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Last Modified: बर्धमान (पश्चिम बंगाल) , रविवार, 16 फ़रवरी 2025 (20:00 IST)

Mohan Bhagwat : बंगाल की धरती से मोहन भागवत ने बताया RSS का अगला प्लान, हिन्दुओं को लेकर कही बड़ी बात

Mohan Bhagwat : बंगाल की धरती से मोहन भागवत ने बताया RSS का अगला प्लान, हिन्दुओं को लेकर कही बड़ी बात - rss chief bengal rally mohan bhagwat says what does-the sangh want to do
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को हिंदू समाज को एकजुट करने के महत्व पर जोर देते हुए इसे देश का "जिम्मेदार" समुदाय बताया, जो एकता को विविधता का प्रतीक मानता है। उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य केवल हिन्दू समाज को एकजुट करना है। बर्धमान के एसएआई ग्राउंड में आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोग अकसर पूछते हैं कि हम केवल हिंदू समाज पर ही ध्यान क्यों देते हैं, और मेरा जवाब है कि देश का जिम्मेदार समाज हिंदू समाज है।’’
 
भागवत ने कहा कि आज कोई विशेष कार्यक्रम नहीं है। जो लोग संघ के बारे में नहीं जानते, वे अकसर सवाल करते हैं कि संघ क्या चाहता है। अगर मुझे जवाब देना होता, तो मैं कहता कि संघ हिंदू समाज को संगठित करना चाहता है, क्योंकि यह देश का जिम्मेदार समाज है।
 
उन्होंने कहा कि भारत वर्ष केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं है; इसका आकार समय के साथ बढ़ या घट सकता है। इसकी एक अद्वितीय प्रकृति है। भारत का अपना अंतर्निहित चरित्र है। जिन लोगों को लगा कि वे इस प्रकृति के साथ सामंजस्य में नहीं रह सकते, उन्होंने अपने अलग देश बना लिए।
उन्होंने कहा कि स्वाभाविक रूप से, जो लोग बचे रहे, वे चाहते थे कि भारत का मूल तत्व बचा रहे। और मूल तत्व क्या है? यह 15 अगस्त, 1947 से भी अधिक पुराना है। यह हिंदू समाज है, जो दुनिया की विविधता को अपनाकर फलता-फूलता है। यह प्रकृति दुनिया की विविधताओं को स्वीकार करती है और उनके साथ आगे बढ़ती है। एक शाश्वत सत्य है जो कभी नहीं बदलता।
 
आरएसएस प्रमुख ने कहा, "हम कहते हैं 'विविधता में एकता', लेकिन हिंदू समाज मानता है कि विविधता ही एकता है।" भागवत ने कहा कि भारत में, कोई भी सम्राटों और महाराजाओं को याद नहीं करता, बल्कि अपने पिता का वचन पूरा करने के उद्देश्य से 14 साल के लिए वनवास जाने वाले राजा (भगवान राम) और उस व्यक्ति (भरत) को याद रखता है जिसने अपने भाई की पादुकाएं सिंहासन पर रख दीं, और वनवास से लौटने पर उसे राज सौंप दिया।
 
उन्होंने कहा कि ये विशेषताएं भारत को परिभाषित करती हैं। जो लोग इन मूल्यों का पालन करते हैं, वे हिंदू हैं और वे पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं।” हिंदुओं के बीच एकता की आवश्यकता दोहराते हुए भागवत ने कहा कि अच्छे समय में भी चुनौतियां हमेशा सामने आती रहेंगी।
 
उन्होंने कहा कि समस्याओं की प्रकृति क्या है इसके बजाए यह महत्व रखता है कि हम उनका सामना करने के लिए कितने तैयार हैं। पश्चिम बंगाल पुलिस ने पहले रैली आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय से मंजूरी मिलने के बाद रैली आयोजित की गई।
 
सिकंदर के समय से लेकर अब तक हुए ऐतिहासिक आक्रमणों पर भागवत ने कहा कि "चंद बर्बर लोगों ने, जो गुणों में श्रेष्ठ नहीं थे, भारत पर शासन किया।" उन्होंने कहा कि "इसके लिए समाज के आंतरिक विश्वासघात को जिम्मेदार ठहराया गया।"
 
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि किसी राष्ट्र की नियति बदलने के लिए सामाजिक भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत का निर्माण अंग्रेजों ने नहीं किया था और भारत के विखंडित होने की धारणा अंग्रेजों ने लोगों के मन में डाली थी।
 
भागवत ने कहा, "यहां तक ​​कि महात्मा गांधी ने भी कहा था कि अंग्रेजों ने हमें यह दिखाने की कोशिश की कि उन्होंने भारत का निर्माण किया है, और उन्होंने (गांधी) कहा था कि यह गलत है। भारत सदियों से अस्तित्व में है - विविधतापूर्ण है, फिर भी एकजुट है। इस देश में रहने वाले सभी लोग विविधता में एकता के इस विचार में विश्वास करते हैं। आज, अगर हम इस बारे में बात करते हैं, तो हम पर हिंदुत्व की बात करने का आरोप लगाया जाता है।"
 
संगठन के बारे में गलत धारणाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "अगर आप बाहर से देखें, तो आपको संघ के बारे में गलतफहमियां हो सकती हैं। हमारी हजारों शाखाएं हैं, और हम उनका विस्तार करना चाहते हैं। क्यों? अपने लिए नहीं। क्योंकि अगर लोग एकजुट होंगे, तो यह देश और दुनिया के लिए फायदेमंद होगा।"
हिन्दू समाज को एकजुट करने के आरएसएस के इरादों पर उन्होंने कहा कि हम कुछ हासिल करना नहीं चाहते। हम सिर्फ देश के विकास के लिए काम करना चाहते हैं। इतिहास और वर्तमान हमें बताता है कि भारत सभी के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखता आया है, यहां तक ​​कि उन लोगों के साथ भी जो हमारा नुकसान चाहते हैं। दूसरे लोग हितों के बारे में सोचते हैं लेकिन हम संबंधों के बारे में सोचते हैं। भाषा 
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