बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन, मुहम्मद यूनुस को PM मोदी ने भेजा संदेश
Bangladesh crisis News in hindi : नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शपथ ग्रहण कर ली है। देश में चल रही राजनीतिक अशांति और विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार का गठन किया गया है। यूनुस अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभालने के लिए गुरुवार को पेरिस से ढाका पहुंचे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम बांग्लादेश में जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल होने, हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की उम्मीद करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत हमारे दोनों देशों की जनता की साझा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
किसे कौनसा पद मिला : बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस मुख्य सलाहकार, सैयदा रिजवाना हसन बंगलादेश पर्यावरण वकील एसोसिएशन (बेला) की मुख्य कार्यकारी, सुश्री फरीदा अख्तर महिला अधिकार कार्यकर्ता, आदिलुर रहमान खान ओधिकार के संस्थापक, एएफएण खालिद हुसैन हिफाजत-ए-इस्लाम के नायब-ए-अमीर एवं इस्लामी आंदोलन बंगलादेश के सलाहकार, नूरजहां बेगम ग्रामीण दूरसंचार ट्रस्टी, शरमीन मुर्शिद स्वतंत्रता सेनानी, सुप्रदीप चकमा सीएचटीबी के अध्यक्ष बने हैं।
छात्रों ने की थी मांग : डॉ. यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने की मांग बंगलादेश के छात्र संगठनों की तरफ से उठाई गई थी। उन्होंने सेना समेत सभी राजनीतिक दलों को चेतावनी दी थी कि वे किसी दूसरे को प्रमुख बनाने को स्वीकार नहीं करेंगे। ऐसे में विदेश में मौजूद डॉ यूनुस गुरुवार को अपराह्न में बंगलादेश पहुंचे और ढाका हवाई अड्डे पर सशस्त्र बलों के प्रमुख, नागरिक समाज के सदस्यों और छात्र नेताओं से मिले।
राहुल गांधी ने दी बधाई : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोहम्मद यूनुस के बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने के बाद बृहस्पतिवार को उन्हें बधाई दी और कहा कि शीघ्र ही शांति और सामान्य स्थिति की बहाली समय की मांग है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने पर प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को बधाई। शांति और सामान्य स्थिति की शीघ्र बहाली समय की मांग है।”
50 हस्तियों ने भेजा पत्र : पश्चिम बंगाल के 50 से अधिक प्रख्यात लोगों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को पत्र लिखकर उनसे समाज के सभी वर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। यूनुस ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली है।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में फिल्म निर्माता अपर्णा सेन, शिक्षाविद् पवित्रा सरकार और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अशोक गांगुली शामिल हैं। पत्र में उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त की तथा एक समुदाय द्वारा दूसरे समुदाय के पूजा स्थलों की रक्षा करने की घटनाओं की सराहना भी की।
बांग्ला में लिखे पत्र में कहा गया है कि बांग्लादेश के लोग तय करेंगे कि देश में किस तरह का राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व आएगा, लेकिन हम वर्तमान प्रशासन और बांग्लादेश के आम लोगों, खासकर छात्र, जो आरक्षण विरोधी और भेदभाव विरोधी आंदोलन के माध्यम से यह परिवर्तन लेकर आये हैं, से अपील करते हैं कि वे प्रत्येक बांग्लादेशी नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करें, चाहे उसका धर्म, राजनीतिक संबंध और पेशा कुछ भी हो।”
इसमें कहा गया है कि हम बांग्लादेश के वर्तमान घटनाक्रम से बहुत चिंतित हैं... बांग्लादेश पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए सिर्फ स्थान के लिहाज से ही पड़ोसी देश नहीं है, बल्कि दिल से भी पड़ोसी है, क्योंकि हम भाषा, संस्कृति और इतिहास साझा करते हैं।”
इन जानी-मानी हस्तियों ने कहा कि उन्होंने यह पत्र इसलिए लिखा है क्योंकि देश में उथल-पुथल मची हुई है और उनमें से कई लोगों को बिगड़ते हालात के बारे में दुनियाभर से बांग्लादेशी मित्रों के फोन आ रहे हैं। पत्र की एक प्रति कोलकाता स्थित बांग्लादेश के उप उच्चायोग को भी भेजी गई है।
कहा जाता है गरीब लोगों का बैंकर : शेख हसीना के शासनकाल के दौरान गबन के आरोप में उत्पीड़न का सामना करने वाले नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस का जीवन पूरी तरह से बदल गया है। हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर जाने के बाद अब यूनुस बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया बन गए हैं। यूनुस को सबसे गरीब लोगों का बैंकर भी कहा जाता है। इसे लेकर उन्हें आलोचना का सामना भी करना पड़ा था और एक बार हसीना ने यूनुस को खून चूसने वाला कहा था।
वह हसीना के कटु आलोचक और विरोधी माने जाते हैं। उन्होंने हसीना के इस्तीफे को देश का दूसरा मुक्ति दिवस बताया है। पेशे से अर्थशास्त्री और बैंकर यूनुस को गरीब लोगों, विशेष रूप से महिलाओं की मदद के लिए माइक्रोक्रेडिट के उपयोग में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
यूनुस ने 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की ताकि उन उद्यमियों को छोटे ऋण उपलब्ध कराए जा सकें जो सामान्यतः उन्हें प्राप्त करने के योग्य नहीं होते। लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में बैंक की सफलता ने अन्य देशों में भी इसी तरह के लघु वित्त पोषण के प्रयासों को बढ़ावा दिया।
यूनुस को 2008 में हसीना सरकार की कार्रवाई का सामना करना पड़ा जब उनके प्रशासन ने यूनुस के खिलाफ कई जांच शुरू कीं। यूनुस ने पहले घोषणा की थी कि वह 2007 में एक राजनीतिक पार्टी बनाएंगे, हालांकि उन्होंने अपनी योजना पर अमल नहीं किया।
जांच के दौरान हसीना ने यूनुस पर ग्रामीण बैंक के प्रमुख के तौर पर गरीब ग्रामीण महिलाओं से ऋण वसूलने के लिए बल और अन्य तरीकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। यूनुस ने आरोपों से इनकार किया था।
हसीना की सरकार ने 2011 में बैंक की गतिविधियों की समीक्षा शुरू की और यूनुस को सरकारी सेवानिवृत्ति नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में प्रबंध निदेशक के पद से हटा दिया गया। 2013 में उन पर बिना सरकारी अनुमति के पैसे लेने के आरोप में मुकदमा चलाया गया, जिसमें उनका नोबेल पुरस्कार और एक किताब से रॉयल्टी भी शामिल थी।
इस साल की शुरुआत में बांग्लादेश में एक विशेष न्यायाधीश की अदालत ने यूनुस और 13 अन्य लोगों पर 20 लाख अमेरिकी डॉलर के गबन के मामले में आरोप तय किए थे। यूनुस ने खुद को निर्दोष बताया और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। यूनुस के समर्थकों का कहना है कि हसीना के साथ उनके खराब संबंधों के कारण उन्हें निशाना बनाया गया है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस का जन्म 1940 में भारत के चटगांव में हुआ था, जो अब बांग्लादेश का एक प्रमुख बंदरगाह शहर है। उन्होंने अमेरिका के वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और बांग्लादेश लौटने से पहले कुछ समय तक वहां पढ़ाया था। इनपुट एजेंसियां