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Last Updated : रविवार, 7 जनवरी 2024 (19:20 IST)

लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी की हुंकार, 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' की 14 से शुरुआत

लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी की हुंकार, 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' की 14 से शुरुआत - Rahul Gandhis roar before Lok Sabha elections, Bharat Jodo Nyaya Yatra starts from 14th
Bharat Jodo Nyaya Yatra :  कांग्रेस ने रविवार को कहा कि वह न्याय के लिए तथा बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान की रक्षा के लिए डटे लोगों, सामाजिक संगठनों और आंदोलनों को भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित करती है जो 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू होकर मुंबई पहुंचेगी।
 
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर लोगों से राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जाने वाली यात्रा में भाग लेने की अपील की।
 
उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा हर भारतीय के लिए आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक न्याय के लिए राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाले जाने वाला कांग्रेस पार्टी का अभियान है।
 
रमेश ने कहा कि देशभर में करोड़ों नागरिक, लाखों संगठन और हजारों आंदोलन ऐसे हैं जो जमीनी स्तर पर न्याय के लिए लड़ते हैं।
 
उन्होंने कहा कि वे रोजाना युवाओं के लिए बेहतर अवसर, महिलाओं को सशक्त बनाने, मजदूरों और किसानों के लिए, दलित, आदिवासियों तथा पिछड़े समुदायों और कई अनेक वंचित वर्गों एवं समूहों को समान अधिकार दिलाने के लिए काम करते हैं।’’
 
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि पार्टी न्याय के लिए और बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान की रक्षा के लिए खड़े सभी लोगों, प्रत्येक सामाजिक संगठन और सभी आंदोलनों को मणिपुर से मुंबई तक निकलने वाली और 14 जनवरी से शुरू होने वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित करती है।
 
रमेश ने कहा कि हम सब मिलकर प्रत्येक भारतीय को न्याय दिलाने के संविधान के वादे की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करें। न्याय का हक मिलने तक।’’ यात्रा का समापन 20 या 21 मार्च को होगा और यह 6,713 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
 
किताब में कांग्रेस को लेकर दावा : पिछले एक दशक में जिस भारत ने आकार लिया है, उसमें कांग्रेस शासित भारत इतना पीछे छूट गया है कि पार्टी के अस्तित्व तक पर संकट खड़ा हो गया है और सत्ता में लौटना तो दूर की बात है, उसके मुख्य विपक्षी दल तक बने रहने की संभावनाएं धूमिल हो रही हैं। एक नई किताब में यह दावा किया गया है।
 
"व्हाट इफ़ देयर वाज़ नो कांग्रेस: द अनसेंसर्ड हिस्ट्री ऑफ़ इंडिपेंडेंट इंडिया" में, राजनीतिक टिप्पणीकार प्रियम गांधी-मोदी ने यह विचार व्यक्त किया है कि अगर पिछले 80 साल के अधिकांश समय में कांग्रेस सत्ता में नहीं होती तो भारत कितना अलग होता।
 
रूपा पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक, पिछले 80 वर्षों में भारत के राजनीतिक इतिहास को आकार देने वाली कुछ प्रमुख घटनाओं - विभाजन, कश्मीर, शासन, घोटाले, लोकतंत्र और इसकी बाधाएं, आर्थिक नीति, बौद्धिक उपनिवेशीकरण और विदेश नीति - पर नये सिरे से रोशनी डालती है और भविष्य के भारत के लिए रूपरेखा भी प्रस्तुत करती है।
 
प्रियम ने दावा किया कि देश की जनता भ्रष्टाचार के मुकाबले प्रगति, गढ़े हुए झूठ के मुकाबले सच, आतंकवाद के मुकाबले सुरक्षा और अवरोधों के मुकाबले तरक्की को चुनती आ रही है। मेरे विचार से निकट भविष्य में कांग्रेस की सत्ता में वापसी असंभव नहीं है तो बहुत मुश्किल जरूर है।’’
 
उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फरवरी 2022 में संसद के शीतकालीन सत्र में एक सवाल उठाया था कि ‘‘अगर भारत में कांग्रेस नहीं होती तो क्या होता?’’, तब भारत की बौद्धिक बिरादरी, इतिहासकारों और सोशल मीडिया की फौज आदि को जवाब तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा और इनमें कुछ ने उनके विचारों का समर्थन करने के इरादे से, कुछ ने विरोध करने के लिए और बाकी ने ट्रोल करने के इरादे से ऐसा किया।
 
उन्होंने कहा कि ‘‘कांग्रेस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, हालांकि उसके नेतृत्व ने कुछ गलतियां भी कीं जिसकी वजह से अविभाजित भारत को बांट दिया गया।’’
 
प्रियम ने सवाल उठाया कि अगर कांग्रेस को समाप्त करने के महात्मा गांधी के आह्वान को माना लिया गया होता तो आज का भारत कैसा होता?
 
उन्होंने कहा कि ‘यह समझने के लिए कि महात्मा (गांधी) ने आखिरकार ऐसी सलाह क्यों दी, मैंने भारतीय स्वतंत्रता के समय के आसपास की परिस्थितियों और उसके भीतर मौजूद तत्वों को समझने का प्रयास किया है, जो सैकड़ों वर्षों के औपनिवेशिक शासन का परिणाम थीं।’’
 
प्रियम ने लिखा कि उनकी किताब कांग्रेस की मौजूदा स्थिति में उसकी कार्यशैली समझने का प्रयास है ।
 
लेखिका के अनुसार उन्होंने ‘विभाजन, क्षेत्रीय अखंडता, आर्थिक नीति और शासन’ के चार चश्मों से ऐतिहासिक घटनाक्रमों के अध्ययन का प्रयास किया है। भाषा Edited By : Sudhir Sharma