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Last Updated : शनिवार, 14 अप्रैल 2018 (13:57 IST)

'आधार' की वजह से राजधानी में हजारों 'आधारहीन'

'आधार' की वजह से राजधानी में हजारों 'आधारहीन' - reliability of 'tech in india' in doubt
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में जहां 'आधार' की अनिवार्यता पर बहस चल रही है वहीं राजधानी दिल्ली में तकनीक के उटपटांग प्रयोगों के सरकारी खब्त के चलते ही हजारों की संख्या में ऐसे परिवार हैं जिन्हें आधार की वजह से राशन ही नहीं मिल पा रहा है। 
 
दिल्ली में पहली जनवरी से दिल्ली सरकार ने राशन की दुकानों में आधार की पहचान के लिए बायोमैट्रिक रीडर लगाए हैं। लेकिन कई बार कनेक्टिविटी नहीं होने, कई बार फिंगर प्रिंट मैच नहीं होने के कारण लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है। 
 
दिल्ली में हजारों की संख्या में ऐसे परिवार हैं, जिनके परिवार के सदस्यों के फिंगर प्रिंट, मशीन से मेल नहीं खा रहे हैं और नतीजतन उन्हें सरकारी राशन की दुकान से कुछ भी नहीं मिल रहा है। यह इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि सरकारी योजनाएं किस हद तक अव्यवस्थाओं में बदल जाती हैं लेकिन सरकारें और उसके प्रतिनिधि इस बात को कभी नहीं स्वीकारते हैं।
 
फिंगर प्रिंट मशीन (पीओएस) दिल्ली की सभी 2,255 सरकारी राशन दुकानों में लगाई गई हैं ताकि आधार कार्ड के हिसाब से राशन बांटा सके। लेकिन मशीनों में नेटवर्क न आने और फिंगर प्रिंट न मिलने की वजह से हजारों को राशन नहीं मिल पा रहा है। यह हाल देश की राजधानी का है तो झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में लोग भूखों मर रहे हों तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।  
 
ऐसे मामलों में सरकारों की ओर से कहा जाता है कि जिन लोगों का फिंगरप्रिंट नहीं मिल रहा है, उनके लिए आईआरआईएस स्कैन और वन टाइम पासवर्ड सेवा की मदद ली जाएगी। लेकिन लोगों को आसानी से राशन नहीं मुहैय्या कराया जाता। इस तरह के प्रयोग नेता, अधिकारी अपने कामों के लिए क्यों नहीं करते? 
 
एक ओर जहां पीड़ितों को राहत मिलने के आसार नहीं हैं, वहीं सरकारी अधिकारी लोगों को भरोसा दिलाते रहते हैं कि सिस्टम अभी ट्रॉयल पर चल रहा है, धीरे-धीरे जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा।
 
नेताओं और उनके अधिकारियों का 'टेक इन इंडिया' का खब्त लोगों की मुसीबतें बढ़ाने का ही काम कर रहा है।