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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: मंगलवार, 5 मई 2020 (17:04 IST)

J&K : संघर्षविराम का मजाक उड़ाता पाकिस्तान, 4 महीनों में LOC पर 1500 बार दागे गोले

J&K : संघर्षविराम का मजाक उड़ाता पाकिस्तान, 4 महीनों में LOC पर 1500 बार दागे गोले - Pakistan makes fun of ceasefire, fired LOC 1500 times in 4 months
जम्मू। कहने को तो पाकिस्तान से सटे जम्मू कश्मीर के इंटरनेशनल बॉर्डर और एलओसी पर पिछले 16 सालों से दोनों मुल्कों की सेनाओं के बीच सीजफायर है, लेकिन अब हर दिन सीमाओं पर होने वाली गोलों और गोलियों की बरसात अब सीजफायर का मजाक उड़ाने लगी हैं।

यही नहीं, गोलों व गोलियों की तेज होती बरसात के बीच लाखों सीमावासी अब फिर से पलायन की तैयारी में भी इसलिए जुट गए हैं क्योंकि सीजफायर के उल्लंघन को लेकर पाक सेना की हरकतें शर्मनाक होने लगी हैं। यह गोलाबारी कितनी है। आंकड़े आपको हैरान कर देंगें।

सरकार न खुद माना है कि इस साल पहले 4 महीनों में पाक सेना ने प्रतिदिन 12 बार गोलों की बरसात की है जबकि वर्ष 2019 में पाक सेना ने औसतन एक दिन में 10 बार गोलों की बरसात की है जबकि 2018 में प्रतिदिन 8 बार गोलियां बरसाई गईं। बावजूद इसके इस स्थिति को सीजफायर का ही नाम दिया जा रहा है। सीमाओं पर जारी सीजफयर के बावजूद पाक सेना ने पिछले साल रिकॉर्डतोड़ करीब 3586 बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया। इस बार पहले चार महीनों में 1500 बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया है।

जम्मू-कश्मीर में सीमा पर पिछले साल संघर्ष में 61 लोग मारे गए हैं, एक हजार से ज्यादा घायल हुए। आधिकारिक आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं कि पाक सेना ने पिछले साल हर दिन सीमा और एलओसी पर 10 बार गोलाबारी की जो इस साल भी जारी है।
 
पाकिस्तानी सेना ने इस बार जम्मू के राजौरी-पुंछ क्षेत्र में ज्यादा गोलाबारी की, अन्यथा उसका ध्यान उत्तरी कश्मीर में ही ज्यादा रहता आया है। यहां हर दूसरे दिन जंगबंदी का उल्लंघन होता रहा है। इन इलाकों में भारतीय नागरिक बस्तियां सीधे पाकिस्तानी फायरिंग रेंज में आती हैं।

इसके अलावा उड़ी के रामपुर और गुलमर्ग सबसेक्टर में पाकिस्तानी सेना कुछ जगहों पर ऐसी जगहों पर बैठी है, जहां उसे जवाबी कार्रवाई में ज्यादा नुकसान कम होने की संभावना रहती है। इस दौरान कुपवाड़ा, गुरेज, नौगाम, करनाह में घुसपैठ का प्रयास ज्यादा रहता है और बीते एक माह के दौरान यही अनुभव किया गया है।
 
मार्च माह में ही सबसे अधिक 450 बार पाक ने एलओसी पर सीजफायर का उल्लंघन हुआ। अप्रैल में भी कमोबेश यही स्थिति रही। आशंका जताई जा रही है कि एक-दो माह में घुसपैठ की कोशिशें और पाकिस्तानी सेना के बैट दस्ते के हमले भी बढ़ सकते हैं। हालांकि सुरक्षाबल हर स्थिति के लिए चौकस हैं।
 
कश्मीर में तैनात ब्रिगेडियर रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान को उसके हर दु:साहस का मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। बीते दिनों भारत की जवाबी कार्रवाई में उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा। 6 से 7 लांच पैड उसे दोबारा तैयार करने पड़े। उसे बीते दो माह के दौरान अपनी चार बड़ी चौकियों को नए सिरे से बनाना पड़ा।

कर्नल व मेजर रैंक के उसके कम से कम चार अधिकारी व एक दर्जन के करीब सिपाही मारे जा चुके हैं। सैन्य कमांडरों के अनुसार पाकिस्तान और आईएसआई की मंशा को भांपते हुए घुसपैठियों को मार गिराने के लिए प्रभावी चक्रव्यूह तैयार किया है।
 
 कश्मीर में आतंकवाद के दौर के आरंभ से एलओसी पर पाकिस्तानी सेना की भूमिका का आकलन किया जाए तो फरवरी माह से ही जंगबंदी के उल्लंघन के साथ घुसपैठ की घटनाओं में तेजी दिखने लगती है। यह क्रम मई माह के अंत तक और कई बार जून की शुरुआत तक भी खूब चलता है।

इसमें भी अप्रैल-मई का समय सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है। यह वह मौसम है जब उस कश्मीर और जम्मू-कश्मीर को आपस में जोड़ने वाले सभी प्राकृतिक रास्ते पूरी तरह खुल होते हैं।

जंगलों में हरियाली व घनी झाड़ियां आतंकियों के लिए मुफीद होती हैं। इसके अलावा एलओसी पर घुसपैठ रोकने के लिए लगाई तार बर्फ पिघलने के बाद कई जगह से क्षतिग्रस्त हो जाती है। पर इस बार की फायरिंग की घटनाएं पिछले तमाम रिकॉर्ड पीछे छोड़ती दिख रही हैं।
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