पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े, जानिए 4 महानगरों की कीमतें
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत मंगलवार को 73 रुपए प्रति लीटर पर और वाणिज्यिक नगरी मुंबई में 80 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गई है।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में मंगलवार को लगातार तीसरे दिन बड़ी वृद्धि दर्ज की गई। इन तीन दिनों में दोनों जीवाश्म ईंधन करीब ढाई प्रतिशत महंगे हो चुके हैं।
देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज पेट्रोल का मूल्य 54 पैसे बढ़कर 73 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया। तीन दिन में यह 1.74 रुपए यानी 2.44 प्रतिशत महंगा हो चुका है। मुंबई में इसकी कीमत 52 पैसे बढ़कर 80.01 रुपए, चेन्नई में 48 पैसे बढ़कर 77.08 रुपए और कोलकाता में 52 पैसे बढ़कर 74.98 रुपए प्रति लीटर रही।
डीजल दिल्ली में 58 पैसे महंगा होकर 71.17 रुपए प्रति लीटर बिका। तीन दिन में इसके दाम 1.78 रुपए यानी 2.57 प्रतिशत बढ़े हैं। कोलकाता में इसकी कीमत 62 पैसे बढ़कर 67.33 रुपए, मुंबई में 55 पैसे बढ़कर 69.92 रुपए और चेन्नई में 49 पैसे बढ़कर 69.74 रुपए प्रति लीटर हो गई।
तेल कंपनियां हालांकि एटीएफ और एलपीजी की कीमतों की नियमित रूप से समीक्षा कर रही थीं, लेकिन 16 मार्च से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। इससे पहले रविवार और सोमवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 60 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी। इस तरह पिछले 3 दिनों में पेट्रोल 1.74 रुपए प्रति लीटर और डीजल 1.78 रुपए प्रति लीटर महंगा हो चुका है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के लाभ को सोखने के लिए सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी जिसके बाद तेल कंपनियों- इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने कीमतों की दैनिक समीक्षा रोक दी थी।
इसके बाद सरकार ने 6 मई को एक बार फिर पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को 10 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिया। इस वृद्धि के बाद पेट्रोल पर कुल उत्पाद शुल्क बढ़कर 32.98 रुपए लीटर और डीजल पर 31.83 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गया।
तेल कंपनियों ने हालांकि उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी का भार ग्राहकों पर नहीं डाला, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ उसे समायोजित कर दिया गया। कोरोना वायरस महामारी के कारण कच्चे तेल की कीमत अप्रैल में 1 दशक के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंची थी। भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है।
अधिकारियों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के कारण तेल कीमतों की दैनिक समीक्षा को रोक दिया गया था। अब जबकि बाजार में कुछ हद तक स्थिरता दिखने लगी है, दैनिक मूल्य समीक्षा शुरू कर दी गई है।