अमरनाथ हिमलिंग पिघला, कायम है आस्था
श्रीनगर। वार्षिक अमरनाथ यात्रा के आरंभ होने के मात्र 25 दिन में ही अमरनाथ यात्रा का प्रतीक हिमलिंग पिघल गया है। हालांकि हिमलिंग के पिघलने के बावजूद आस्था कायम है। लगातार कई वर्षांे से यात्रा के कुछ सप्ताह बाद ही हिमलिंग पूरी तरह से पिघल जाता है। बावजूद भक्तों में यात्रा को लेकर उत्साह बना रहता है।
इस बार यात्रा शुरू होने से पहले बाबा बर्फानी का आकार करीब चौदह फुट था। एक सप्ताह पहले तक यह मात्र पांच फुट ही रह गया था। रविवार देर रात हिमलिंग पूरी तरह से पिघल गया। अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने हालांकि हिमलिंग को पिघलने से रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। पहले हेलीकॉप्टर पवित्र गुफा के बाहर कुछ दूरी पर उतरता था। उस समय यह कहा गया कि इसी कारण हिमलिंग जल्द पिघल जाता है। इसके बाद श्राइन बोर्ड ने हेलीकॉप्टर को पवित्र गुफा से पांच किमी दूर पंजतरणी में उतारना शुरू किया।
यह पहली बार नहीं था कि अमरनाथ यात्रा का प्रतीक हिमलिंग इतनी जल्दी पिघला हो। पहले भी यह पिघल जाया करता था। कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि अमरनाथ यात्रा की शुरुआत से पहले ही हिमलिंग पिघल चुका होता था।
पर हिमलिंग का पिघलना यात्रा पर कोई ज्यादा असर नहीं छोड़ पाया है। यह इसी से स्पष्ट होता है हिमलिंग के पिघलने के बाद यात्रा में 5 हजार से अधिक श्रद्धालु शामिल हो चुके हैं।
श्रद्धालुओं में जोश तो है, लेकिन संख्या में भारी गिरावट आ गई है। यात्रा का एक महीना 28 जुलाई को होगा। इस बार यात्रा की अवधि 62 दिन की है। ऐसे में काफी पहले से ही श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आनी शुरू हो गई है।
वर्ष 2014 के एक महीने में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में हिमलिंग के दर्शन कर लिए थे। यात्रा के अंतिम दिन तक हिमलिंग था। इस बार बाबा पहले ही अंतर्धान हो गए हैं। यात्रा 2.50 लाख का आंकड़ा पार कर गई है। देशभर में बाढ़ और यात्रा पंजीकरण के लिए आवश्यक स्वास्थ्य प्रमाणपत्र का असर यात्रा पर पड़ा है। साधुओं की संख्या में इस बार काफी कमी देखी गई।
28 जून को शुरू हुई यात्रा 26 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन खत्म होगी। अभी यात्रा में 35 दिन शेष हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं में बहुत मायूसी जरूर होती है, मगर उनमें यात्रा को लेकर पहले की तरह ही उत्साह बरकरार है। बालटाल में लंगर लगाने वाली संस्था श्री अमरनाथ युवा मंडल करनाल के सदस्यों ने बताया कि बाबा बर्फानी अंतर्धान जरूर हो गए हैं, लेकिन श्रद्धालुओं में उत्साह पहले की तरह ही बरकरार है।