राफी कराने का अधिकार नहीं था।
वाराणसी में रविवार को लगातार दूसरे दिन ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य हो रहा है। अधिकारियों ने कहा कि शनिवार को सर्वे प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई थी और किसी को कोई आपत्ति नहीं थी।
सर्वे के लिए जाते समय विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने कहा कि मेरे साथ उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता राजेंद्र नाथ पांडेय भी सर्वे के दौरान मस्जिद परिसर में मौजूद रहेंगे। बाकी शनिवार वाली ही पूरी टीम रविवार को अंदर जा रही है। पूरी कोशिश होगी कि आज सर्वे पूरा कर लिया जाए और 17 मई को अदालत में रिपोर्ट पेश की जाए।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शनिवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी की गई और सर्वे का करीब 50 फीसदी काम पूरा हो गया।
शनिवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे कार्य सुबह आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक ही किया गया। इस कार्यवाही में सभी पक्षों ने न्यायालय के आदेश का पालन किया। इसमें सभी पक्षकार और उनके अधिवक्ता व सहायक मौजूद रहे। सरकार की तरफ से पक्षकार राज्य सरकार, जिलाधिकारी (वाराणसी), पुलिस आयुक्त, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी भी वहां उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी मस्जिद प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है। स्थानीय अदालत महिलाओं के एक समूह द्वारा इसकी बाहरी दीवारों पर मूर्तियों के सामने दैनिक प्रार्थना की अनुमति की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।
वाराणसी की एक अदालत ने ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य कराने के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त (कोर्ट कमिश्नर) अजय मिश्रा को पक्षपात के आरोप में हटाने की मांग संबंधी याचिका गुरुवार को खारिज कर दी थी। अदालत ने स्पष्ट किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर भी वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
दीवानी अदालत के न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) दिवाकर ने अधिवक्ता आयुक्त मिश्रा को हटाने संबंधी याचिका को नामंजूर करते हुए विशाल सिंह को विशेष अधिवक्ता आयुक्त और अजय प्रताप सिंह को सहायक अधिवक्ता आयुक्त के तौर पर नियुक्त किया था। उन्होंने संपूर्ण परिसर की वीडियोग्राफी करके 17 मई तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए थे।