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Last Modified: रविवार, 11 जुलाई 2021 (19:28 IST)

जम्‍मू ड्रोन हमला : बमों में हुआ था 'प्रेशर फ्यूज' का इस्तेमाल, पाकिस्‍तानी सेना की भूमिका के संकेत

जम्‍मू ड्रोन हमला : बमों में हुआ था 'प्रेशर फ्यूज' का इस्तेमाल, पाकिस्‍तानी सेना की भूमिका के संकेत - Pressure fuse used in bombs dropped on Jammu IAF station indicates role of Pak military
जम्मू/नई दिल्ली। जम्मू में भारतीय वायुसेना के स्टेशन पर ड्रोन के जरिए गिराए गए बमों में ‘प्रेशर फ्यूज़’ का इस्तेमाल किया गया था। इससे संकेत मिलता है कि अपनी तरह के इस पहले हमले के लिए पाकिस्तानी सेना या आईएसआई के कुछ तत्वों ने लश्कर-ए-तैयबा की आईईडी बनाने में मदद की थी। सुरक्षा सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
 
सूत्रों ने बताया कि जम्मू हवाई अड्डे में वायुसेना की इमारत की छत पर गिराए गए आईईडी में एक किलोग्राम से थोड़ कम आरडीएक्स था तथा अन्य रसायनों का मिश्रण था, जबकि जमीन पर गिराए गए दूसरे बम में एक किलोग्राम से थोड़ा ज्यादा विस्फोटक था, साथ में कुछ बॉल बियरिंग भी थी।
 
सूत्रों ने बताया कि 27 जून को वायुसेना के स्टेशन पर किए गए हमले में प्रयुक्त आईईडी में ‘निश्चित तौर’ पर पाकिस्तानी फौज की विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने बताया कि इन बमों में जिस तरह के ‘प्रेशर फ्यूज़’ का इस्तेमाल किया गया है, वैसे ही ‘प्रेशर फ्यूज़’ का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना करती है।
 
‘प्रेशर फ्यूज़’ का इस्तेमाल आमतौर पर बारूदी सुरंगों में, टैंक रोधी सुरंगों में किया जाता है। इसमें विस्फोटक उपकरण दबाव से सक्रिय होता है जो चाहे जमीन पर गिरने से दबाव पड़ने से हो या फिर किसी व्यक्ति के या गाड़ी के इस पर चढ़ने से।
सूत्रों ने बताया कि इन उन्नत आईईडी में, 'प्रेशर फ्यूज़' को बमों के सिरे पर लगाया गया था ताकि उनमें जमीन पर गिरने के बाद दबाव से विस्फोट हो जए।
 
उन्होंने बताया कि तोप के अधिकतर गोलों और मोर्टार बमों में इस तरह के फ्यूज़ होते हैं और इसलिए वे हवा में नहीं फटते हैं लेकिन ज़मीन पर गिरने के बाद दबाव की वजह से फटते हैं।
 
जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने पहले कहा था कि जम्मू में वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन के जरिए गिराए गए बमों के पीछे लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों का हाथ होने का संदेह था, जो शायद सीमा पार से आए होंगे।
 
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों द्वारा ड्रोन से भारत के अहम प्रतिष्ठान पर किए गए हमले की पहली घटना की जांच 29 जून को अपने हाथ में ले ली थी। छह मिनट के अंतराल में हुए दो विस्फोटों में वायुसेना के दो कर्मी जख्मी हो गए थे।
 
गौरतलब है कि पाकिस्तानी फौज चीन और तुर्की से ड्रोन खरीद रही है। सूत्रों ने बताया कि ड्रोन तीन घंटे तक उड़ सकते हैं और ‘ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम’ (जीपीएस) के जरिए उन्हें रिमोट से संचालित किया जा सकता है। जम्मू हवाई अड्डे की अंतरराष्ट्रीय सीमा से हवाई दूरी 14 किलोमीटर है। (भाषा)
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