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Last Updated : मंगलवार, 16 मई 2023 (10:05 IST)

राजस्थान में भ्रष्‍टाचार पर बवाल, क्यों हो रही है राजस्थान की तुलना कर्नाटक से

राजस्थान में भ्रष्‍टाचार पर बवाल, क्यों हो रही है राजस्थान की तुलना कर्नाटक से - Sachin Pilot compares rajasthan and Karnataka
Rajasthan Political News : राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। कांग्रेस के असंतुष्ट नेता सचिन पायलट ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की जीत का हवाला देते हुए राजस्थान में पिछले भाजपा शासन के दौरान कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ अशोक गहलोत नीत सरकार से कार्रवाई करने को कहा। राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

पायलट (45) ने मुख्यमंत्री गहलोत और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए 5 दिवसीय यात्रा निकाली। गहलोत को घेरने के लिए पायलट 2018 में राजस्थान चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

इस बीच राजस्थान सरकार में मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कहा कि हमारी सरकार का एलाइनमेंट खराब हो गया है। कर्नाटक में भाजपा की 40 परसेंट कि करप्शन की सरकार के आगे भी यहां की सरकार जा चुकी हैं। 
 
पायलट ने एक साक्षात्कार में कहा कि कर्नाटक की वर्तमान स्थिति की तुलना राजस्थान से की, जहां कांग्रेस ने 2018 में विधानसभा चुनाव जीते थे। उन्होंने कहा कि हमने कर्नाटक में भाजपा नीत सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। कांग्रेस को वहां जनादेश मिला है और अगर बोम्मई सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो क्या लोग 5 साल बाद हमारी बात सुनेंगे? यहां राजस्थान में यही स्थिति है। इसलिए मैं इस पर कार्रवाई चाहता हूं।
 
पायलट का तर्क है कि कांग्रेस ने 2018 के चुनावों से पहले वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, और लोगों को उम्मीद थी कि सत्ता में आने के बाद वह इस मुद्दे पर कार्रवाई करेगी। उन्होंने सवाल किया कि राज्य में पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के बारे में बात करना गलत कैसे हो सकता है।
 
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को राजस्थान में जिस तरह की दुविधा का सामना करना पड़ा, उसी तरह की स्थिति कर्नाटक में बन गई है जहां उसके सामने मुख्यमंत्री पद के दो प्रमुख दावेदार- डी के शिवकुमार और सिद्धरमैया हैं। पायलट ने दावा किया था कि उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते पार्टी को जीत मिली।
 
पायलट ने कहा कि 1998 में जब गहलोत को पहली बार राज्य सरकार का नेतृत्व करने का मौका दिया गया था, तब वह 47 या 48 साल के थे और उस समय के कद्दावर कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के अनुशासन का पालन किया था।