नई दिल्ली। विकास परियोजनाओं को पर्यावरण अनुकूल बनाए जाने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केदारनाथ धाम विकास और पुनर्निर्माण परियोजना की बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए समीक्षा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार को केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे पवित्र स्थलों के लिए विकास परियोजनाओं की संकल्पना के साथ उसका डिजाइन इस प्रकार तैयार करना चाहिए जो समय की कसौटी पर खरा उतरे और पर्यावरण के अनुकूल हो। उन्होंने कहा कि अगले 100 साल तक की परिकल्पना के हिसाब से डेवलपमेंट प्लान बनना चाहिए। उत्तराखंड में हिमालय पर स्थित इस तीर्थस्थल के कुछ हिस्से को 2013 में अचानक आई बाढ़ से नुकसान पहुंचा था।
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ केदारनाथ धाम विकास और पुनर्निर्माण परियोजना की वीडियो कॉन्फेंस के जरिए समीक्षा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्रसिंह रावत और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
वर्तमान स्थिति और इन तीर्थस्थलों में पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या में तुलनात्मक रूप से आई कमी के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि निर्माण कार्य के वर्तमान समय का उपयोग श्रमिकों के उचित वितरण द्वारा लंबित कार्यों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन साथ ही हमें उचित दूरी बनाए रखने के नियम को भी ध्यान में रखना होगा। इससे बेहतर बुनियादी ढांचा और सुविधाएं तैयार करने में मदद मिलेगी।
केदारनाथ धाम के विकास और पुनर्निर्माण परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2017 में रखी थी।
बयान के अनुसार इस तीर्थस्थल के पुनर्निर्माण की अपनी परिकल्पना के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार को केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे पवित्र स्थलों के लिए विकास परियोजनाओं की संकल्पना के साथ उसका डिजाइन इस प्रकार तैयार करना चाहिए जो समय की कसौटी पर खरा उतरे, पर्यावरण के अनुकूल हो और प्रकृति और उसके आसपास के वातावरण के साथ तालमेल बैठा सके।
प्रधानमंत्री ने विशेष सुझाव देते हुए रामबन से केदारनाथ तक के बीच अन्य धरोहर और धार्मिक स्थलों का और विकास करने का निर्देश दिया। यह कार्य केदारनाथ के मुख्य मंदिर के पुनर्विकास के अतिरिक्त होगा।
मोदी ने कहा कि मंदिर के समीप बनाए जा रहे ध्यान गुफा को श्रद्धालुओं के लिए और आकर्षक बनाया जाना चाहिए।
बयान के अनुसार यह कार्य केदारनाथ के मुख्य स्थल के पुनर्विकास के अतिरिक्त होगा। बयान के अनुसार बैठक में श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए ब्रह्म कमल वाटिका और संग्रहालय के विकास की स्थिति से संबंधित विवरण पर भी विस्तार से बातचीत हुई जो वासुकी ताल के रास्ते में है।
इसके साथ ही पुराने शहर के मकानों और वास्तुकला की दृष्टि से ऐतिहासिक महत्व की सम्पत्तियों के पुनर्विकास के अलावा अन्य सुविधाओं जैसे मंदिर से उपयुक्त दूरी पर और नियमित अंतराल पर पर्यावरण अनुकूल पार्किंग स्थल के बारे में भी चर्चा हुई।
उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से सांस्कृतिक जुड़ाव को गहरा बनाने और पर्यटन को गति देने के प्रयासों में मदद मिलेगी। मोदी साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद कम से कम तीन बार केदानाथ धाम गए।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में कहा,केदारनाथ में पुनर्विकास के अलावा रामबन से लेकर केदारनाथ तक अन्य हेरिटेज सेंटर विकसित करने पर भी चर्चा हुई।
ब्रह्म कमल वाटिका समेत दूसरी जगहों के विकास पर भी विचार-विमर्श किया गया। इन प्रयासों से जहां हमारा सांस्कृतिक जुड़ाव गहरा होगा, वहीं पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा,केदारनाथ के पुनर्निर्माण परियोजना से जुड़े विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की। यहां के पुनर्विकास में इस बात पर जोर है कि वो इको-फ्रेंडली हो और तीर्थयात्रियों के साथ ही पर्यटकों के लिए भी सुविधाजनक हो। (भाषा)