चुनावी साल में बिहार में BPSC आंदोलन पर भारी सियासत, युवाओं को साधने में जुटे सियासी दिग्गज
BPSC आंदोलन के सहारे नीतीश को घेरने में जुटे प्रशांत किशोर, तेजस्वी और पप्पू यादव
बिहार में चुनावी साल में BPSC अभ्यर्थियों का आंदोलन अब राजनीतिक रंग ले लिया है। राजधानी पटना के चर्चिक गांधी मैदान में जहां BPSC छात्र आंदोलन कर रहे है वहां पर सियासी दलों के नेताओं और उनके समर्थकों का जमावड़ा लगा हुआ है। बिहार के मुख्य विपक्षी दल आरजेडी के बाद अब नई नवेली पार्टी जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर भी छात्रों के समर्थन में आ गए है और उन्होंने गांधी मैदान में आमरण अनशन शुरु कर दिया है। दिलचस्प बात यह है कि सियासी दलों में छात्रों के आंदोलन की श्रेय लेने की भी होड़ दिखाई दे रही है।
BPSC आंदोलन पर भारी बिहार की सियासत-बिहार में बीपीएससी छात्रों के समर्थन में जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर आमरण अनशन पर बैठ गए है। प्रशांत किशोर बिहार की ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ 5 मांगों को लेकर आमरण अनशन कर रहे है और नीतीश सरकार के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दल आरजेडी को घेर रहे है। वहीं विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने प्रशांत किशोर पर छात्रों को गुमराह कर आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए इसे बड़ी ही चालाकी से आंदोलन कुचलने का प्रयास करार दिया है। वहीं अब इस श्रेय़ की लड़ाई में पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव की भी एंट्री हो गई है। पप्पू यादव अपने समर्थकों के साथ शुक्रवार को रेल रोको आंदोलन करते नजर आए है। इससे पहले पप्पू यादव ने छात्रों के मुद्दें पर राज्यपाल से मुलाकात की थी।
दरअसल बिहार में चुनावी साल में BPSC छात्रों के आंदोलन के सहारे सियासी दल अपनी सियासी रोटियां सेंकने में जुटे हुए है। प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज बिहार में अपनी सियासी जमीन बनाने में जुटी है और वह छात्र आंदोलन को एक मौके के रूप में देख रहे है। यहीं कारण है कि प्रशांत किशोर सत्ता के साथ अन्य विपक्षी दलों के खिलाफ भी आक्रमक है। दरअसल आरजेडी सूबे के विपक्षी गठबंधन महागठबंधन की अगुवाई कर रही है तो वहीं पीके की पार्टी जन सुराज अपनी सियासी जमीन बनाने की कोशिश में जुटी है।
युवाओं के वोट बैंक पर सियासी दलों की नजर-बिहार में सियासी दलों के बीपीएससी आंदोलन के समर्थन में आने की बड़ी वजह युवाओं का बड़ा वोट बैंक है। बिहार की कुल आबादी में 25 साल से कम आयुवर्ग के लोगों की हिस्सेदारी 58 फीसदी के करीब है, ऐसे में सियासी दल इन युवा वोटरों को साधने की कोशिश में जुटे हुए है। दरअसल युवाओं को एनडीए का कोर वोटर माना जाता है लेकिन अब बीपीएससी परीक्षा के मुद्दें पर युवा वोटर्स के एनडीए से बिखरने की संभावना नजर आ रही है। जबकि तेजस्वी यादव जो 2020 से लगातार बिहार में युवाओं को रोजगार देने का मुद्दा जोर शोर से उठा रहे है वह अब बीपीएससी मुद्दें पर कोई चूक नहीं करना चाह रहे है।
चुनावी साल में BPSC आंदोलन नीतीश के लिए चुनौती-BPSC छात्रों का आंदोलन चुनावी साल में नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती बनता हुआ दिख रहा है। राज्य की सबसे बड़ी परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर युवाओं के आंदोलन में प्रशांत किशोर और तेजेस्वी यादव की एंट्री के बाद नीतीश की चिताएं बढ़ गई है। ऐसे में जब आरजेडी और जन सुराज पार्टी पहले से पलायन और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर सरकार पर हमलावर है तब बीपीएससी छात्रों का मुद्दा उनके लिए चुनाव साल में एक तोहफे से कम नहीं है। बिहार की राजधानी पटना से लेकर जिलों तक छात्र नौकरी और परीक्षा प्रक्रिया में सुधार की मांग कर रहे हैं, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ती जा रही है। वहीं विधानसभा चुनाव में रोजगार, नौकरी और युवाओं का मुद्दा काफी अहम होने वाला है। ऐसे में हर सियासी दल और नेता चाह रहे हैं कि युवाओं के बीच वह हीरो बन जाएं ताकि आगामी चुनाव में उन्हें छात्राओं का समर्थन मिल सके।ऐसे में जब इस साल विधानसभा चुनाव होने है तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नहीं चाहेंगे कि युवा वर्ग उनकी सरकार से नाराज होकर एक चुनौती बने, इसलिए संभावना है कि जल्द नीतीश कुमार इस पूरे मुद्दें पर कोई बड़ा निर्णय लें।
आखिर क्या है पूरा मामला?-बीपीएससी की 70 वीं प्री परीक्षा को रद्द कर दोबारा लेने की मांग को लेकर बिहार में आखिरी क्यों बवाल मचा हुआ है, उसका पूरा मामला क्या है। दरअसल बीपीएससी 70वीं संयुक्त परीक्षा 13 दिसंबर को होनी थी, इसके ठीक कुछ दिन पहले ही तमाम अभ्यर्थी परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन का विरोध करने लगे। इसको लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि अभ्यर्थी सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने लगे, उस समय कुछ अभ्यर्थियों ने जब रास्ता जाम कर दिया तब पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा था। इस दौरान पुलिस को लाठी चार्ज भी करनी पड़ी, इधर इस संबंध में बिहार लोक सेवा आयोग ने इस पूरे मामले में सफाई भी दी। आयोग ने बताया कि नॉर्मलाइजेशन इस परीक्षा में लागू नही किया गया है. आयोग ने इस संबंध में अखबारों में विज्ञापन भी निकाले, जिसमें इस तरह की अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील भी की लेकिन अब छात्र अपनी मांगों को लेकर सड़क पर आ डटे है।