नई दिल्ली। जनता दल यूनाइटेड के हरिवंश ने बुधवार को राज्यसभा के प्रपत्रों में हिन्दी के कठिन शब्दों के इस्तेमाल होने का मामला उठाया और सरल हिन्दी में काम करने की मांग की। विशेष राहत (संशोधन) विधेयक 2018 की चर्चा में भाग लेते हुए हरिवंश ने कहा कि विधेयक की भाषा इतनी मुश्किल है कि मुझे जैसे व्यक्ति को समझ में नहीं आ रही है।
विधेयक की भाषा से इसके कथ्य और विषय का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। कानून संबंधित हिन्दी कठिन हो सकती है लेकिन इसका भावार्थ लिखते हुए इसे विधेयक के प्रावधानों को सरल भाषा में लिखा जा सकता है। हरिवंश 'स्पेशैफिक रिलीफ (अमेंडमेंट) बिल 2018 के हिन्दी अनुवाद 'विनिर्दिष्ट अनुतोष (संशोधन) विधेयक 2018' का जिक्र कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि संबंधित मंत्री को इस ओर ध्यान देना चाहिए तथा सरल हिन्दी में जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। हरिवंश की बात का कई सदस्यों ने समर्थन किया। बाद में विधिमंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वे सदस्यों की मांग से सहमत हैं लेकिन यह अनुवाद राजभाषा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप होता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने खुद कई बार यह मामला मंत्रालय में अधिकारियों के समक्ष उठाया है। हिन्दी में कामकाज को सरल बनाने की दिशा में सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है और इसके लिए सदस्यों का भी सहयोग लिया जाएगा। हरिवंश जाने-माने पत्रकार हैं। (वार्ता)